अज़ाम खान की सिटापुर जेल से रिहाई: 23 महीने बाद भीड़ और भारी राजनीतिक अटकलें
24 सितंबर 2025 0 टिप्पणि Rakesh Kundu

23 сентября 2025 को सिटापुर के जेल द्वार से अज़ाम खान ने कदम बाहर रखा, लगभग दो साल की कैद गुमराह नहीं रही। उनके साथ दो बेटे, अब्दुल्ला और अदीब, एक निजी कार में सवार होकर अपने गढ़ शहर रामपुर की ओर रवाना हुए। इस रिहाई को लेकर सर्कस का माहौल, सुरक्षा के कड़ी उपाय और राजनैतिक अफवाहों ने सबको घेर रखा था।

रिहाई का माहौल

जैसे ही जेल के द्वार खुले, अदीब अज़ाम खान ने सुबह जल्दी से लेकर जेल के पास परेड कर रहे समर्थकों को देखा। पार्टी के कई बड़े नेता, जिसमें राष्ट्रीय सचिव अनु उपर गुप्ता, मोरादाबाद सांसद रूची वीरा और जिला अध्यक्ष चातुर्पति यादव शामिल थे, भीड़ में थे। हजारों पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक लाउडस्पीकर की चेतावनी के बावजूद इकट्ठा हुए, जिससे पुलिस ने सेक्शन 144 लागू कर दिया।

जेल में तब तक रिहाई नहीं हो सकी क्योंकि रैंपुर कोर्ट द्वारा तय 8,000 रुपये के जुर्माने का भुगतान अभी तक नहीं हुआ था। यह जानकारी जेल प्रबंधन को मिलते ही सबसे पहले 10 बजे फॅक्स के माध्यम से भेजी गई। अंत में क़ज़ी फ़रहान उल्ला खान ने भुगतान कर दिया और रिहाई का आदेश जारी हो गया।

सुरक्षा का माहौल कड़ा था। सिटापुर के सभी मुख्य चौकियों में 100 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे, और मोटर गश्त का विशेष प्रबंध किया गया। ध्वनि-प्रकाश व्यवस्था के साथ भीड़ को नियंत्रण में रखने की कोशिश की गई, लेकिन फिर भी काफी संख्या में जनता जेल के आसपास इकट्ठा हो गई।

राजनीतिक परिपेक्ष्य

राजनीतिक परिपेक्ष्य

रिहाई के बाद अज़ाम खान ने मीडिया से बात नहीं की, पर खिड़की से हाथ हिलाते हुए अपने सहयोगियों को धन्यवाद कहा। बायजु पार्टी में शामिल होने की अफवाहों को उन्होंने खारिज कर कहा, यह बताते हुए कि जेल में रहते हुए उन्हें फोन नहीं दिया गया था। इस दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि अगर पार्टी फिर से सरकार बनती है, तो सभी "झूठे" केस वापस ले ली जाएँगे।

शिवपाल सिंह यादव ने यादी सरकार पर हमला किया, और कहा कि अज़ाम खान पर कई मामलों में "फ्रेम" किया गया है। तत्कालीन महिला सांसद रूची वीरा ने भी कहा कि यह रिहाई पार्टी के लिए एक "ज्वालामुखी" होगी, क्योंकि कई सीटों में अभ्यर्थियों की स्थिति इस पर निर्भर कर सकती है।

कुल मिलाकर अज़ाम खान के खिलाफ 104 केस दायर थे, जिनमें से 72 पर अदालत ने रिहाई का आदेश दिया था। प्रमुख मामला क्वालिटी बार भूमि अतिक्रमण था, जिसका बाइल 2025 में अलाहाबाद उच्च अदालत ने दिया था। इस रिहाई से यूपी की राजनैतिक धारा में नयी लहर आ गई है, जहाँ सभी प्रमुख पार्टियाँ इस बदलाव का फायदा उठाने की कोशिश में लगी हुई हैं।

Rakesh Kundu

Rakesh Kundu

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।