Asian Markets Rally: ट्रंप की टैरिफ नीति से निक्केई ने रचा रिकॉर्ड, निवेशकों में हलचल
17 जून 2025 7 टिप्पणि Rakesh Kundu

एशियाई शेयर बाजारों में धमाल: ट्रंप की टैरिफ नीति बनी चर्चा का विषय

जून 2025 की शुरुआत में एशियाई शेयर बाजारों में तगड़ी तेजी देखने को मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा टैरिफ फैसलों के बाद जापान का Nikkei रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसने निवेशकों और कारोबारियों में खलबली मचा दी है। ट्रंप के इकोनॉमिक ऐक्शन का सीधा असर चीन, यूरोप और यहां तक कि दिग्गज टेक कंपनी एप्पल पर भी नज़र आ रहा है।

सबसे पहले स्टील और एल्युमिनियम पर डबल टैरिफ का ऐलान हुआ। ट्रंप ने साफ तौर पर कहा कि 4 जून 2025 से ये टैक्स 50% हो जाएगा। उनके मुताबिक, यह कदम अमेरिकी स्टील इंडस्ट्री को मज़बूत करने और विदेशी कंपनियों की चालाकियों पर लगाम लगाने की कोशिश है। इसी बीच यूएस-स्टील और निप्पॉन स्टील के बीच $14 बिलियन की डील भी हुई, जिसमें अमेरिकी मालिकाना हक और रोजगार बरकरार रखने की शर्त जोड़ी गई।

इधर यूरोप को लेकर भी ट्रंप प्रशासन ने मोर्चा खोल दिया। उन्होंने यूरोपीय यूनियन से आने वाले सभी उत्पादों पर 50% टैक्स लगाने की धमकी दे दी। वजह? अमेरिकी सरकार के मुताबिक, यूरोप के साथ ट्रेड डील बात नहीं बन पा रही थी और बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा चल रही थी।

वहीं, एप्पल भी केंद्र में है क्योंकि अमेरिकी प्रशासन चाहता है कि कंपनी आईफोन का प्रोडक्शन देश में ही करे। अगर इसमें देरी होती है तो एप्पल प्रोडक्ट्स पर 25% नया टैक्स लग सकता है। हालांकि, इसपर कोई फाइनल टाइमलाइन नहीं दी गई है।

चीन की जवाबी रणनीति और कानूनी विवाद

चीन की जवाबी रणनीति और कानूनी विवाद

चीन ने शुरू में अमेरिका से आने वाले निर्यात पर टैरिफ 125% तक बढ़ा दिए थे। लेकिन दोनों देशों के बीच 10 जून को एक 90 दिन का समझौता हुआ, जिससे चीनी टैरिफ घटकर 10% रह गए। इसमें अहम बात यह थी कि चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स की सप्लाई पर लगाई गई सख्ती भी थोड़ी कम की। इस सौदे का असर बाजार में साफ दिख रहा है।

बीच में अमेरिकी कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (CIT) ने इमरजेंसी टैरिफ बढ़ाने पर रोक लगा दी। लेकिन पहले से जारी टैरिफ लागू रहे, जिससे आपूर्ति शृंखलाओं और निवेशकों पर दबाव बरकरार है। एक्सपर्ट कहते हैं, इस तरह की नीतियों से ग्लोबल इकॉनमी की रफ्तार सुस्त हो सकती है, आम आदमी को ज्यादा दाम चुकाने पड़ सकते हैं और नौकरियों पर भी खतरा आ सकता है। ट्रंप सरकार अब कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की तैयारी में है और कानून बनाकर या सेक्शन 301 व 232 जैसे नियमों का दायरा बढ़ाकर नए रास्ते तलाश रही है।

अभी Copper और लकड़ी से जुड़े सेक्शन 232 रिव्यू रिपोर्ट्स भी जारी हैं, जो नवंबर में पेश होंगी। इससे भविष्य में और टैरिफ बढ़ाने की संभावनाएं बनी हुई हैं।

90 दिन की टैरिफ-सीजफायर, चीन-अमेरिका डील और गेट-टुगेदर की वजह से इन्वेस्टर्स में फिलहाल तो राहत का माहौल दिख रहा है। लेकिन आगे क्या होगा, इसको लेकर बाजार और बिजनेस लीडर्स के मन में असमंजस बरकरार है। G7 समिट के आस-पास अमेरिकी नीति पर सवाल भी उठ रहे हैं, कि अगला कदम किस दिशा में जाएगा? ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रेड पॉलिसी की यह उठा-पटक दुनिया भर की इकॉनमी और बाजार को किस ओर ले जाती है।

Rakesh Kundu

Rakesh Kundu

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

7 टिप्पणि

Anirban Chakraborty

Anirban Chakraborty

जून 17, 2025 AT 19:06

ट्रंप की टैरिफ नीति से सिर्फ बड़े कंपनियों को ही फायदा नहीं, आम जनता को भी बोझ उठाना पड़ेगा। जब स्टील और एल्युमिनियम पर 50% टैक्स लगाया जाता है, तो वस्तुओं की कीमतें तुरंत बढ़ जाती हैं। इससे भारतीय निर्माताओं को कच्चे माल आयात करने में कठिनाई होगी और अंततः हमारे बाजार में महँगी चीजें बढ़ेगी। निवेशकों को इन अस्थिरताओं के कारण अपने पोर्टफोलियो को पुनः संतुलित करना पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि वह घरेलू उद्योगों को समर्थन दे, न कि विदेशियों को नुकसान पहुँचाए। अंत में, सभी को याद रखना चाहिए कि आर्थिक नीति का मुख्य लक्ष्य रोजगार और स्थिरता होना चाहिए।

Krishna Saikia

Krishna Saikia

जून 17, 2025 AT 20:06

हमारे देश के उद्योगों को बचाने के लिए हमें विदेशी दबाव को टालना चाहिए। ट्रंप की ऐसी हरकतें दिखाती हैं कि वह अपने घरेलू हितों को प्राथमिकता दे रहा है, न कि वैश्विक सहयोग को। इसलिए हमें अपनी क्षमताओं पर भरोसा रख कर आत्मनिर्भरता बढ़ानी चाहिए।

Meenal Khanchandani

Meenal Khanchandani

जून 17, 2025 AT 21:06

निःसंकोच कहूँ तो यह नीति भारतीय उद्योगों के लिए खतरा है।

Anurag Kumar

Anurag Kumar

जून 17, 2025 AT 22:53

नवीन टैरिफ व्यवस्था ने एशिया के शेयर बाजारों में तेज़ी लाई है, लेकिन इस उछाल की जड़ में कई जोखिम छिपे हैं। सबसे पहले, स्टील और एल्युमिनियम पर डबल टैरिफ का मतलब है कि कच्चे माल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे निर्माण उद्योग की मार्जिन कम हो जाएगी। दूसरा, चीन के साथ की 90‑दिन की समझौता भी अस्थायी राहत देती है, पर मूलभूत विसंगतियों को नहीं सुलझाती। निवेशकों को इस समय पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहिए, चाहे वह टेक, उपभोक्ता वस्तु या ऊर्जा सेक्टर में हो। जपान का निक्केई रिकॉर्ड भले ही आकर्षक लगे, पर उसकी मजबूती विदेशी मांग पर बहुत हद तक निर्भर है। यदि अमेरिकी टैरिफ बढ़ता रहा, तो निर्यात घटेगा और लाभ कम हो सकता है। भारतीय निर्यातकों को भी इसी दिशा में तैयार रहना चाहिए, खासकर जब अमेरिकी कंपनियों को भी लागत बढ़ाने की जरूरत है। ट्रेड नीति में अचानक बदलाव से विदेशी निवेशकों का भरोसा कम हो सकता है, इसलिए भारतीय कंपनियों को घरेलू बाजार में समृद्धि लाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, निर्यातकों को अपनी सप्लाई चेन को लचीला बनाकर जोखिम कम करना चाहिए, जैसे कई स्रोतों से कच्चा माल लेना। यदि आप एप्पल जैसी बड़े ग्राहकों के साथ काम कर रहे हैं, तो वैकल्पिक उत्पादन स्थानों का अध्यन आवश्यक है। सरकार को चाहिए कि वह इस दौर में छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए कर राहत प्रदान करे, जिससे उत्पादन लागत घटे। निवेशकों को सलाह है कि वे अल्पकालिक उछाल के कारण हँसें नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रुझानों पर ध्यान दें। विशेषकर, ऊर्जा और धातु सेक्टर में अगले कुछ महीनों में अस्थिरता बनी रह सकती है। यह समय वित्तीय सलाहकार की मदद लेने का भी उपयुक्त है। इसलिए, अगर आप शेयर खरीदने की सोच रहे हैं, तो जोखिम प्रबंधन को प्राथमिकता दें। अंत में, ट्रेड वार के बीच भी निवेशकों को धैर्य रखकर अपनी रणनीति में लचीलापन बनाए रखना चाहिए।

Prashant Jain

Prashant Jain

जून 17, 2025 AT 23:53

बहुत बढ़िया विश्लेषण, लेकिन वास्तविक डेटा की कमी है।

DN Kiri (Gajen) Phangcho

DN Kiri (Gajen) Phangcho

जून 18, 2025 AT 01:40

मैं समझता हूँ कि इस स्थिति में कई लोग बेचैन हैं, इसलिए हमें सामूहिक रूप से एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए। छोटे व्यापारियों को खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि उनके पास लचीलापन कम होता है। सरकार को चाहिए कि वह राहत के पैकेज जल्दी से जारी करे, ताकि बाजार स्थिर हो सके। साथ ही, निवेशकों को भी सतर्क रहना चाहिए और भावनाओं से नहीं, आंकड़ों से निर्णय लेना चाहिए।

Yash Kumar

Yash Kumar

जून 18, 2025 AT 02:40

ज्यादातर लोग इस उछाल को बोनस समझ रहे हैं पर असली मंझिल में गिरावट छुपी है

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