बंगाल के डिजिटल क्रिएटर सोफिक एसके की एक अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद पूरा इंटरनेट हिल गया। वीडियो, जिसकी लंबाई 19 मिनट 34 सेकंड बताई जा रही है, बुधवार को इंस्टाग्राम, टिकटॉक और यूट्यूब पर फैल गई, जिसमें उन्हें एक महिला — जिसे डूस्तू सोनाली के नाम से पहचाना जा रहा है — के साथ अंग्रेजी में आईएमएमएस वीडियो के रूप में दिखाया गया। लेकिन यहां बात सिर्फ वीडियो की नहीं है। बल्कि यह बात है कि आज के डिजिटल युग में गोपनीयता का क्या मतलब है, और जब तक आपकी आंखें खुली नहीं होतीं, तब तक आपका अपना जीवन भी दूसरों की जेब में हो सकता है।
वीडियो का वायरल होना और गलत पहचान का दर्द
वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर 'सोफिक वायरल वीडियो' की तलाश ट्रेंड करने लगी। लेकिन इसके साथ ही एक और दर्दनाक घटना भी हुई — कई महिलाएं, जिन्होंने कभी वीडियो में नहीं देखा था, उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर अश्लील टिप्पणियां भर दी गईं। इनमें से सबसे ज्यादा ध्यान ज़न्नत (इंस्टाग्राम हैंडल: sweet_zannat_12374) की ओर गया। उन्होंने एक क्लैरिफिकेशन वीडियो डाला, जिसमें लाल कुर्ता और हरा दुपट्टा पहने हुए कहा: 'पहले मुझे अच्छे से देखो, फिर उस औरत को देखो... क्या मैं उस औरत जैसी लगती हूं? नहीं, है न? फिर आप सब मेरे कमेंट्स में 19 मिनट क्यों लिख रहे हो?' इस वीडियो को अब तक 16 मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं।
ज़न्नत की बात सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं है। यह उस नए दर्द का प्रतीक है, जो डिजिटल युग में अनजाने में किसी का भी जीवन बर्बाद कर सकता है। एक वीडियो के वायरल होने के बाद, लाखों लोग एक अजनबी को दोषी ठहरा देते हैं — और उसका जीवन बदल जाता है।
सोफिक एसके का बयान: 'मैं ब्लैकमेल का शिकार बना'
सोफिक एसके ने बाद में एक वीडियो में अपनी ओर से बयान दिया। उन्होंने कहा कि वह इस वीडियो को खुद शेयर नहीं कर रहे थे — बल्कि एक ऐसे व्यक्ति ने उनका वीडियो चुरा लिया, जिसे वह अपना 'भाई' मानते थे। उन्होंने बताया कि यह व्यक्ति उन पर ब्लैकमेल कर रहा था, और जब उन्होंने उससे संपर्क तोड़ दिया, तो उसने वीडियो ऑनलाइन डाल दिया।
उन्होंने अपने बयान के साथ एक दोस्त का वीडियो और कुछ वॉइस नोट्स भी शेयर किए, जिन्हें 'साक्ष्य' के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा: 'अगर वह मुझे मारता, तो मैं सह लेता। लेकिन यह वीडियो डालना... मैंने कभी सोचा नहीं था।' उन्होंने अपनी गलती को भी स्वीकार किया — 'मैंने खुद यह वीडियो बनाया, जो बिल्कुल गलत था।'
इस बयान के बाद लोगों की प्रतिक्रिया दोहरी हुई। कुछ ने उन्हें बलिदानी माना, कुछ ने कहा कि यह सिर्फ एक और वायरलिटी का नाटक है। लेकिन एक बात साफ है — वीडियो का असली स्रोत अभी तक जांच में है।
डीपफेक का खतरा: बेबीडॉल आर्ची के बाद फिर एक बड़ा झटका
यह मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं है। यह एक बड़े ट्रेंड का हिस्सा है। 2025 की शुरुआत में, इंस्टाग्राम पर 'बेबीडॉल आर्ची' नाम का एक अकाउंट वायरल हुआ, जिसमें एक लड़की ने लाखों फॉलोअर्स जीते — लेकिन बाद में पता चला कि वह पूरी तरह से AI द्वारा बनाई गई थी।
इसी तरह, McAfee की 2025 की 'सबसे खतरनाक सेलिब्रिटी: धोखाधड़ी सूची' में भारत में सबसे ज्यादा शोषित सेलिब्रिटी शाहरुख खान हैं, जिनकी तस्वीरें और आवाज़ें डीपफेक वीडियो में इस्तेमाल हो रही हैं। अलिया भट्ट, एलन मस्क, प्रियंका चोपड़ा और क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी इस सूची में हैं।
यह सिर्फ एक व्यक्ति का नुकसान नहीं — यह एक सिस्टम का नुकसान है। जब आप अपनी आंखों के सामने जो देख रहे हैं, वह असली नहीं हो सकता। और अगर आप यह भूल जाएं, तो आपका विश्वास भी बेकार हो जाएगा।
कानूनी परिणाम: वीडियो शेयर करना भी अपराध है
भारतीय कानून के अनुसार, ऐसी वीडियो को शेयर करना या डाउनलोड करना भी गंभीर अपराध है। भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत, ऐसा करने पर पहली बार के लिए तीन साल जेल या 5 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार के लिए यह बढ़कर पांच साल जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
इसके अलावा, धारा 67A और आईपीसी धारा 354C (वायलेट वीडियो शेयर करना) भी इस पर लागू होते हैं। यहां तक कि अगर कोई बिना जानकारी के वीडियो शेयर कर दे, तो भी उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
और यहां एक और डरावनी बात — इस वीडियो को लेकर एक अंधेरा बाजार भी बन गया है। कुछ लोग इसे ₹500 से ₹5,000 तक के दाम पर बेच रहे हैं। एक वीडियो के लिए यह लाखों रुपये का अर्थव्यवस्था बन गया है — और यह बस शुरुआत है।
अगला कदम: क्या बचाव का कोई रास्ता है?
इस मामले के बाद लोगों ने सवाल उठाया है — क्या हम अपने डिजिटल जीवन को बचा सकते हैं? जवाब है — हां, लेकिन इसके लिए दो चीजें जरूरी हैं।
- पहली — अपने फोन और डिवाइस पर सुरक्षा लागू करें। ब्लैकमेल करने वाले अक्सर उसी व्यक्ति से आते हैं, जिस पर आप भरोसा करते हैं।
- दूसरी — वीडियो शेयर करने से पहले दो बार सोचें। आज आपको जो वीडियो दिख रहा है, कल वही आपका नाम लेकर फैल सकता है।
सोफिक एसके का मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं है। यह हम सबकी जिम्मेदारी का परीक्षण है — क्या हम अपने डिजिटल नागरिकता को समझते हैं? क्या हम अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं? या फिर हम बस एक वीडियो के लिए चिल्लाते रहेंगे?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सोफिक एसके की वीडियो असली है या डीपफेक?
अभी तक कोई आधिकारिक जांच नहीं हुई है, इसलिए वीडियो की प्रामाणिकता पर सवाल है। विशेषज्ञों का कहना है कि चेहरे, आवाज़ और पृष्ठभूमि के अनुसार यह डीपफेक हो सकता है, लेकिन इसे पुष्टि करने के लिए डिजिटल फॉरेंसिक विश्लेषण की आवश्यकता है।
ज़न्नत को क्यों गलत तरीके से निशाना बनाया गया?
इंटरनेट पर जब कोई वायरल वीडियो आता है, तो लोग तुरंत दिखाई देने वाली महिला को उसमें शामिल मान लेते हैं। ज़न्नत की तस्वीरें और शैली वीडियो की औरत से मिलती-जुलती थीं, जिससे लोगों ने गलत निष्कर्ष निकाल लिया। इससे उनका निजी जीवन बर्बाद हो गया।
डीपफेक वीडियो बनाना और शेयर करना कितना खतरनाक है?
भारत में डीपफेक वीडियो बनाना या शेयर करना गंभीर अपराध है। धारा 67A के तहत यह 5 साल जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, व्यक्ति के नाम का दुरुपयोग करना भी आईपीसी धारा 499 के तहत अपमान का अपराध है।
क्या कोई ऐसा टूल है जो डीपफेक वीडियो की पहचान कर सके?
हां, कुछ टूल जैसे Deepware, Sensity और Microsoft Video Authenticator डीपफेक की पहचान करने में मदद करते हैं। लेकिन ये अभी भी निर्भर हैं — अगर वीडियो बहुत अच्छी तरह से बना हुआ हो, तो ये टूल भी भूल सकते हैं।
सोफिक एसके के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी?
अभी तक कोई फर्जी शिकायत दर्ज नहीं हुई है। लेकिन अगर वीडियो असली साबित हुआ, तो उन पर धारा 67 और 354C के तहत कार्रवाई हो सकती है। लेकिन अगर वीडियो को ब्लैकमेलर ने चुराया, तो उस पर ज्यादा जिम्मेदारी होगी।
ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या करें?
अपने डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखें — एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन वाले ऐप्स का उपयोग करें, अज्ञात लोगों के साथ वीडियो न बनाएं, और अगर किसी ने आपका वीडियो चुराया है, तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।