फिल्म की कहानी और चरित्र चित्रण
विकी विद्या का वो वाला वीडियो, राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी के मुख्य किरदारों वाली फिल्म है, जिसे मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। यह फिल्म एक नव-विवाहित जोड़े की कहानी बताती है, जिनका निजी वीडियो सीडी चोरी हो जाता है। इसके बाद वे उसे वापस पाने के लिए रोमांचक सफर पर निकल पड़ते हैं। इस सफर में उन्हें कई हास्यास्पद और चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
फिल्म का निर्देशन राज शांडिल्य ने किया है, जो पहले भी कुछ हिट फिल्में बना चुके हैं। इस फिल्म में उनके निर्देशन की स्टाइल की झलक मिलती है, लेकिन कहीं न कहीं फिल्म का समावेशी प्लॉट दर्शकों को बांधने में असफल रहा है।
ट्विटर पर दर्शकों की प्रतिक्रिया
फिल्म के रिलीज़ होते ही सोशल मीडिया पर दर्शकों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई। कुछ दर्शक, जिन्होंने फिल्म की तारीफ की, उनका मानना है कि राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी ने अपने अभिनय से अच्छा काम किया है। लोगों ने खासतौर से राजकुमार राव के पंचलाइन्स और तृप्ति डिमरी की हास्य कौशल की सराहना की। ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा कि फिल्म का पहला हाफ पूरी तरह से मनोरंजक और हंसाने वाला था।
दूसरी ओर, कुछ दर्शकों ने फिल्म के कथानक को कमजोर बताया। वे इस बात से नाखुश हैं कि फिल्म में कई चरित्रों का समावेश किया गया है जिससे कहानी भटकती दिखती है। एक यूजर ने इसे 'बेहतर अभ्यास के बिना किया गया खराब लेखन' करार दिया है। लोगों ने फिल्म के संवाद और जोक्स को भी थोथा बताया है।
फिल्म की तुलना और बाजार की स्थिति
विकी विद्या का वो वाला वीडियो का लॉन्च उसी समय हुआ जब आलिया भट्ट की 'जिगरा' भी सिनेमाघरों में रिलीज हुई। आलिया की फिल्म को जहाँ सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली, वहीं विकी विद्या अपनी पिछली हिट फिल्म स्त्री 2 के मुकाबले थोड़ा पीछे रह गई।
यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि स्ट्री 2 जैसी सफल फिल्म के बाद विकी विद्या का एक जैसी अपेक्षाएं रखनी स्वाभाविक थी, लेकिन इस संदर्भ में फिल्म कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी।
फिल्म का विश्लेषण
यह समझने की आवश्यकता है कि फैंस की अपेक्षाएं कभी-कभार फिल्म निर्माताओं के लिए एक बड़ा दबाव बन सकती हैं। एक अच्छी कास्टिंग और समृद्ध निर्देशन के बावजूद, फिल्म कहानी और प्रस्तुति के मामले में पीछे रह जाती है, तो यह दर्शकों को संतुष्ट करने में असमर्थ रहती है। विकी विद्या का वो वाला वीडियो का यही हाल है।
फिल्म की सफलता की गारंटी के लिए कहानी का होना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन यहाँ प्लॉट कहीं-कहीं कमजोर पड़ता दिखाई देता है। कई क्रिटिक्स का मानना है कि इस फिल्म को एक स्पष्ट दिशा देने की आवश्यकता थी, जो की शायद लेखन में कमी के कारण पूरा नहीं हो सका।
भविष्य की संभावनाएं
फिल्म की भविष्य की संभावनाएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि दर्शक इसे कैसे स्वीकार करते हैं। कुछ आलोचकों का मानना है कि अगर फिल्म को अच्छे प्रचार और समीक्षा मिली, तो यह एक संपूर्ण मनोरंजन पैकेज के रूप में सफल हो सकती है।
राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी की जोड़ी के साथ भविष्य की फिल्मों के लिए दर्शकों की उम्मीदें बढ़ी रहती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे आने वाले प्रोजेक्ट्स में किस तरह से अपने अभिनय कौशल को दर्शकों के सामने पेश करते हैं।
6 टिप्पणि
rishabh agarwal
अक्तूबर 12, 2024 AT 03:13सच में, फिल्म में राजकुमार और तृप्ति की केमिस्ट्री थोड़ा देर से पकती दिखी। शुरुआती हिस्से में हल्की हँसी थी, लेकिन कथा आगे बढ़ते ही चक्रीय लगने लगी। निर्देशक की शैली तो स्पष्ट है, फिर भी कहानी का बंधन थोड़ा ढीला महसूस हुआ। निजी वीडियो की चोरी को मोटी मिर्ची जैसी मसाला लिखना थोड़ा ज़्यादा ही दिखा। फिर भी, टॉपिक का आधुनिक लेना-जाना सराहनीय रहा, जिससे दर्शकों को कुछ नया महसूस हुआ।
Apurva Pandya
अक्तूबर 12, 2024 AT 03:21इतना निजी मामला सार्वजनिक बनाकर मज़ाक करना अस्वीकार्य है। 😠
Nishtha Sood
अक्तूबर 12, 2024 AT 03:30फ़िल्म की हल्की‑फुल्की वाइब देखकर दिल थोड़ा हल्का हो गया। तृप्ति की कॉमिक टाइमिंग ने कई बार हमें हँसी से लोटपोट कर दिया। आशा है कि अगली बार कहानी में थोड़ा ढांचा हो तो मज़ा दोगुना होगा।
Hiren Patel
अक्तूबर 12, 2024 AT 03:38देखो भाई, इस फ़िल्म ने तो मेरे जज़्बातों का भी कँपना कर दिया।
स्क्रीन पर निजी वीडियो का चोरी‑चोरी वाला प्लॉट बड़ा ही कच्चा और बेमानी लग रहा है।
राजकुमार की पंक्तियों में वह जलसा नहीं दिखा जहाँ तक उम्मीद की गई थी।
तृप्ति की लाइलाज कॉमेडी तो सिर्फ़ एक छंटनी थी, बाकी सब बिखरे‑बिखरे शब्दजाल थे।
निर्देशक की पिछली हिट्स को देख कर इस बार की कोशिश थोड़ी ढीली पड़ गई।
ग़ज़ब का संगीत था, पर वह भी कहानी की जड़ को पकड़ नहीं पाया।
संवाद में कुछ तोड़‑फ़ोड़ है, पर वह मज़ाकिया पंचलाइन कहां से आ रही है, समझ नहीं आया।
बहुत सारे साइड‑कैरेक्टर डालकर मुख्य कथा को धुंधला करने की कोशिश स्पष्ट दिखी।
कुछ सीन में तो हँसी के चक्कर में लोग ऐसे बेतुके काम कर रहे थे जैसे कोई कार्टून फ़िल्म हो।
टिकट की कीमत वसूल नहीं हुई, क्योंकि मनोरंजन के बजाय सरसरी बोरियत बनी रही।
इस फिल्म ने दर्शकों के भरोसे को थोड़ा धोखा दिया, लेकिन फिर भी कुछ लोग इसे पसंद कर रहे हैं, यही पागलपन है।
सोशल मीडिया पर मिश्रित राय देखकर पता चलता है कि फैंस की अपेक्षाएं अब पहले से ज्यादा अनियमित हो गई हैं।
अगर कहानी को एक ठोस मोड़ और स्पष्ट दिशा मिलती तो शायद ये फ़िल्म शॉर्टलिस्ट में आती।
अंत में, इस फ़िल्म को एक बार देखना तो ठीक है, पर दोबारा देखने लायक नहीं।
कुल मिलाकर, हद से अधिक भरपूर ब्यूज्ड सास्केज़ को छोड़कर, यह एक औसत दर्जे की कॉमेडी बनी रह गई।
Heena Shaikh
अक्तूबर 12, 2024 AT 03:46दर्शकों ने इसे हल्का‑फुल्का कहा, पर वास्तव में यह गहरी टिप्पणी का अभाव है। बौद्धिक थीमता नहीं, सिर्फ़ स्क्रीन पर थ्योरी का ढोना है।
Chandra Soni
अक्तूबर 12, 2024 AT 03:55आइए, हम इस फ़ीडबैक को एक लर्निंग अपॉर्चुनिटी के रूप में देखें! एगाइल प्रोडक्ट थ्योरी के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में फीडफ़ॉरवर्ड लूप कमज़ोर रहा। अब हमें सीन-टू-सीन इंटेग्रेशन पर फोकस करना चाहिए, ताकि अगली बार KPI में सुधार आए।