नीतीश कुमार की जीत, तेजस्वी यादव के सपने चकनाचूर: बिहार चुनाव 2025 का बड़ा नतीजा
15 नवंबर 2025 0 टिप्पणि Rakesh Kundu

शुक्रवार सुबह 8 बजे जब बिहार की विधानसभा चुनाव मतगणना शुरू हुई, तो मतदाताओं की उम्मीदें एक तरफ थीं, और सट्टा बाजार के भाव दूसरी तरफ। लेकिन शाम तक जो नतीजा सामने आया, वो किसी के लिए आश्चर्य नहीं था — NDA ने चुनाव जीत लिया, और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन गए। तेजस्वी यादव के महागठबंधन का बड़ा सपना चकनाचूर हो गया — न सिर्फ जीत नहीं, बल्कि उनकी अपनी सीट भी चली गई।

कैश ने बदल दिया वोट का खेल

ये जीत किसकी थी? नीतीश सरकार की वह योजना जिसके बारे में कुछ लोग हंसे — 1.7 करोड़ महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये का कैश ट्रांसफर। ये न सिर्फ एक आर्थिक सहायता थी, बल्कि एक राजनीतिक बम जिसका विस्फोट चुनाव के दिन हुआ। महिला मतदान दर 71.78% रही, जबकि पुरुषों में ये दर केवल 62.98% थी। 8.15% का अंतर? ये वो फासला है जिसने पूरे चुनाव का रुख बदल दिया। NDA को 45% से ज्यादा महिला वोट मिले, जबकि महागठबंधन को उसके बराबर भी नहीं। तेजस्वी यादव ने 2,500 रुपये मासिक देने का वादा किया, लेकिन लोगों ने अभी बरकरार नकदी को बेहतर समझा।

राघवपुर: एक यादव का गिरना, एक बीजेपी का उठना

चुनाव का सबसे दिल धड़काने वाला मुकाबला राघवपुर सीट पर था। तेजस्वी यादव के खिलाफ सतीश कुमार बीजेपी के उम्मीदवार थे। मतगणना के दौरान तेजस्वी का नतीजा एक लहर की तरह उठता और गिरता — पहले 36 वोटों से पीछे, फिर 3,000, फिर 5,000... और अंत में 4,829 वोटों से हार। ये नतीजा सिर्फ एक सीट की बात नहीं थी। ये एक संकेत था कि अब यादव परिवार का नियंत्रण राघवपुर पर नहीं, बल्कि बीजेपी के नाम पर है।

धमदाहा: लेसी सिंह की चमकती तलवार

जदू की मंत्री लेसी सिंह ने धमदाहा से राजद के संतोष कुशवाहा को 55,000 वोटों से हराया। ये सिर्फ जीत नहीं, एक संदेश था — जदू के नेतृत्व में महिला नेताओं का बल बढ़ रहा है। नीतीश कुमार के 29 मंत्रियों में से 28 ने जीत दर्ज की। ये कोई यादृच्छिक बात नहीं, बल्कि एक अच्छी तरह तैयार चुनावी मशीन का नतीजा है।

महागठबंधन का अंदरूनी टूटना

महागठबंधन की हार का एक बड़ा कारण था — एकजुटता का अभाव। कांग्रेस फर्जी वोटिंग और वोट चोरी के मुद्दों पर ज्यादा बोल रही थी, जबकि तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के खिलाफ व्यक्तिगत हमले किए। एक साझा अधिकतम कार्यक्रम (Common Minimum Programme) तो नहीं था ही। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 'कट्टा दांव' का डर भी बहुत बड़ा रहा — लोगों को लगा कि अगर तेजस्वी आ गए, तो बिहार की अर्थव्यवस्था फिर से उलट जाएगी।

2020 से 2025: एक राजनीतिक गिरावट

2020 से 2025: एक राजनीतिक गिरावट

2020 में तेजस्वी यादव ने अपने दम पर 75 सीटें हासिल की थीं। आज वो जीत के लिए 25 सीटों के लिए संघर्ष कर रहे थे। ये कोई छोटी गिरावट नहीं — ये एक राजनीतिक जमीन का बदलाव है। नीतीश कुमार के भाव सट्टा बाजार में 40-45 पैसे तक चल रहे थे, जिसका मतलब था कि बाजार उनकी जीत को पक्का मान चुका था। और अब वो सच बन चुका है।

मोदी का फंड, नीतीश का फायदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीविका निधि के लिए 105 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। ये फंड तो केंद्र से आया, लेकिन इसका फायदा बिहार के राज्य सरकार को हुआ। नीतीश सरकार ने इसे अपने कैश ट्रांसफर स्कीम के साथ जोड़ दिया — और लोगों ने इसे एक ही चीज मान लिया। ये वो ताकत है जो राज्य सरकार को केंद्रीय योजनाओं को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की क्षमता देती है।

अगला कदम क्या होगा?

अब नीतीश कुमार के सामने एक बड़ा चुनौती है — इस जीत को टिकाऊ कैसे बनाएं? बिहार के युवाओं की बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, बुनियादी ढांचे की खामियां — ये सब अभी भी बाकी हैं। लेकिन एक बात साफ है: अब वोट देने वाले महिलाएं राजनीति के मुख्य खिलाड़ी बन चुकी हैं। अगले चुनाव में जो भी योजना उनके लिए नकदी, सुरक्षा और सम्मान लेकर आएगी, वही जीतेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कैश ट्रांसफर ने वास्तव में चुनाव जीता?

हां, लगभग 1.7 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये की नकदी ने वोटिंग के फैसले में बड़ा असर डाला। महिला मतदान दर 71.78% रही, जो पुरुषों की 62.98% से 8.15% अधिक थी। ये अंतर नीतीश सरकार की जीत का आधार बना।

तेजस्वी यादव की हार का क्या कारण था?

तेजस्वी की हार के कई कारण थे — महागठबंधन में एकजुटता का अभाव, कांग्रेस का अनिश्चित रुख, और नीतीश के कैश स्कीम के बाद लोगों का भरोसा। राघवपुर सीट पर 4,829 वोटों से हारना उनकी राजनीतिक निर्भरता का संकेत था।

NDA में BJP क्यों आगे रही?

BJP ने राज्य के विकास के लिए केंद्रीय योजनाओं को जोर देकर प्रस्तुत किया, जबकि JDU ने स्थानीय समस्याओं के साथ जुड़कर नीतीश के नेतृत्व को बढ़ावा दिया। दोनों पार्टियों के बीच रोल विभाजन स्पष्ट था — BJP ने नेशनल एजेंडा, JDU ने लोकल एजेंडा को बढ़ावा दिया।

महिला मतदान में इतनी बढ़ोतरी क्यों हुई?

कैश ट्रांसफर के साथ-साथ राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा के कई कार्यक्रम चलाए। इनके अलावा, चुनावी अभियान में महिला उम्मीदवारों को ज्यादा जगह दिया गया, जिससे उन्हें अपनी पहचान महसूस हुई।

2025 के बाद बिहार में क्या बदलाव उम्मीद किए जा सकते हैं?

अगले वर्षों में नीतीश सरकार युवाओं के लिए रोजगार योजनाएं, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, और बुनियादी ढांचे के विकास पर ज्यादा ध्यान देगी। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती होगी — महिलाओं के वोट को अगले चुनाव में भी कैसे बरकरार रखा जाए।

Rakesh Kundu

Rakesh Kundu

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।