2024 का चुनावी दंगल: मंडी सीट पर कांटे की टक्कर
2024 के लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट पर एक हाई-प्रोफाइल चुनावी टक्कर देखने को मिली। एक ओर बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री से नेता बनीं कंगना रनौत, जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की उम्मीदवार थीं, तो दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विक्रमादित्य सिंह। इस सीट पर चुनावी जंग ने राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा।
मंडी की राजनीतिक पृष्ठभूमि
मंडी लोकसभा क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। लेकिन 2019 के चुनावों में बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी, जिससे इस क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ मजबूत हुई। शर्मा ने 43% से अधिक वोटों के अंतर से विजय हासिल की थी।
कंगना रनौत का चुनावी पदार्पण
कंगना रनौत ने इस बार अपने चुनावी पदार्पण के साथ बड़े जोर-शोर से प्रचार किया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के अन्य ऊँच-नीच नेताओं का भी समर्थन मिला। कंगना ने माना था कि उनकी लोकप्रियता और कार्यक्षमता उन्हें इस चुनाव में जीत हासिल करने में मदद करेगी।
विक्रमादित्य सिंह की रणनीति
वहीं विक्रमादित्य सिंह, जो हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं, ने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत और कांग्रेस की संगठित शक्ति के दम पर चुनौती पेश की। विक्रमादित्य को उम्मीद थी कि उनकी पारी और कांग्रेस की ऐतिहासिक पकड़ उन्हें इस महत्वपूर्ण सीट पर जीत दिलाएगी।
वोटिंग और एग्जिट पोल
मंडी में मतदान के वक्त 62% वोटर टर्नआउट रहा, जो 2019 के 73.6% टर्नआउट से थोड़ा कम था। इस गिरावट के बावजूद, लोगों में राजनीतिक उत्साह और जिज्ञासा देखने को मिली। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल ने कंगना रनौत की जीत का अनुमान लगाया था, जिसका कारण उनकी स्टार पावर और बीजेपी की संगठित मजबूती माना गया।
चुनाव परिणाम और राजनीतिक परिणाम
चुनाव के अंतिम परिणामों की घोषणा 4 जून, 2024 को हुई। इन परिणामों के राजनीतिक महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह चुनाव हिमाचल प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ।
अंततः, मंडी सीट पर 2024 का चुनाव सिर्फ कंगना रनौत और विक्रमादित्य सिंह के बीच की जंग नहीं थी, बल्कि दो दलों की प्रतिष्ठा और भविष्य के राजनीतिक समीकरणों की कसौटी भी थी। मांडवी निर्वाचन क्षेत्र ने दिखाया कि जब राजनीति में सेलेब्रिटी और वंशवाद टकराते हैं, तब चुनावी परिदृश्य कितना दिलचस्प हो जाता है। इस चुनाव ने न केवल उम्मीदवारों की किस्मत बदली, बल्कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति को भी नये रंग-रूप में प्रस्तुत किया।
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