दिल्ली की हवा अब सिर्फ सांस लेने के लिए नहीं, बल्कि बचने के लिए भी एक लड़ाई बन चुकी है। दिल्ली लगातार 17 दिनों से जहरीली हवा में फंसी हुई है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई इलाकों में 400 के पार पहुंच गया है — एक ऐसा स्तर जहां बच्चे और बुजुर्ग घरों में बंद हो जाते हैं, और मास्क अब सामान्य आभूषण बन चुके हैं। लेकिन अचानक, आकाश में एक नया उम्मीद का बादल छाया है: कृत्रिम बारिश। रेखा गुप्ता, दिल्ली की मुख्यमंत्री, ने 27 से 29 अक्टूबर 2025 के बीच दिल्ली सरकार द्वारा किए गए क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन की सफलता की घोषणा की। अब, 30 अक्टूबर को बारिश की संभावना के साथ, शहर के लाखों निवासी सांस लेने के लिए आकाश की ओर देख रहे हैं।
क्लाउड सीडिंग: तकनीक या ताकत?
क्लाउड सीडिंग का मतलब है बादलों में सिल्वर आयोडाइड या अन्य रसायन छिड़ककर उन्हें बारिश के लिए प्रेरित करना। यह जादू नहीं, बल्कि विज्ञान है — और यह दिल्ली के लिए पहली बार बड़े पैमाने पर आजमाया जा रहा है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, "हमने मयूर विहार और बुराड़ी में ट्रायल किया, और PM10 के स्तर में 41.9% तक की कमी देखी।" यह आंकड़ा शायद बड़ा नहीं लगे, लेकिन जब आप एक शहर में रहते हैं जहां हर सुबह फेफड़े जल रहे हों, तो 40% कमी एक जान बचाने वाली बात है।
लेकिन यहां कुछ अजीब बात है: बादलों में नमी कम थी। फिर भी यह प्रयोग सफल रहा। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह तब हो सकता है जब बादलों में थोड़ी सी नमी भी हो, और उसे सही तरीके से ट्रिगर किया जाए। यह जैसे होता है जब आप बारिश के लिए इंतजार कर रहे हों, और अचानक एक बूंद गिरे — उसके बाद दूसरी, फिर तीसरी।
दिल्ली का वायु दर्द: एक 17-दिन की यात्रा
दिल्ली के लिए यह सिर्फ एक बुरा मौसम नहीं, बल्कि एक लंबी बीमारी है। हर साल अक्टूबर के अंत तक, खेतों में खरपतवार जलाने, वाहनों के उत्सर्जन, निर्माण धूल और दिवाली के पटाखों का मिश्रण एक जहरीला धुंआ बन जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा के मुताबिक, दिल्ली के 70% AQI स्टेशन अब "बहुत खराब" श्रेणी में हैं — जिसका मतलब है कि बाहर निकलना जोखिम भरा है।
यही कारण है कि एयर प्यूरीफायर्स की बिक्री दोगुनी हो गई है। अक्षरधाम, लोदी रोड, गुरुग्राम, गाजियाबाद — हर जगह लोग अपने घरों में एक छोटा सा आकाश बनाने के लिए तैयार हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप्स में भीड़ इस बात को साबित कर रही है कि अब सांस लेना एक लक्ज़री हो चुका है।
पहली बार नहीं, लेकिन पहली बार सफल
कृत्रिम बारिश की बात पहले भी आई थी — 2023 में, जब गोपाल राय, तब के पर्यावरण मंत्री, ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के साथ बैठक की मांग की थी। लेकिन उस वक्त इसे अनदेखा कर दिया गया। अब, बदलाव के बाद, यह तकनीक एक असली उपाय बन गई है।
यह ध्यान रखना जरूरी है: क्लाउड सीडिंग प्रदूषक कणों को सीधे नहीं हटाती। वह बस बारिश को बढ़ावा देती है — और बारिश वही करती है जो प्रकृति करती है: धूल, पराग, धुएं के कण पानी के साथ जमकर नीचे गिर जाते हैं। यह एक टेम्पररी राहत है, लेकिन अभी के लिए, यह बहुत कुछ है।
अगले कदम: क्या बारिश होगी?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 30 अक्टूबर को पूरे दिन बादल छाए रहने का अनुमान लगाया है, और शाम तक बारिश की संभावना बताई है। इसके अलावा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, हापुड़, खूर्जा और जहांगीराबाद जैसे एनसीआर के शहरों में भी हल्की बूंदाबांदी की संभावना है।
लेकिन विशेषज्ञ सावधान कर रहे हैं: "यह एक फ्लैश रिलीफ है, एक बार की चिकित्सा। अगर हम गाड़ियों को बंद नहीं करते, अगर हम खेतों में जलावट बंद नहीं करते, तो अगले हफ्ते फिर वही होगा।" यही कारण है कि दिल्ली सरकार अब वाहनों के लिए एलआईपी (एल्टरनेट फ्यूल प्रोग्राम), निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण और अपशिष्ट जलाने पर प्रतिबंध लगाने पर भी जोर दे रही है।
अगला क्या?
अगले 48 घंटे दिल्ली के लिए निर्णायक होंगे। अगर बारिश होती है, तो यह एक नई रणनीति की शुरुआत होगी — शायद अगले साल इसे नियमित किया जाएगा। अगर नहीं होती, तो शहर फिर से अंधेरे में डूब जाएगा।
एक बात तो तय है: दिल्ली अब बस बारिश का इंतजार नहीं कर रही। वह खुद आकाश को बारिश के लिए प्रेरित कर रही है। यह शहर अब न सिर्फ बीमार है — वह अपने लिए चिकित्सा ढूंढ रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्लाउड सीडिंग से वास्तविक बारिश होती है या सिर्फ बूंदाबांदी?
क्लाउड सीडिंग से वास्तविक बारिश होती है, लेकिन इसकी मात्रा छोटी होती है। यह बादलों में नमी को बढ़ाकर बूंदों के बनने की प्रक्रिया को तेज करती है। दिल्ली के ट्रायल में 15-20 मिनट की हल्की बारिश हुई, जिसने पीएम10 कणों को जमीन पर गिराया। यह बारिश नहीं, बल्कि एक वायु शुद्धिकरण तकनीक है।
क्या यह तकनीक भारत में पहली बार इस्तेमाल हो रही है?
नहीं, भारत में तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने पिछले दशकों में बाढ़ या अकाल के दौरान क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया है। लेकिन दिल्ली में यह पहली बार शहरी प्रदूषण के खिलाफ एक व्यवस्थित अभियान के रूप में लागू की जा रही है।
क्या यह तकनीक महंगी है और क्या इसका वातावरण पर असर होता है?
एक ऑपरेशन की लागत लगभग 15-20 लाख रुपये होती है, जो एक बड़े शहर के लिए नगण्य है। सिल्वर आयोडाइड का वातावरण पर असर नगण्य माना जाता है — इसे विश्व स्तर पर लगभग 50 देशों में उपयोग किया जाता है। आईएमडी और आईआईटी कानपुर ने इसकी सुरक्षा की पुष्टि की है।
क्या बारिश के बाद AQI लंबे समय तक अच्छा रहेगा?
नहीं। बारिश के बाद एक या दो दिन तक AQI 200-250 तक गिर सकता है, लेकिन अगर वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण धूल और खेतों में जलावट बंद नहीं होती, तो 3-4 दिन में फिर से वही स्थिति आ जाएगी। यह एक टेम्पररी सॉल्यूशन है, लंबी अवधि का नहीं।
क्या दिल्ली सरकार इसे अगले साल भी दोहराएगी?
अगर यह अभियान सफल रहा, तो निश्चित रूप से। पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि अगले साल अक्टूबर के शुरुआती दिनों में इसे नियमित रूप से लागू करने की योजना है — खासकर जब बादलों का डेरा हो। यह अब एक नीति बन रही है, न कि एक अस्थायी उपाय।
क्या आम आदमी को अब घर से बाहर निकलना चाहिए?
अभी नहीं। अगर बारिश होती है, तो 24-48 घंटे तक घर से बाहर निकलना सुरक्षित हो सकता है, लेकिन बारिश के बाद भी हवा में कण लटके रहते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और दम घुटने वाले लोगों के लिए अभी भी मास्क और एयर प्यूरीफायर जरूरी हैं।
10 टिप्पणि
Shrikant Kakhandaki
अक्तूबर 31, 2025 AT 03:20ye cloud seeding kaam karta hai? 😂 maine toh socha tha yeh kisi ne banaya hua movie scene hai... agar hum apne aasmaan ko seed kar sakte hain toh kya hum apne politicians ko bhi seed kar sakte hain? 🤔 #FakeNews #CloudConspiracy
bharat varu
नवंबर 1, 2025 AT 11:33Guys, this is actually huge! 🙌 For the first time in decades, Delhi is trying something real-not just blaming farmers or traffic. Cloud seeding isn’t magic, but it’s science with heart. If this works, imagine applying it to other cities like Kanpur or Patna. Let’s not wait for the next crisis-we need to make this a seasonal program. #CleanAirNow
Vijayan Jacob
नवंबर 1, 2025 AT 16:54Oh wow, so now we’re playing god with clouds? 🙄 Next they’ll be asking us to ‘seed’ our elections too. Beautiful irony: we burn fields, jam roads, and dump trash… then pay crores to make it rain so the dust falls. Classic Indian solution: fix the symptom, ignore the disease. 🤷♂️
Saachi Sharma
नवंबर 1, 2025 AT 19:06And yet, masks are still selling like chai. 😏
Nadeem Ahmad
नवंबर 2, 2025 AT 09:53It’s raining tomorrow? Weird. I checked the weather app-no rain predicted. But hey, if the government says it’s gonna rain, I’ll believe it. Maybe they’ve hacked the IMD. 🤷♂️
Aravinda Arkaje
नवंबर 3, 2025 AT 15:28Listen up, Delhi! This isn’t just about rain-it’s about willpower. We’ve been told for years that pollution is inevitable. But look what happened when they tried something bold? Change IS possible. If you’re reading this and you’re not angry about the air you breathe… you’re part of the problem. Let’s push for permanent solutions-clean public transport, electric rickshaws, real waste management. Rain won’t save us. We will.
kunal Dutta
नवंबर 5, 2025 AT 07:52Technically, cloud seeding doesn’t create moisture-it just nucleates existing supersaturated aerosols. Silver iodide acts as an ice nucleus analog, lowering the energy barrier for droplet coalescence. The 41.9% PM10 reduction? Plausible. But the real win is the psychological shift: people now believe the state can act. That’s the first step toward policy accountability. Also, the cost-benefit ratio is stellar-15L for 10M people? That’s cheaper than a single metro line delay. 📊
Yogita Bhat
नवंबर 5, 2025 AT 18:16Wait… so we’re paying to make it rain because we refused to stop burning stubble? 😂 We’re like a kid who breaks a vase, then pays someone to sweep the shards under the rug. And now we call it ‘innovation.’ What’s next? Cloud seeding to cancel our taxes? Or to make our politicians disappear? 🤔 I love how we celebrate Band-Aids while the tumor grows. When will we stop being victims and become stewards? Just asking.
Tanya Srivastava
नवंबर 5, 2025 AT 19:22OMG so cloud seeding is real?? I thought it was from that one sci-fi movie with Leonardo DiCaprio!! 😱 And now they’re doing it in DELHI??!! Also, did u know silver iodide can cause thyroid issues?? I read it on a blog!! 🤯 And also, why not just use drones?? And also, I saw a video of a man in Punjab who said his cow got sick after the rain!! 🐄💔 #CloudGate #SaveOurLungs #TypoButTrue
Ankur Mittal
नवंबर 6, 2025 AT 01:44Realistic optimism: This works short-term. But long-term? Only systemic change saves lives. The fact that 70% of AQI stations are in 'severe' zone means we're failing at the root. Cloud seeding = emergency oxygen. Not a cure. Let’s celebrate the rain, but demand the reforms. 🙏 #DelhiAir