अडानी के साथ कारोबार में रुकावट
विश्व की ऊर्जा दिग्गज कंपनी TotalEnergies ने हाल ही में अडानी ग्रीन एनर्जी परियोजना में अपने निवेश को अस्थायी तौर पर निलंबित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय उस समय लिया गया जब अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अडानी ग्रुप के कुछ अधिकारियों के खिलाफ एक बड़ा रिश्वतखोरी मामला सामने आया। इस मामले से संबंधित पूरी जानकारी सामने आने का इंतजार कर रही TotalEnergies ने फिलहाल अपने निवेश को रोकना आवश्यक समझा। इस निलंबन के बावजूद, कंपनी ने यह स्पष्ट किया है कि उनके नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों पर इस निर्णय का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
2030 तक 100 GW का लक्ष्य
TotalEnergies का लक्ष्य 2030 तक 100 गीगावाट (GW) नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का है, और कंपनी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य के रास्ते में अडानी परियोजना का अस्थायी रुकावट एक साधारण एहतियातिक कदम है और इसमें अडानी की किसी भी प्रकार की गलती का संकेत नहीं है। पैट्रिक पुइयाने, जो कि कंपनी के सीईओ हैं, ने कहा है कि इस अस्थायी निलंबन के बावजूद, उनका विश्वास है कि यह लक्ष्य निश्चित रूप से हासिल किया जाएगा।
रिश्वतखोरी आरोपों की गहनता
अमेरिकी रिश्वतखोरी मामला अडानी समूह के कुछ अधिकारियों से संबंधित आरोपों से जुड़ा है, जो हाल ही में उजागर हुआ है। इस मामले की गहनता और इसमें संलिप्त व्यक्तियों की पहचान के खुलासे की प्रतीक्षा में, TotalEnergies ने अभी अपने निवेश को स्थगित रखने का निर्णय लिया है। हालांकि, यह निर्णय कंपनी की सावधानी को दर्शाता है, किसी भी निर्णय से पहले सही प्रमाणों का मूल्यांकन करना आवश्यक था।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अन्य अवसर
TotalEnergies ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा रणनीति को स्पष्ट रूप से पहचान दिया है कि अडानी परियोजना के चलते वह रुकावट में नहीं है। कंपनी अपने 100 GW के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अन्य विकल्पों और परियोजनाओं की तलाश कर रही है। पुइयाने ने इस बात पर जोर दिया कि कंपनी अपने लक्ष्यों के प्रति वचनबद्ध है और इस दिशा में नए अवसरों का सक्रियता से अन्वेषण कर रही है।
स्थाई ऊर्जा स्रोतों की संभावना
TotalEnergies ने नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। कंपनी ने कई परियोजनाओं के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की योजना बनाई है, जिसमें सौर, पवन, और जल विद्युत शामिल हैं। यह रणनीति उस व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है जिसके तहत इसे वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपने हिस्से को बढ़ाना है।
11 टिप्पणि
Rana Ranjit
नवंबर 28, 2024 AT 04:41अडानी की केस में अस्थाई रुकावट देख कर ऊर्जा के दार्शनिक प्रश्न उठते हैं-क्या निवेश का भरोसा भी नवीकरणीय लक्ष्य से जुड़ा है? फिर भी यह कदम कंपनी की सतर्कता का प्रतीक है।
Arundhati Barman Roy
नवंबर 28, 2024 AT 07:11इह केस में टोटलएनर्जीस ने सतुरकता से कार्य किया है, किन्तु अडानी पर चल रहे जांच के परिणाम का इंतजार करते हुए यह फैसला समझदारी है।
yogesh jassal
नवंबर 28, 2024 AT 09:25TotalEnergies का 2030 तक 100 GW का लक्ष्य वास्तव में एक महाकाव्य है, और इस लक्ष्य की दिशा में हर कदम को बड़ी नज़र से देखा जाता है। अडानी परियोजना का निलंबन एक अस्थायी शीतकालीन विराम जैसा है, जो मौसम परिवर्तन की तरह अप्रत्याशित हो सकता है। लेकिन इस विराम में भी कंपनी ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है - नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना उसका प्राथमिक धर्म है। इस अवसर को सुनहरा मानकर कई अन्य संभावनाओं का अन्वेषण किया जा रहा है, जिससे ऊर्जा मिश्रण और विविधतापूर्ण हो जाएगा। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि सौर और पवन ऊर्जा की लागत न्यूनतम होती जा रही है, जिससे इस लक्ष्य की प्राप्ति वास्तविक बनती जा रही है। दूसरी ओर, जलविद्युत और बैटरी स्टोरेज तकनीक में नवीनतम उन्नति भी इस योजना के समर्थन में है। इंटरेक्टिव रूप से देखें तो, TotalEnergies का दृष्टिकोण एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जहाँ हर प्रोजेक्ट आपस में जुड़ा हुआ है। आप देखेंगे कि जब एक प्रोजेक्ट स्थगित होता है, तो दूसरी जगह निवेश का प्रवाह बढ़ता है, जिससे कुल उत्पादन पर असर नहीं पड़ता। यहाँ तक कि सरकारी नीतियों में भी बदलाव आया है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा को सब्सिडी मिल रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण कंपनियां जोखिम उठाने के लिए अधिक तैयार हैं। लेकिन जोखिम को संभालते समय नैतिक और कानूनी पहलुओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस मामले में अडानी पर चल रहे आरोपों ने कंपनियों को सतर्क किया है, और यह एक सीख भी है। अंत में, यदि TotalEnergies अपनी रणनीति को सही दिशा में लागू करता है, तो 2030 का लक्ष्य न केवल सम्भव है, बल्कि वह एक नई ऊर्जा क्रांति का प्रतीक भी बन सकता है। यह न केवल कंपनी के लिए बल्कि पूरे भारत और विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत होगा। इस प्रकार, अस्थाई रोकथाम को भविष्य की बड़ी जीत का मंच मानना चाहिए।
Raj Chumi
नवंबर 28, 2024 AT 11:21वाह! कितना बड़ा नाटक है यह, जैसे कोई फिल्म का क्लिफ़हैंगर-देखेंगे अगला भाग कब आता है
mohit singhal
नवंबर 28, 2024 AT 13:01देश की ऊर्जा सुरक्षा को विदेशी कंपनियों के बेमेल चुनावों से खतरा नहीं हो सकता 🇮🇳💥 TotalEnergies को चाहिए भारतीय बाजार का सम्मान करना, न कि इस तरह अडानी को बेतहाशा दबाव देना! 🚀
pradeep sathe
नवंबर 28, 2024 AT 14:25आपकी भावना समझता हूं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी कभी-कभी आवश्यक होता है, और कंपनियां भी अपने जोखिम कम करने की कोशिश करती हैं।
ARIJIT MANDAL
नवंबर 28, 2024 AT 15:31वास्तव में, अगर आप आँकड़े देखेंगे तो यह निलंबन मात्र एक PR चाल है, वास्तविक लक्ष्य अभी भी वही है।
Bikkey Munda
नवंबर 28, 2024 AT 16:21अगर आप TotalEnergies की अन्य परियोजनाओं पर नज़र डालेंगे तो पता चलेगा कि वे सौर फार्म, पवन टर्बाइन और जलविद्युत में भी निवेश कर रहे हैं, जिससे उनका लक्ष्य हमेशा स्थिर रहेगा।
akash anand
नवंबर 28, 2024 AT 16:55हाँ, पर यह बात भी धयान में रखे कि कंपनी को हमेशा जाँच‑परख के दौरान खास‑खास दबाव का सामना करना पड़ता है, और ऐसे मामलों में तेज़ी से कदम उठाना ज़रूरी है।
BALAJI G
नवंबर 28, 2024 AT 17:11ऊर्जा के इस खेल में नैतिकता को अक्सर किनारे पर धकेल दिया जाता है, पर हमें याद रखना चाहिए कि सतह के नीचे कितनी जटिलता छिपी है।
Manoj Sekhani
नवंबर 28, 2024 AT 18:35आखिर कौन कहता है कि बड़े मॉलिक्यूलर प्रोजेक्ट्स ही सब कुछ होते हैं? छोटे-छोटे नवाचार भी कमाल के बदलाव लाते हैं।