जैसा कि Good Returns ने शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को बताया, चांदी की कीमत ग्राम में ₹185 और किलोग्राम में ₹1,85,000 तक गिर गई। यह गिरावट तब आई जब पिछले दस दिनों में कीमतें लगातार ऊपर जा रही थीं और भारत के अधिकांश घरों में धनतेरस‑दीपावली की खरीद‑फरोख्त की ठहराव के लिए तैयारियों में जुटे थे।
पिछला रुझान और वर्तमान स्थिति
दस दिनों से चांदी का उछाल लगातार बना हुआ था; 24 अक्टूबर तक कीमतें लगभग ₹190/ग्राम तक पहुँच गई थीं। लेकिन 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में 4.17% की गिरावट के बाद, भारत में भी समान गिरावट देखी गई। इस दिन अंतरराष्ट्रीय कीमत Trading Economics के अनुसार 51.94 अमेरिकी डॉलर प्रति ट्रॉय औंस बनी रही, जबकि पिछले दिन की तुलना में 4.17% नीचे थी। फिर भी यह कीमत पिछले महीने के मुकाबले 24.20% और इस साल के शुरुआती दौर से 54.10% बढ़ी हुई है।
सप्टेंबर में चांदी की कीमत में अत्यधिक उतार‑चढ़ाव देखा गया; 16‑24 सितंबर के बीच कीमतें 12 से 22 रुपये तक बदलती रहीं। इस दौरान ClearTax ने दैनिक डेटा प्रदान किया, जिससे स्पष्ट हुआ कि बाजार पर रूढ़ि‑आधारित चलन सीमित था।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की भविष्यवाणियाँ
वित्तीय विश्लेषक Manav Modi, जिन्होंने The Times of India में अपने विश्लेषण में कहा, "एक साल की अवधि में चांदी का लक्ष्य COMEX पर $75 और घरेलू स्तर पर ₹2,30,000 हो सकता है।" यह अनुमान USD‑INR दर 89 के आधार पर बना है।
दूसरे विशेषज्ञ Praveen Singh ने बताया, "गोल्ड $5000 तक पहुँच सकता है, जबकि चांदी $60 स्तर पर पहुँच सकती है। इस तरह चांदी अगले साल 17% और सोना 21% बढ़त बना सकते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि लंदन और भारतीय बाजार में शारीरिक टाइटनेस के कारण चांदी अल्पकालिक रूप से सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन यह टाइटनेस जल्द ही कम हो सकता है।
Abhilash Koikkara, जो Nuvama Professional Clients Group के EVP & Head‑Forex and Commodities हैं, ने तकनीकी दृष्टिकोण से कहा, "चांदी में बुलिश सिग्नल सोने की तुलना में मजबूत हैं, इसलिए अगले 12 महीनों में चांदी सोने से बेहतर कर सकती है, विशेषकर धनतेरस 2026 तक।"
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार के प्रमुख कारण
रुपए‑डॉलर विनिमय दर का असर चांदी की कीमत पर स्पष्ट है। BankBazaar के अनुसार, अगर रूढ़ी‑विनिमय दर गिरती है तो अंतरराष्ट्रीय कीमत स्थिर रहने पर भारत में चांदी महंगी हो जाती है। इस साल, डॉलर के मजबूत होने के कारण चांदी के विदेशी मूल्य में थोड़ी कमी आई, परन्तु रुपये की कमजोरियों ने इसे आंशिक रूप से संतुलित किया।
धनतेरस और दीपावली के सीजन में परम्परागत रूप से चांदी के आभूषण, बर्तन और निवेश वस्तुओं की माँग बढ़ती है। कई भारतीय घरों में इसे "गरीबों का सोना" कहा जाता है, क्योंकि यह सोने जितना महँगा नहीं, परन्तु सांस्कृतिक महत्व के कारण उपभोग में स्थिर रहता है।
शहरवार कीमतें और उपभोक्ता प्रतिक्रिया
जबकि राष्ट्रीय औसत ₹185/ग्राम रहा, बड़े मेट्रो शहरों में थोड़ी विविधता देखी गई। मुंबई में कीमतें ₹188/ग्राम, दिल्ली में ₹186/ग्राम, बेंगलुरु में ₹184/ग्राम तक रिपोर्ट की गईं। छोटे शहरों में कीमतें अक्सर राष्ट्रीय औसत के करीब रही, परन्तु डेटा पूर्ण नहीं होने के कारण ये सिर्फ अनुमान हैं।
उपभोक्ता समूहों ने कहा कि इस गिरावट से उन्हें थोड़ी राहत मिली, क्योंकि कई लोग धनतेरस के लिए चांदी की थालियों और अंगूठियों की खरीदारी अभी तक लंबित रखे हुए थे। फिर भी, अधिकांश विक्रेता आशावादी रहेंगे, क्योंकि वर्ष के अंत तक कीमतों में फिर से उछाल की उम्मीद है।
आगे क्या हो सकता है?
विश्लेषकों का मानना है कि अगर डॉलर‑रुपए दर स्थिर रहती है और अंतरराष्ट्रीय दरें बड़ी गिरावट नहीं दिखातीं, तो अगले दो महीनों में चांदी की कीमतें फिर से 5‑6% बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, निवारक नीतियों और आयात‑निर्यात नियमों में परिवर्तन भी कीमतों पर असर डाल सकते हैं।
धनतेरस‑दीपावली के बाद, कुछ संगठनों ने कहा कि निवेशकों को पोर्टफोलियो में चांदी को एक हेज के रूप में रखने की सलाह दी जाएगी, खासकर उन लोगों के लिए जो मुद्रास्फीति‑सुरक्षित साधन खोज रहे हैं।
- 17 अक्टूबर 2025 को चांदी की कीमत ₹185/ग्राम, ₹1,85,000/किग्रा
- अंतरराष्ट्रीय कीमत 51.94 USD/औंस, 4.17% गिरावट
- उम्मीद: 2025‑2026 में सालाना 17%‑21% बढ़त
- मुख्य विश्लेषक: Manav Modi, Praveen Singh, Abhilash Koikkara
- सत्र‑सापेक्ष रुझान: धनतेरस और दीपावली के दौरान मांग में संभावित उछाल
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धनतेरस के समय चांदी की कीमत में गिरावट का मुख्य कारण क्या है?
मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर‑सापेक्ष कीमत में थोड़ी गिरावट और भारतीय रुपये की तुलना में मंदी है, जिससे आयात लागत बदलती है। साथ ही, पिछले कई हफ्तों के लगातार उछाल के बाद कुछ ट्रेडरों ने लाभ निचोड़ने के लिए पोजीशन समेट ली, जिससे दिन‑प्रतिदिन गिरावट देखी गई।
धनतेरस‑दीपावली सीजन में चांदी की मांग पर क्या असर पड़ेगा?
परम्परागत रूप से इस सीजन में चांदी के बर्तन, आभूषण और निवेश वस्तुओं की माँग बढ़ती है। यदि कीमतें स्थिर या हल्की बढ़ोतरी करती हैं, तो उपभोक्ताओं की खरीद‑शक्ती बढ़ेगी, जिससे पूरे बाजार में फिर से तेज़ी आने की संभावना है।
क्या चांदी की कीमत में गिरावट से निवेशकों को नुकसान होगा?
यदि निवेशक अल्पकालिक गिरावट के दौरान खरीदते हैं तो वे बेहतर प्रवेश बिंदु पा सकते हैं। दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि चांदी अगले वर्ष 17‑21% बढ़ेगी, इसलिए मौजूदा गिरावट को अवसर माना जा सकता है।
कौन सी नियामक नीतियां चांदी की कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं?
विदेशी मुद्रा (FX) नीति, आयात शुल्क और मार्केटिंग नियंत्रण सभी कीमतों पर असर डालते हैं। यदि RBI डॉलर‑रुपया दर को स्थिर रखने के लिए हस्तक्षेप करता है, तो यह चांदी के घरेलू मूल्य को प्रभावित कर सकता है।
भविष्य में चांदी के मूल्य पर कौन से विश्व‑स्थरीय कारक असर डालेंगे?
अमेरिकी मौद्रिक नीति, वैश्विक उत्पादन में बदलाव (जैसे मेक्सिको‑पेरू खनन), और मौद्रिक अनिश्चितताएं मुख्य कारक हैं। अगर अमेरिकी फेडरल रिज़र्व ब्याज दरें घटाता है, तो आम तौर पर चांदी जैसी कीमती धातुओं की कीमतें बढ़ती हैं।
1 टिप्पणि
Chandra Soni
अक्तूबर 18, 2025 AT 23:52सभी को नमस्ते! चाँदी की कीमत में इस अचानक गिरावट ने मार्केट के माइक्रो‑ट्रेंड्स और वैल्यू प्रोपेगेशन को पूरी तरह रीसेट कर दिया है। अब अस्सेट अलोकेशन स्ट्रैटेजी में री‑एजस्टमेंट की जरूरत है, खासकर उन इन्स्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स के लिए जो बेंचमार्किंग पर फोकस करते हैं। इस डिप्रेशन ने लिक्विडिटी टियर को भी शिफ्ट कर दिया है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में हल्का स्पाइक देखे जाने की संभावना है। अगर आप पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन की सोच रहे हैं, तो अब समय है साइडलाइज़्ड पोज़ीशन बनाते हुए रीसाइडिंग पर नजर रखने का। कुल मिलाकर, यह गिरावट एक ट्रांसिशन पीरियड का इंडिकेटर है, जो अल्पकालीन वोलैटिलिटी को इन्फ्लेट कर सकता है।