जब सारफराज़ खान, भारतीय क्रिकेटर ने अपना वजन 10 किलोग्राम घटाया, तब सबकी नज़रें इस बदलाव पर टिकी थीं। यह परिवर्तन बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) द्वारा घोषित इंडिया ए टूर में उनका चयन होने के ठीक पहले आया, जो मई 2025 में इंग्लैंड के कैन्टरबरी शहर में आयोजित हुआ। पिता‑कोच नौशाद खान की कड़ी डाइट और दो‑दिवसीय ट्रेनिंग ने इस ‘फ़ैट’ से ‘फ़िट’ की कहानी को संभव बनाया।
पृष्ठभूमि और पहले की स्थितियां
2025 की आईपीएल नीलामी में सारफराज़ खान का कोई फ्रेंचाइज़ी ने हाथ नहीं डाला, जिससे उनके करियर को एक बड़ा झटका लगा। यह निराशा ही वजह बनी कि परिवार ने वजन घटाने को एक जरूरी गंतव्य बना लिया। इसी दौरान, BCCI ने 17 मई को 18‑सदस्यीय इंडिया ए टीम की घोषणा की, जिसमें वह नाम भी शामिल था।
वजन घटाने की रणनीति
नौशाद खान ने बताया कि उन्होंने और उनके बेटे ने रोटी‑चावल के सेवन को पूरी तरह रोक दिया। ‘हम 1‑1.5 महीने तक रोटी या चावल नहीं खाते। हम ब्रोकली, गाजर, ककड़ी, हरा सलाद, ग्रिल्ड फिश, ग्रिल्ड चिकन, उबले अंडे और हरे चाय का सेवन करते हैं’, उन्होंने टाइम्स नाउ न्यूज़ के 18 मई के इंटरव्यू में कहा। असली मेहनत तो रोज़ाना दो बार के प्रशिक्षण में थी—सुबह और शाम को मुंबई के क्रॉस मैदान पर दो‑घंटे‑दो‑घंटे की सत्र।
फायदे सिर्फ सारफराज़ खान तक सीमित नहीं रहे। नौशाद खुद भी एक महीने में 12 किलोग्राम गिरा, जिससे उनके घुटने की सर्जरी का खतरा खत्म हो गया। छोटे भाई मुशीर खान, जो पंजाब किंग्स के एक ऑल‑राउंडर हैं, ने भी इस डाइट प्लान में भाग लिया।
फिटनेस का असर – कैन्टरबरी टेस्ट में प्रदर्शन
30 मई से 2 जून तक चलने वाले अनऑफिशियल टेस्ट में, इंडिया ए ने इंग्लैंड लायंस के खिलाफ खेला। तीसरे दिन, सारफराज़ ने एक शानदार डाइविंग कैच पकड़ा, जिससे टॉम हेन्स (इंग्लैंड लायंस) का विकेट गिरा। सोशल मीडिया पर ‘क्या कॅच था!’ और ‘सारफराज़ की नई फॉर्म’ जैसे कमेंट्स झण्डे लहराते रहे।
कैंटर्बरी के स्ट लारेन्स ग्राउंड में हुए इस मैच ने साबित कर दिया कि वजन घटाना सिर्फ स्केल पर नहीं, बल्कि फील्ड पर भी दिखता है। खिलाड़ी का तेज़ दौड़ना, एगरिफ़िस्क फील्डिंग और री‑कैप्चर करने की क्षमता पहले की तुलना में कहीं बेहतर थी।
खेल जगत और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
जुलाई 23 को एक यूट्यूब इंटरव्यू में पूर्व इंग्लैंड कप्तान केविन पिटर्सन ने कहा, ‘सारफराज़ ने जबरदस्त मेहनत की है, यह एक उदाहरण है कि मजबूत शरीर, मजबूत मन के साथ खेल में क्या फर्क पड़ता है।’ उन्होंने भारतीय बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को भी इस रास्ते को अपनाने की सलाह दी।
वहीं, भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर ने पिछले साल कहा था, ‘खिलाड़ी का प्रदर्शन और फिटनेस वजन से ज्यादा मायने रखती है’। अब उनका यह बयान इस परिवर्तन के साथ और भी प्रासंगिक हो गया।
भविष्य की संभावनाएँ
इंडिया ए टूर के बाद, भारत‑इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला में अवसरों की बात चल रही है। यदि सारफराज़ अपनी नई फिटनेस को और स्थिर रख पाते हैं, तो वह सीनियर टेस्ट टीम में जगह बना सकते हैं। इस बीच, BCCI ने 6 जून‑9 जून को नॉथम्पटन के काउंटी ग्राउंड और 13 जून‑16 जून को बेकेनहम के चर्च रोड ग्राउंड में अतिरिक्त मैच निर्धारित किए हैं, जहाँ उनका प्रदर्शन और भी स्पष्ट होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सारफराज़ खान ने वजन घटाने के लिए क्या खास किया?
उन्होंने 1‑1.5 महीने तक रोटी‑चावल को पूरी तरह खत्म किया, ब्रोकली, गाजर, हरे सलाद और ग्रिल्ड प्रोटीन जैसे चिकन और फिश का सेवन किया, साथ ही रोज़ दो‑बार के फील्ड ट्रेनिंग और हरी चाय पीते रहे।
क्या यह वजन घटाना भारत‑इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला में चयन को प्रभावित करेगा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि फिटनेस का सीधा असर फॉर्म पर पड़ता है; यदि सारफराज़ इस स्तर को बनाए रखते हैं, तो उन्हें सीनियर टीम में जगह मिलने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
इंडिया ए टूर में अन्य मैच कब आयोजित होंगे?
कैन्टरबरी के बाद भारत‑इंग्लैंड लायंस के बीच दूसरा टेस्ट 6‑9 जून को नॉर्थम्पटन के काउंटी ग्राउंड और 13‑16 जून को बेकेनहम के चर्च रोड ग्राउंड पर होगा।
नौशाद खान ने खुद कितना वजन घटाया और क्यों?
नौशाद खान ने उसी अवधि में 12 किलोग्राम कम किया, क्योंकि उन्हें घुटने की सर्जरी से बचने के लिए तेज़ फ़िटनेस बदलाव की जरूरत थी। यह सफलता उनके बेटे की प्रेरणा बन गई।
केविन पिटर्सन ने सारफराज़ की किस बात की सराहना की?
पिटर्सन ने कहा कि ‘सारफराज़ की दृढ़ता और शारीरिक बदलाव एक आउटस्टैंडिंग प्रयास है, यह दिखाता है कि मन और शरीर दोनों को टाइम‑लाइन में लाना ज़रूरी है।’
8 टिप्पणि
Naman Patidar
अक्तूबर 15, 2025 AT 23:17वज़न घटाना देख कर छोटी सी खुशी मिली।
Gursharn Bhatti
अक्तूबर 25, 2025 AT 11:46इस डाइट प्लान को देखकर मैं सोचता हूँ कि कितना बड़ा साज़िश शर्षी है।
क्या आपने कभी गौर किया है कि वही कंपनियां जो जंक फूड बेचती हैं, वही फिटनेस गाइड भी प्रकाशित करती हैं?
ऐसा लगता है कि उनके पास एक छिपा हुआ एजेंडा है, जिससे जनता को निरंतर अपने उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।
वज़न घटाने के लिए रोटी‑चावल का पूर्ण त्याग करना आसान नहीं, लेकिन इसे निरंतरता से करने वाले को ही सफलता मिलती है।
कोरोना के बाद से कई लोग घर में ही खड़े होकर इस तरह के ‘सुपर‑डाइट’ को अपनाने लगे हैं।
पर अक्सर यह ध्यान नहीं दिया जाता कि शरीर की जलीयता, माइक्रो‑न्यूट्रिएंट्स की कमी से क्या नुकसान हो सकता है।
नौशाद खान ने अपने बेटे को प्रशिक्षित किया, लेकिन यह भी सच है कि वह एक कोच है, जो अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए हर साधन अपनाता है।
इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि इस डाइट से नौशाद खुद भी 12 किलोग्राम कम कर चुका है, जो शायद एक मार्केटिंग बूस्ट है।
इस तरह के चमत्कारिक परिणाम अक्सर मीडिया में बड़े ही चमकीले शीर्षकों के साथ पेश किए जाते हैं।
हमें यह पूछना चाहिए कि क्या यह सच्ची स्वास्थ्य सुधार है या केवल संख्या‑गिनती का खेल।
इस प्रक्रिया में कई युवा खिलाड़ी भी इस धक्का को महसूस करते हैं, जो नैतिकता के संघर्ष में फँस जाते हैं।
इस डाइट के हर पहलू को वैज्ञानिक प्रमाणों से जांचना महत्वपूर्ण है, नहीं तो हम सब एक जाल में फँस सकते हैं।
बेशक, व्यक्तिगत अनुशासन और कठोर प्रशिक्षण का भी अपना महत्व है, लेकिन इसे केवल डाइट के बादल में ढँक देना उचित नहीं।
मैं मानता हूँ कि अगर हम सच्चाई को समझें, तो हम सभी बेहतर परिणाम पा सकते हैं।
अंत में, चाहे कोई भी मार्ग अपनाए, यह याद रखना चाहिए कि स्वास्थ्य एक सतत यात्रा है, न कि एक ही बार की जीत।
Arindam Roy
नवंबर 4, 2025 AT 01:46भाई, इस डाइट से तो हड़ताल लग जाती है, पर असर साफ़ दिख रहा है।
Namrata Verma
नवंबर 4, 2025 AT 01:55वाकई, कितनी अच्छी डाइट है-बस रोटी‑चावल नहीं, सब्ज़ी‑फल, फिर भी क्या सबको ऐसा कर पाना चाहिए, है ना?
Manish Mistry
नवंबर 13, 2025 AT 16:20ऐसे दिल्ली के शहरी लोग अक्सर फैंसियों के पास अपनी खुद की डाइट को पवित्र मानते हैं, लेकिन असली पोषण विज्ञान इससे कहीं जटिल है।
Rashid Ali
नवंबर 13, 2025 AT 16:28सभी को यही कहना चाहूँगा कि निरंतरता ही कुंजी है, चाहे डाइट कठोर हो या हल्की, नियमित ट्रेनिंग के बिना कोई जादू नहीं।
Tanvi Shrivastav
नवंबर 23, 2025 AT 06:53हूँ, अब तो हर कोई फिटनेस गूगल बन गया है 😂, पर असली मेहनत तो सिर्फ़ शॉट नहीं, बल्कि रोज़ की छोटी‑छोटी लड़ाइयों में छुपी रहती है।
Thirupathi Reddy Ch
दिसंबर 2, 2025 AT 21:26मैं कहूँगा कि यह सब वहीँ तक सीमित है जहाँ तक आँकड़े बोलते हैं, खेल का सत्य कहीं और है।