एशियाई शेयर बाजारों में धमाल: ट्रंप की टैरिफ नीति बनी चर्चा का विषय
जून 2025 की शुरुआत में एशियाई शेयर बाजारों में तगड़ी तेजी देखने को मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा टैरिफ फैसलों के बाद जापान का Nikkei रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसने निवेशकों और कारोबारियों में खलबली मचा दी है। ट्रंप के इकोनॉमिक ऐक्शन का सीधा असर चीन, यूरोप और यहां तक कि दिग्गज टेक कंपनी एप्पल पर भी नज़र आ रहा है।
सबसे पहले स्टील और एल्युमिनियम पर डबल टैरिफ का ऐलान हुआ। ट्रंप ने साफ तौर पर कहा कि 4 जून 2025 से ये टैक्स 50% हो जाएगा। उनके मुताबिक, यह कदम अमेरिकी स्टील इंडस्ट्री को मज़बूत करने और विदेशी कंपनियों की चालाकियों पर लगाम लगाने की कोशिश है। इसी बीच यूएस-स्टील और निप्पॉन स्टील के बीच $14 बिलियन की डील भी हुई, जिसमें अमेरिकी मालिकाना हक और रोजगार बरकरार रखने की शर्त जोड़ी गई।
इधर यूरोप को लेकर भी ट्रंप प्रशासन ने मोर्चा खोल दिया। उन्होंने यूरोपीय यूनियन से आने वाले सभी उत्पादों पर 50% टैक्स लगाने की धमकी दे दी। वजह? अमेरिकी सरकार के मुताबिक, यूरोप के साथ ट्रेड डील बात नहीं बन पा रही थी और बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा चल रही थी।
वहीं, एप्पल भी केंद्र में है क्योंकि अमेरिकी प्रशासन चाहता है कि कंपनी आईफोन का प्रोडक्शन देश में ही करे। अगर इसमें देरी होती है तो एप्पल प्रोडक्ट्स पर 25% नया टैक्स लग सकता है। हालांकि, इसपर कोई फाइनल टाइमलाइन नहीं दी गई है।

चीन की जवाबी रणनीति और कानूनी विवाद
चीन ने शुरू में अमेरिका से आने वाले निर्यात पर टैरिफ 125% तक बढ़ा दिए थे। लेकिन दोनों देशों के बीच 10 जून को एक 90 दिन का समझौता हुआ, जिससे चीनी टैरिफ घटकर 10% रह गए। इसमें अहम बात यह थी कि चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स की सप्लाई पर लगाई गई सख्ती भी थोड़ी कम की। इस सौदे का असर बाजार में साफ दिख रहा है।
बीच में अमेरिकी कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (CIT) ने इमरजेंसी टैरिफ बढ़ाने पर रोक लगा दी। लेकिन पहले से जारी टैरिफ लागू रहे, जिससे आपूर्ति शृंखलाओं और निवेशकों पर दबाव बरकरार है। एक्सपर्ट कहते हैं, इस तरह की नीतियों से ग्लोबल इकॉनमी की रफ्तार सुस्त हो सकती है, आम आदमी को ज्यादा दाम चुकाने पड़ सकते हैं और नौकरियों पर भी खतरा आ सकता है। ट्रंप सरकार अब कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की तैयारी में है और कानून बनाकर या सेक्शन 301 व 232 जैसे नियमों का दायरा बढ़ाकर नए रास्ते तलाश रही है।
अभी Copper और लकड़ी से जुड़े सेक्शन 232 रिव्यू रिपोर्ट्स भी जारी हैं, जो नवंबर में पेश होंगी। इससे भविष्य में और टैरिफ बढ़ाने की संभावनाएं बनी हुई हैं।
90 दिन की टैरिफ-सीजफायर, चीन-अमेरिका डील और गेट-टुगेदर की वजह से इन्वेस्टर्स में फिलहाल तो राहत का माहौल दिख रहा है। लेकिन आगे क्या होगा, इसको लेकर बाजार और बिजनेस लीडर्स के मन में असमंजस बरकरार है। G7 समिट के आस-पास अमेरिकी नीति पर सवाल भी उठ रहे हैं, कि अगला कदम किस दिशा में जाएगा? ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रेड पॉलिसी की यह उठा-पटक दुनिया भर की इकॉनमी और बाजार को किस ओर ले जाती है।
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