क्रिप्टो स्कैम: समझें, बचें और जागरूक रहें
When working with क्रिप्टो स्कैम, डिजिटल मुद्रा के लेन‑देनों में धोखाधड़ी या धोखा‑धड़ी की योजनाएँ. Also known as क्रिप्टो धोखा, it वित्तीय नुकसान और भरोसे की गिरावट का कारण बनता है. यह शब्द सुनते‑ही कई लोग सोचते हैं कि यह केवल तकनीकी विशेषज्ञों को ही प्रभावित करता है, लेकिन वास्तविकता में यह हर उम्र और पेशे के व्यक्ति को निशाना बना सकता है। क्रिप्टो स्कैम के कई रूप होते हैं, इसलिए इसे समझना पहला कदम है।
पहला प्रमुख सिद्धांत इस बात से जुड़ा है कि ब्लॉकचेन, वित्तीय लेन‑देनों की अपरिवर्तनीय डिजिटल लीडर है। ब्लॉकचेन सभी लेन‑देनों को सार्वजनिक रूप से रिकॉर्ड करता है, इसलिए स्कैमर अक्सर इस पारदर्शिता को छुपाने के लिये झूठे प्रोजेक्ट बनाते हैं। ब्लॉकचेन सभी लेन‑देनों को सुरक्षित बनाता है, लेकिन यदि शुरुआती चरण में ही फॉल्स प्रॉजेक्ट जारी हो जाये तो निवेशक भरोसा नहीं कर पाते। यह “ब्लॉकचेन + धोखा” का त्रिपुट (ब्लॉकचेन, धोखा, निवेश) अक्सर समाचारों में दिखता है।
दूसरा महत्वपूर्ण घटक है डिजिटल करंसी, इलेक्ट्रॉनिक रूप में मौजूद मुद्रा, जैसे बिटकॉइन, एथेरियम आदि। डिजिटल करंसी की कीमतों में तेज़ उतार‑चढ़ाव स्कैमर को आकर्षक अवसर प्रदान करता है। वे “रिटर्न की गारंटी” देकर लोगों को बड़ी मात्रा में निवेश करवाते हैं, जबकि वास्तविक में यह सिर्फ एक मूल्यांकन का खेल है। डिजिटल करंसी किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित नहीं होती, इसलिए नियामक कर्सासन में अंतराल रहता है, जो स्कैमर को फायदा देता है।
तीसरा जुड़ाव फ़िशिंग, भ्रामक ई‑मेल या मैसेज द्वारा व्यक्तिगत जानकारी चुराने की तकनीक से है। फ्रॉडस्टर अक्सर फ़िशिंग के ज़रिए वैध क्रिप्टो एक्सचेंज की लॉगिन जानकारी चुरा लेते हैं और सीधे फंड ट्रांसफर कर देते हैं। फ़िशिंग साइबर सुरक्षा की कमी को एक्सप्लॉइट करता है, और इसका परिणाम सीधे स्कैमर के खाते में पहुंचता है। इस कारण फ़िशिंग क्रिप्टो स्कैम का एक मुख्य एंट्री पॉइंट बन गया है।
चौथा प्रमुख तत्व स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट, कोड‑आधारित अनुबंध जो ब्लॉकचेन पर ऑटो‑एक्जीक्यूट होते हैं है। स्कैमर अक्सर झूठे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाकर “फ़्रॉड रिटर्न” का वादा करते हैं, जबकि वास्तव में कॉन्ट्रैक्ट में बैकडोर कोड होता है जो फंड को बाहर ले जाता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट स्वचालित रूप से फंड ट्रांसफर करता है, इसलिए बिना उचित ऑडिट के इसका उपयोग करना जोखिम भरा है। यहाँ “स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट + कोड बैकडोर = स्कैमर सफलता” का स्पष्ट त्रिपुट बनता है।
इन सभी कनेक्शन को देखते हुए, वित्तीय नियामक, सरकारी या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां जो बाजार के नियम बनाती हैं की भूमिका अनदेखी नहीं की जा सकती। नियामक अक्सर नई क्रिप्टो प्रोडक्ट्स को मंजूरी देने में सावधानी बरतते हैं, लेकिन तेज़ी से बदलते बाजार में उनका सख़्त नियंत्रण मुश्किल है। नियामक नियमों का निर्माण करके स्कैमर के रास्ते बंद कर सकते हैं, पर इसके लिये जागरूकता और सहयोग जरूरी है।
तकनीकी तौर पर, ब्लॉकचेन एनालिटिक्स टूल्स जैसे टेस्ला, एथरस्कैन और बिगमैप्स स्कैमर की गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद करते हैं। ये टूल्स ट्रांज़ैक्शन पैटर्न, असामान्य गैस फीस, और कॉन्ट्रैक्ट एड्रेस की वैधता जाँचते हैं। यदि आप इस तरह के टूल्स का उपयोग करके अपने निवेश को मॉनिटर करेंगे, तो संभावित स्कैम का पता पहले ही चल जाएगा। इस तरह “टूल + रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग = सुरक्षा” की समीकरण बनती है।
अंत में, कुछ प्रमुख केस स्टडीज़ देखें: 2023 में “पेंडलिंक” नाम के प्रोजेक्ट ने 10 मिलियन डॉलर इकट्ठा किए, लेकिन बाद में पता चला कि वह एक फर्जी ICO था। 2024 में “डिज़ीटाल गोल्ड” स्कैम ने सोने‑से जुड़े टोकन बेचकर निवेशकों को धोखा दिया, जबकि बैकएंड में कोई सोनार नहीं था। ये उदाहरण दिखाते हैं कि स्कैमर अक्सर भरोसेमंद नामों, तेज़ रिटर्न और तकनीकी शब्दजाल का इस्तेमाल करते हैं।
ऊपर दिए गए सभी बिंदु इस टैग पेज के हिस्से में मिलने वाले लेखों की आधारशिला बनाते हैं। अब आप इन अंतर्दृष्टियों को ध्यान में रखकर नीचे दी गई पोस्ट्स में और गहराई से पढ़ सकते हैं—चाहे वह ब्लॉकचेन की बुनियादी समझ हो, फ़िशिंग से बचने के टिप्स हों, या स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जोखिमों पर विश्लेषण। चलिए, आगे की जानकारी में डुबकी मारते हैं और अपने डिजिटल पैसे को सुरक्षित रखने के रास्ते खोजते हैं।
26 सितंबर 2025
Rakesh Kundu
जावेद हाबिब और उनके बेटे अनास ने फ़ोलिक्ल ग्लोबल कंपनी के नाम पर एक क्रिप्टो निवेश योजना चलाकर 150 से अधिक लोगों से लाखों रुपये ले लिये। वादे किए गए 50‑75% रिटर्न ने निवेशकों को आकर्षित किया, पर योजना अचानक बंद हो गई और आरोपी गायब हो गये। संभाल नहीं पाए निवेशकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। केस में जांच जारी है और यह घटना भारत में सेलिब्रिटी‑समर्थित क्रिप्टो धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे को उजागर करती है।
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