5 फ़रवरी 2025 को हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों ने शहर के राजनीतिक नक्शे को पूरी तरह बदल दिया। परिणाम 8 फ़रवरी को घोषित हुआ, जिसमें BJP victory स्पष्ट रूप से दिखी – भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतीं, जिससे वह दो‑तीहाई बहुमत हासिल कर सशक्त सरकार बना सकी। यह जीत भाजपा के लिए 1993‑1998 के बाद पहली बार राजधानी में सत्ता में लौटने का संकेत है।
परिणाम का विश्लेषण
बाजार में कई संकेत थे कि भाजपी की फिराक एक बड़ी लहर ले आएगी, लेकिन विजयी मार्जिन की तेज़ी ने सभी अपेक्षाओं को पार कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि दिल्ली में भी अपने एलैंडिंग परफॉर्मेंस से जनता को अपने पक्ष में खींचा। उन्होंने AAP पर लगाई भ्रष्टाचार की ढाल को बड़े पैमाने पर दोहराया, जिससे मध्यम वर्ग और निम्न‑आय वाले वर्ग दोनों में भरोसा जागा।
मुख्य प्रतिद्वंद्वी AAP के लिए यह एक भयावह दिन बन गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल सहित कई वरिष्ठ नेता जैसे मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र कुमार जैन, सोजनाथ भर्ति, सौरभ भढ़वज और राकी बिड़ला सहित 22 सीटों से बाहर हो गए। केजरीवाल को नई दिल्ली विधानसभा से 4,089 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा, जहाँ भाजपा के पारवेश वर्मा ने उन्हें मात दी। यह केजरीवाल की बारह साल की उपस्थिति को समाप्त करता है।
कांग्रेस की स्थिति तो अधिक ही दुर्बल दिखाई दी। इस बार पार्टी ने कोई सीट नहीं जीत पाई, और इसके 67 उम्मीदवारों को अपने जमा राशि वापस लेनी पड़ी। कुल वोटों में उनका हिस्सा 5% से भी कम रह गया, जो राजधानी में उनके गिरते प्रभाव का स्पष्ट संकेत है।
- नॉर्थ दिल्ली – BJP ने सभी 8 सीटें जीतीं
- साउथ‑वेस्ट दिल्ली – भाजपा ने सभी 7 सीटें हाथ में लीं
- सेंट्रल दिल्ली – AAP ने 7 में से 6 सीटें संभालीं, लेकिन कुल जीत में कमी आई
- रोहिणी, विश्वास नगर, लक्समी नगर, गांधी नगर जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भाजपा ने ताकतवर प्रदर्शन किया
पर्यावरणीय समस्याएँ जैसे 400+ AQI तक पहुँचने वाला धूम्र‑धुंध, यमुना की सफाई का बोझ और कई क्षेत्रों में साफ‑सुथरा पानी न मिलने की समस्या ने भी चुनाव को प्रभावित किया। भाजपा ने इन मुद्दों को अपनी रणनीति में प्रमुख बनाया, जबकि AAP को इन सवालों के जवाब देने में कड़ा संघर्ष करना पड़ा।

भविष्य की दिशा और नई मुख्यमंत्री
विजय के बाद 19 फ़रवरी को भाजपा ने शालिमार बाग की MLA रेखा गुप्ता को दिल्ली की नई मुख्य मंत्री घोषित किया। उनके चयन को पार्टी ने युवा, सशक्त और महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम बताया। गुप्ता का आशावादी दृष्टिकोण और जल‑वायु नीतियों पर फोकस, वह आगामी सरकार का मुख्य सन्देश बन जाएगा।
केजरीवाल ने हार स्वीकार कर कहा कि AAP एक ‘रचनात्मक विपक्ष’ के रूप में कार्य करेगा और दिल्ली के नागरिकों की सेवा जारी रखेगा। यह बयान पार्टी को भविष्य में फिर से चुनावी ताकत बनाने का संकेत देता है, पर अब उनका लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार नहीं, बल्कि दिल्ली के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
भाजपा के लिए यह जीत केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रही; यह हरियाणा और महाराष्ट्र में लगातार जीत के बाद एक नई गतिशीलता दिखाती है। मोदी की लोकप्रियता को एक बार फिर से चुनावी मैदान में पुष्टि मिली, जबकि AAP जैसे क्षेत्रीय पक्ष की राष्ट्रीय आकांक्षा अब अस्थायी रूप से ठहर चुकी है। इस चुनावी बदलाव से भारत की राजनीति में दो बड़े खेल‑खिलाड़ियों के बीच की प्रतिस्पर्धा और गहरी हो गई है।