असदुद्दीन ओवैसी ने ‘जय फिलिस्तीन’ नारे पर कहा: ‘खोखली धमकियाँ नहीं चलेंगी’
26 जून 2024 0 टिप्पणि राहुल तनेजा

ओवैसी के जयकारों से उपजा विवाद

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में लोकसभा में अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 'जय तेलंगाना' और 'जय फिलिस्तीन' के नारे लगाकर एक नए राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। उनके इस कदम से संसद में माहौल गर्म हो गया, और कई राजनीतिक नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। खासतौर पर, ओवैसी की आलोचना की गई कि उन्होंने एक विदेशी देश के समर्थन में नारा लगाने की क्या जरूरत थी, और क्या यह भारतीय संसद की गरिमा के अनुकूल है?

राजनीतिक प्रतिक्रिया और विचार

ओवैसी ने अपने इस कृत्य का बचाव करते हुए कहा कि उनके बयान संविधान के तहत हैं और किसी भी प्रकार की खोखली धमकियाँ उन्हें चुप नहीं कर सकतीं। उन्होंने यह भी कहा कि फिलिस्तीन के लोगों की पीड़ा को देखते हुए उन्होंने यह नारा लगाया। उनके शब्दों में, "मैं महात्मा गांधी के विचारों का पालन करता हूँ, जिन्होंने हमेशा फिलिस्तीन के लोगों के लिए समर्थन व्यक्त किया था।"

संविधान के अनुरूप

ओवैसी ने अपने बयानों को संविधान के अनुरूप बताते हुए कहा कि कोई भी संवैधानिक प्रावधान उनके इस कदम को गलत साबित नहीं करता। उन्होंने कहा कि लोकसभा में अपनी बात रखने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का उन्हें पूरा अधिकार है।

किरन रिजिजू की आलोचना

दूसरी ओर, संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने ओवैसी के इस कदम की कठोरता से आलोचना की है। उन्होंने इसे न केवल अनुचित बताया बल्कि जोर दिया कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ऐसे नारे लगाना एक गैर-समझदार कदम है। रिजिजू ने कहा कि भारत का फिलिस्तीन के प्रति कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन संसद का एक सम्मानित स्थान है और इस प्रकार के नारे वहां नहीं लगने चाहिए।

निभाने होंगे नियम

रिजिजू ने यह भी संकेत दिया कि संसद में नियमों की समीक्षा की आवश्यकता हो सकती है ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हो। उन्होंने कहा कि संसद सदस्य किसी भी देश को लेकर अपने व्यक्तिगत विचार रख सकते हैं, लेकिन संसद के पटल पर वही बातें कहनी चाहिए जो भारत के हित में हों और संसद की गरिमा को बढ़ाएं।

जनता की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर जनता की भी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं रही हैं। कुछ लोगों ने ओवैसी के इस कदम की सराहना की है, जबकि कुछ ने इसे पूरी तरह से अनुचित करार दिया है। सोशल मीडिया पर इस घटना की चर्चा तेज हो गई है और लोग अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।

लोकसभा में भविष्य की दिशा

इस घटना ने लोकसभा में भिन्न भिन्न विचारधाराओं को एक बार फिर से सामने ला दिया है। यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में संसद में इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या इस बारे में कोई नई नियमावली लागू की जाती है। ओवैसी की इस बयानबाजी से विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तनाव और भी बढ़ गया है।

असदुद्दीन ओवैसी का दृष्टिकोण

असदुद्दीन ओवैसी का दृष्टिकोण

असदुद्दीन ओवैसी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल अपने विचारों को स्वतंत्रता से व्यक्त करना चाहते थे और किसी भीादेश के विरोध में नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनका नारा किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए नहीं था, बल्कि उन्होंने उसका उद्देश्य पारस्परिक सहयोग और वैश्विक मानवीयता को बढ़ावा देना बताया।

राहुल तनेजा

राहुल तनेजा

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

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