भारत-नेपाल संबंध: इतिहास, हालात और आगे क्या?

भारत और नेपाल की दोस्ती सिर्फ कूटनीतिक दस्तावेजों में नहीं, सड़कों, बाजारों और घरों में भी दिखती है। खुली सीमा, सांस्कृतिक मेलजोल और पारम्परिक रिश्ते इसे अलग बनाते हैं। पर क्या यह रिश्ता हमेशा चिकना रहा है? नहीं — समय-समय पर ऐतिहासिक समझौतों, व्यापार और भौगोलिक दावों पर मतभेद भी सामने आते रहे हैं।

इतिहास और प्रमुख समझौते

1950 का संधि-पत्र (ट्रीटी) दोनों देशों के बीच विशेष रिश्ता तय करता है — राजनीतिक सहयोग, नागरिकों की आवाजाही व आर्थिक रिश्तों का आधार। साथ ही, कई द्विपक्षीय समझौते, दौरे और संयुक्त आयोगों ने कूटनीति को नियमित रखा है। पर यह भी सच है कि जिन समझौतों की नींव अतीत में रखी गई थी, उन्हें बदलते समय के हिसाब से अपडेट करने की जरूरत महसूस होती है।

व्यापार और ट्रांसपोर्ट पर विशेष समझौते नेपाल की पहुँच और भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व रखते हैं। भारत नेपाल को पेट्रोलियम और अन्य जरूरी चीज़ों की आपूर्ति करता है; बदले में नेपाल अपनी ऊर्जा—खासकर हाइड्रोपावर—की क्षमता बढ़ाने की योजना में है।

मौजूदा चुनौतियाँ और व्यावहारिक असर

सीमा विवाद (कुछ हिस्सों के दावे), व्यापार घाटा, और कभी-कभी राजनीतिक बदले होने पर तनाव उभरता है। इससे क्या होता है? सीमावर्ती व्यापार प्रभावित होता है, ट्रक और तेल की आपूर्ति रुक सकती है, और लोगों के रोजमर्रा के रिश्तों पर असर दिखता है।

एक और महत्वपूर्ण पहलू है आर्थिक निर्भरता। नेपाल के अधिकांश आयात भारत पर निर्भर हैं, जबकि भारत के लिए नेपाल रणनीतिक और आर्थिक साझेदार है। यही असंतुलन कभी-कभी अनिश्चितता और असंतोष पैदा करता है।

लोक-स्तर पर दोनों देशों के लोग आपस में रिस्ते रखते हैं—त्योहार, शादियाँ, रोजगार और पर्यटन के जरिए। यही बेस है जिस पर ठोस साझेदारी बनाई जा सकती है।

तो समाधान कैसे निकलेगा? पारदर्शिता बढ़ाना, साझा अर्थव्यवस्था के प्रोजेक्ट (जैसे साझा हाइड्रो-प्रोजेक्ट), सीमाओं पर सुविधाएँ बढ़ाना और नियमित उच्चस्तरीय संवाद जरूरी हैं। छोटे-छोटे प्रशासनिक कदम — जैसे सीमा पार के कागजात आसान करना, व्यापार प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाना — सीधे असर डालते हैं।

नीति-निर्माताओं के लिए व्यावहारिक सुझाव: विवादों को कम करने के लिए संयुक्‍त तटस्थ तकनीकी मानचित्रण और पारदर्शी संवाद रखें; व्यापार में स्थानीय कारोबारियों की भागीदारी बढ़ाएं; ऊर्जा परियोजनाओं को साझा निवेश से आगे बढ़ाएँ।

आप एक आम पाठक हैं तो क्या देखेंगे? सीमापार यात्रा आसान रहेगी, व्यापार स्थिर होगा और रोजमर्रा की चीज़ों की उपलब्धता प्रभावित नहीं होगी—यही असली फरक पड़ेगा। भारत-नेपाल संबंध जटिल हैं, पर ठीक दिशा में कदम से दोनों को लाभ मिल सकता है।

16 जुलाई 2024 0 टिप्पणि Rakesh Kundu

प्रधानमंत्री मोदी ने के पी शर्मा ओली को नेपाल के प्रधानमंत्री नियुक्त होने पर दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने के पी शर्मा ओली को नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त होने पर बधाई दी है। मोदी ने भारत-नेपाल के मधुर संबंध और सहयोग को और मजबूत करने की आशा व्यक्त की है। यह नियुक्ति दक्षिण एशिया के पेचीदा भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच की गई है। ओली ने शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई है।

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