नॉर्थ बंगाल में तीव्र बारिश ने 17 मौतें, दरजीलींग‑जल्पा गुड़ी में विशाल बाढ़‑लैंडस्लाइड
6 अक्तूबर 2025 2 टिप्पणि Rakesh Kundu

जब ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार ने 5 अक्टूबर को घोषणा की कि उत्तर‑बंगाल में 12 घंटे में 300 मिमी से अधिक बारिश हो गई, तो इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि भारी बारिश ही कई गाँवों को बाढ़‑लैंडस्लाइड के अंधकार में धकेलेगी।

इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट) ने 4 अक्टूबर शाम से 5 अक्टूबर सुबह तक जालावाड़ी जिला में 370 मिमी और दरजीलींग में 270 मिमी बरसात दर्ज की। ये आंकड़े पिछले दशक के औसत से दो‑तीन गुना अधिक हैं, जिससे बाढ़‑लैंडस्लाइड के दुष्प्रभावों से बचना मुश्किल हो गया।

पृष्ठभूमि और मौसमी परिस्थितियाँ

अक्टूबर का महीना आमतौर पर उत्तर‑बंगाल में देबाली (ताप‑हवा) के कारण भारी वर्षा लाता है, लेकिन इस बार मौसमी बवंडर ने हिमालयी जल स्रोतों को अत्यधिक दबाव में डाल दिया। साथ ही, भूटान के ताला हाइड्रोपावर डैम में तकनीकी गड़बड़ी के कारण जल स्तर तेजी से बढ़ा, जिससे भू‑भौगोलिक आपदा का खतरा बढ़ गया।

वर्तमान स्थिति और मृत्युदंड

ड्रिजिलिंग, जाल्पा गुड़ी, कालिम्पोङ, और अलिपुर्दुार जिलों में कुल 17 लोगों की मृत्‍यु की पुष्टि हुई। कुछ ठहराव बिंदुओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मिरिक क्षेत्र में अकेले सात शव बरसात के बाद बचे मलबे से निकाले गये। अभिषेक राय, कुरसेऑंग में अतिरिक्त पुलिस सुपरिंटेंडेंट, ने कहा, "सात शव पहले ही बरामद हो चुके हैं, दो और व्यक्तियों के बारे में सूचना मिली है, टीमें अभी भी खोज कार्य जारी रखी हैं"।

अधिकारीयों की प्रतिक्रिया

राजेश कुमार यादव (राजेश कुमार यादव), उत्तर‑बंगाल पुलिस के डीजी और आईजी, ने sites का निरीक्षण कर कहा कि स्थिति धीरे‑धीरे स्थिर हो रही है, परंतु पुनर्स्थापना कार्य में कई चुनौतियां हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पुलों और सड़कों की मरम्मत के लिए भारी‑भारी मशीनें भेजी जा रही हैं, परंतु पहाड़ी भूभाग की फिसलन के कारण काम काफी कठिन हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (नरेंद्र मोदी) के कार्यालय ने 5 अक्टूबर को कहा कि केंद्र सरकार ने तत्काल राहत एवं पुनर्वास के लिए फंड तैयार कर दिया है और राज्य सरकार को सभी आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाएगा।

पर्यटकों और स्थानीय जनसंख्या पर असर

गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन) ने सभी पर्यटन स्थल बंद करने का आदेश जारी किया। मिरिक में स्थित कई होटल अब खाली कर दी गई हैं, जबकि पुलिस ने तीन‑चार घंटे में सभी पर्यटकों को तिनधरिया रोड के माध्यम से सुरक्षित बाहर निकाला।

सिखिम राज्य को भी इस आपदा ने लगभग पूरी तरह से अलग‑थलग कर दिया है; राष्ट्रीय राजमार्ग 10 (NH 10) पर बड़े‑बड़े ढहाव आए हैं, जिससे जिला‑जिला स्तर पर समान्य यातायात पूरी तरह रुक गया। सिखिम पुलिस ने एक नोटिस जारी कर कहा कि कई प्रमुख सड़कें बंद हैं और आपदा राहत के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ली जाएगी।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • जाल्पा गुड़ी में 12 घंटे में 370 मिमी बरसात (इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट)
  • दरजीलींग में 270 मिमी बरसात
  • कुल मृत्युदंड: 17 लोग
  • मुख्य प्रभावित जिले: दरजीलींग, जाल्पा गुड़ी, कालिम्पोङ, अलिपुर्दुार
  • भूटान के ताला डैम के तकनीकी फेल्योर के कारण अतिरिक्त जल प्रवाह

भविष्य की संभावनाएँ और तैयारी

इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने 6 अक्टूबर से आगे भी लगातार बरसात की संभावना जताई है और रेड वॉर्निंग जारी रखी है। स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन शिविर स्थापित कर कंधे‑से‑कंधे राहत वितरण शुरू कर दिया है। साथ ही, सड़कों के स्थायी पुनर्निर्माण के लिए राज्य और केंद्र दोनों ने मिलकर एक विशेष बजट अलॉट किया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं के असर को घटाया जा सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस बाढ़‑लैंडस्लाइड से किसे सबसे अधिक नुकसान हुआ?

स्थानीय किसान और छोटे व्यवसायी सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। उनके खेतों में गहरी धेरियों ने फसलों को नष्ट कर दिया, जबकि कई घरों की दीवारें ढह गईं, जिससे हजारों लोग अस्थायी शरणस्थल में रह रहे हैं।

सरकार ने राहत कार्यों के लिए क्या कदम उठाए हैं?

राज्य सरकार ने तत्काल 500 कुशल टीमें, 20 हेलीकॉप्टर, और 30 टैंकर स्थापित किए हैं। केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपये का आपातकालीन कोष जारी किया है, और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय NGOs को सहयोग के लिए आमंत्रित किया है।

भूटान के ताला डैम की समस्या कैसे हल होगी?

भूटान सरकार ने डैम के नियंत्रण कमरे में तुरंत तकनीकी टीम भेजी है और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर जल निकासी को नियंत्रित करने का उपाय कर रही है। वर्तमान में डैम से निकलते पानी को नियत दिशा में बहाया जा रहा है, जिससे बाढ़ के जोखिम को घटाया जा रहा है।

भविष्य में इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

विज्ञान‑आधारित चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना, पहाड़ी क्षेत्रों में बायो‑इंजीनियरिंग बाधाएं स्थापित करना, तथा जल संसाधन प्रबंधन में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना मुख्य उपाय हैं। साथ ही, मौसमी पूर्वानुमानों को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय मौसम सेवा को अतिरिक्त संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता है।

Rakesh Kundu

Rakesh Kundu

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

2 टिप्पणि

subhashree mohapatra

subhashree mohapatra

अक्तूबर 6, 2025 AT 03:20

सरकार की फटाफट राहत घोषणा तो ठीक है, पर असली समस्या तो प्रीइंट्रस्टॉरज और जल निकासी योजना में खामी है। जलीय सुरक्षा के लिए जलस्तर मॉनिटरिंग पूरी तरह से इंटिग्रेट नहीं हुई। इस तरह के बवंडर के बाद फिर से वही पुरानी नीति दोहराई जा रही है।

ajay kumar

ajay kumar

अक्तूबर 6, 2025 AT 04:43

भाई लोग, जो भी करो, लोकल लीडर जल्दी से राहत के लिए टेंट लगाओ। लोग अब भी घर में फंसे हैं और खाने की कमी है। मोबाइल नेटवर्क भी टूट गया है, गांव वाले बाहर नहीं जा पाते। हमें मिलजुल कर मदद करनी चाहिए।

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