वित्तीय घाटा: क्या है और क्यों यह महत्व रखता है

क्या सरकार खर्च को टैक्स से पूरा नहीं कर पाती तो क्या होता है? इसका जवाब है — वित्तीय घाटा। सरल भाषा में, वित्तीय घाटा वह रकम है जो सरकार की कुल खर्च और उसकी कुल आय (कर, गैर-कर और अन्य राजस्व) के बीच का अंतर दिखाती है। जब खर्च अधिक और आय कम होती है, तो सरकार घाटा पूरा करने के लिए उधार लेती है।

वित्तीय घाटा कैसे मापा जाता है?

गणना आसान है: वित्तीय घाटा = कुल व्यय − कुल राजस्व (बढ़त और अनुदान के बाद)। एक और ज़रूरी माप है प्राथमिक घाटा — यह वित्तीय घाटा से ब्याज भुगतान हटाकर निकाला जाता है। यानी सरकार के मौजूदा कर्ज पर दिए जा रहे ब्याज को अलग कर देखें तो असल में नई नीतियों की वजह से कितना घाटा हुआ, वह प्राथमिक घाटा बताता है।

ये आंकड़े आमतौर परGDP के प्रतिशत में बताए जाते हैं ताकि देश की अर्थव्यवस्था के सापेक्ष तुलना संभव हो। यह देखने की जरूरत होती है कि घाटा किस कारण बढ़ रहा है — क्या यह पूँजी निवेश के लिए है या सिर्फ रोज़मर्रा के खर्च और सब्सिडी बढ़ने से?

घाटा बढ़ने के असर और समाधान

वित्तीय घाटा बढ़े तो कई असर दिखते हैं: मुद्रास्फीति (इंफ्लेशन) बढ़ सकती है अगर रिजर्व बैंक पैसे छाप कर फंड दे; ब्याज दरें ऊपर जा सकती हैं जिससे प्राइवेट निवेश महँगा हो जाता है; और विदेशी निवेशकों का भरोसा घटकर करेंसी पर दबाव बन सकता है। पर घाटा हमेशा बुरा नहीं होता — अगर वो सड़कों, स्कूलों और स्वास्थ्य पर निवेश के लिए है तो भविष्य में आर्थिक विकास बढ़ सकता है।

घाटा नियंत्रित करने के व्यावहारिक तरीके हैं: टैक्स बेस बढ़ाना (बेहतर कलेक्शन और कर सुधार), अनावश्यक सब्सिडी घटाना, सरकारी व्यय में प्राथमिकता तय करना और पूँजी निवेश पर जोर देना। एक संतुलित रास्ता यह है कि खर्चों में कटौती सिर्फ किफायती न हो, बल्कि ऐसा होना चाहिए कि लंबी अवधि के विकास पर असर न पड़े।

नागरिक के तौर पर आप क्या देख सकते हैं? हर साल बजट में सरकार का लक्ष्य (फिस्कल डिफिसिट टार्गेट), राजस्व अनुमान और पूँजी बनाम राजस्व व्यय पर ध्यान दें। मासिक/त्रैमासिक वित्त मंत्रालय या केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट पढ़ने से पता चलता है कि घाटा किस ट्रेंड में है।

अगर आप रोज़ाना खबरों में 'वित्तीय घाटा' सुनते हैं तो अब यह समझना आसान होगा कि वो शब्द सिर्फ आंकड़ा नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था की दिशा और आपकी जेब दोनों पर असर डालता है। हमारी वेबसाइट पर बजट विश्लेषण और अपडेट्स दिखते रहते हैं — उन्हें फॉलो करके आप तेज़ी से बदलते आर्थिक संकेतों को समझ सकते हैं।

22 जुलाई 2024 0 टिप्पणि Rakesh Kundu

आम बजट 2024 से पहले निवेशकों के लिए ध्यान देने योग्य तीन बातें

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