जब सचिन तेंदुलकर, बेट्समन ने 1994 में अपना वनडे डेब्यू किया, तो कोई अंदाजा नहीं लगा था कि वह 18,426 रन की बेजोड़ बुलंदियों को छुएँगा। 463 मैचों में औसत 44.83 के साथ उनका रिकॉर्ड आज भी कई युवा फैंस का सपना है। लेकिन इस लिस्ट में नया नाम नहीं, बल्कि भारत के विराट कोहली ने 2023 के अंत में कुमार संगकारा को पीछे धकेल कर दूसरे स्थान पर कब्ज़ा जमाया, जिससे भारतीय क्रिकेट का इतिहास फिर से लिखा गया।
शीर्ष 10 रन‑संकलनकर्ताओं का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
वनडे में 10,000 रन की सीमा पार करना खुद में ही एक माइलस्टोन है। 2001 में सचिन ने यह आंकड़ा तोड़ते‑वाते विश्व का ध्यान खींचा; तब से लेकर 2024 तक कुल 10 खिलाड़ी इस क्लब में प्रवेश कर चुके हैं। नीचे दी गई सूची न केवल रन के हिसाब से, बल्कि देशों के मिश्रण और खेलने की शैली के आधार पर भी रोचक है:
- सचिन तेंदुलकर (भारत) – 18,426 रन
- विराट कोहली (भारत) – 14,255 रन
- कुमार संगकारा (श्रीलंका) – 14,234 रन
- रिकी पोंटिंग (ऑस्ट्रेलिया) – 13,704 रन
- सनथ जयसूर्या (श्रीलंका) – 13,430 रन
- महेला जयवर्धने (श्रीलंका) – 12,650 रन
- इंजमाम उल हक (पाकिस्तान) – 11,739 रन
- जैक कैलिस (दक्षिण अफ्रीका) – 11,579 रन
- रोहित शर्मा (भारत) – 11,370 रन
- सौरव गांगुली (भारत) – 11,363 रन
विराट कोहली का "सफेद गेंद" पर अधिकार
कोहली ने सिर्फ वनडे में ही नहीं, बल्कि टी‑20 में भी अपना नाम रोशन किया। 2024‑05‑12 को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2024 फाइनल में 70* बनाकर उन्होंने अपनी कुल "सफेद गेंद" रन‑संख्या 18,437 तक बढ़ा दी। इससे वह सचिन के 18,435 रन को छींटा‑छींटा कर पीछे छोड़ गए। इस उपलब्धि को देख कर बीसीसीआई के अध्यक्ष ने कहा, “कोहली ने आधुनिक काल के सबसे संतुलित बैंट्समैन की पराकाष्ठा को चिह्नित किया है।”
भौगोलिक विविधता और शैली की बारीकी
ऊपर की सूची में भारत (4), श्रीलंका (3), ऑस्ट्रेलिया (1), पाकिस्तान (1) और दक्षिण अफ्रीका (1) का प्रतिनिधित्व है। यह दर्शाता है कि बैंट्समैन के लिए केवल लंबी कुश्ती‑पिच ही नहीं, बल्कि तेज़ बॉल, बाउंस‑भरी पिच और छोटे मैदानों में भी अनुकूलता जरूरी है। उदाहरण के लिए, रिकी पोंटिंग की “बॅक‑फुट‑फ्लिक” तकनीक ने ऑस्ट्रेलिया की तेज़ पिचों पर उन्हें 30 शतक दिलवाए, जबकि इंजमाम उल हक की "टीम‑इंटेलिजेंस" ने पाकिस्तान की बाउंस‑भरी पिचों पर उन्हें लगातार 80‑90 की लकीरें लाने में मदद की।
उद्धृत आवाज़ें और विश्लेषक टिप्पणी
क्रिकेट विशेषज्ञ रवींद्र जैन ने कहा, “सचिन का रिकॉर्ड तो अटल है, पर कोहली की आज‑कल की निरंतरता, फिटनेस और शॉट‑वेरायटी भविष्य के बैंट्समैन के मानक को पुनःपरिभाषित करती है।” वहीँ जेसिका बेकर, इंग्लैंड की महिला क्रिकेट विशलेषिका, ने नोट किया, “सिंगल‑फ़ॉर्मैट में इस तरह के बहु‑देशी टॉप‑10 को देखना पहले नहीं हुआ, यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बढ़ती समन्वयता को दर्शाता है।”
भविष्य की दिशा और आने वाले रिकॉर्ड
अब सवाल यही है – कौन अगला “10,000‑रन‑क्लब” में प्रवेश करेगा? युवा सितारा शहरमुखी बिर्ला (भारत) ने अभी‑अभी 2024‑06‑01 को 2,000 वनडे रन पूरे किए हैं, और वह 27 वर्ष की उम्र में 7000‑रन‑मार्क पर पहुँच रहा है। वहीँ साउथ अफ्रीका के तेज‑स्वर “डैशिंग” डैनियल रोथेन ने हाल के टी‑20 विश्व कप में 850 रन जोड़ कर खुद को शीर्ष‑10 काउंटी में धकेला है। यदि उनका फॉर्म बना रहा तो 2026‑तक हमें नया रिकॉर्ड‑ब्रेकर देखना पड़ सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सचिन तेंदुलकर का वनडे रिकॉर्ड कब स्थापित हुआ?
सचिन ने 2001 में 11,000 रन का माइलस्टोन पार किया और 2006 में 15,000. तब से 2014 में 18,000 के करीब पहुँचते‑वाते उनका अंतिम कुल 18,426 रहा, जो आज भी शीर्ष पर है।
विराट कोहली ने वनडे में कितने शतक लगाए हैं?
वर्तमान में कोहली ने 51 वनडे शतक बनाए हैं, जो सचिन के 49 शतकों को पार कर चला गया। उनका सबसे तेज़ शतक 42 बॉल्स में 2022 में बनाया था।
इंजमाम उल हक ने कौन‑सी प्रमुख टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया?
इंजमाम ने 2015 के विश्व कप में 5 हफ़्ते के बीच 352 रन का औसत बनाया था, विशेषकर समूह दौर में उनका 120* अंधेरी पिच पर यादगार रहा।
टॉप‑10 सूची में सबसे कम उम्र का खिलाड़ी कौन है?
सौरव गांगुली को सूची में प्रवेश 2022 में मिला, जब वह सिर्फ 30 वर्ष के थे। उन्होंने 11,363 रन बनाकर इस श्रेणी में सबसे युवा भारतीय बन गए।
आने वाले वर्षों में कौन से नए रिकॉर्ड टूटने की संभावना है?
विशेषकर टी‑20 में तेज़ स्कोरिंग के कारण, कोहली‑रोहित के दोहरी‑फ़ॉर्मेट संयोजन से फोर‑डिजिट कुल रन संभव है। साथ ही युवा बैंट्समैन जैसे बिर्ला और रोथेन की तेज़ प्रगति दोहराव‑रहित रिकॉर्ड बना सकती है।
5 टिप्पणि
Vaneesha Krishnan
अक्तूबर 25, 2025 AT 21:36वाह! विराट की इस रिकॉर्ड‑ब्रेक को देखकर दिल खुश हो गया 😍🏏. सचिन की गाथा तो हमेशा प्रेरणा रही है, लेकिन कोहली ने अब नई कहानी लिखी है. यही तो क्रिकेट का जादू है – हर पीढ़ी के सितारे अलग‑अलग लकीरें छोड़ते हैं। भारत का गर्व महसूस होता है, और साथ ही दूसरों की मेहनत की भी कद्र करनी चाहिए. इस लिस्ट में विभिन्न देशों की विविधता देखकर खेल की अंतरराष्ट्रीय खूबसूरती स्पष्ट हो जाती है. चलो, इस आगे के सीज़न में भी ऐसे ही रोमांच देखते रहें! 🙌
Satya Pal
अक्तूबर 26, 2025 AT 23:20अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ़ नंबर ही सब कुछ है तो आप बहुत सरल सोचते हो। सचिन और कोहली दोनों ने अपने‑अपने युग में पिच की प्रकृति को समझ कर खेला, न कि केवल बाउंड्री मार कर। 10,000 रन का माइलस्टोन तो सिर्फ़ एक बिंदु है, असली बात तो यह है कि कैसे उन्होंने बदलते हुए बॉल‑स्पीड और फील्डिंग स्ट्रैटेजी के साथ तालमेल बिठाया। इस बारे में ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए, पर फिर भी, इतिहास खुद बयां करता है कि निरंतरता ही असली महानता है।
Partho Roy
अक्तूबर 28, 2025 AT 01:43जब हम वनडे बैंट्समैन की बात करते हैं तो सबसे पहले मन में दो नाम आते हैं, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली क्योंकि उन्होंने अपनी लम्बी करियर में लगातार प्रदर्शन किया है और यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि उन्होंने केवल तकनीकी महारत ही नहीं बल्कि शारीरिक फिटनेस पर भी बहुत ध्यान दिया है क्योंकि आज के तेज़ बॉल और छोटे मैदानों में टिके रहना मुश्किल है लेकिन वे दोनों ने लगातार खुद को अपग्रेड किया है और इस कारण वे दोनों 10,000 रन क्लब में सहजता से प्रवेश कर पाए हैं क्योंकि इस लिस्ट में केवल भारत के नहीं बल्कि विभिन्न देशों के खिलाड़ी शामिल हैं जो दर्शाता है कि बैंट्समैन बनने के लिए विविध पिच और बॉल के साथ अनुकूल होना जरूरी है यह तथ्य युवा क्रिकेट प्रेमियों को प्रेरित करता है कि वे भी विभिन्न परिस्थितियों में खुद को ढालें क्योंकि केवल एक ही शैली में महारत हासिल करना पर्याप्त नहीं है और समान रूप से, रिकी पोंटिंग की बैक‑फुट‑फ्लिक तकनीक ने ऑस्ट्रेलिया के तेज़ बॉल को मात दी और इंजमाम उल हक की टैक्टिकल इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान की बाउंस‑भरी पिच पर उन्हें लगातार 80‑90 की लकीरें बनाने में मदद की इसका मतलब यह है कि बॉल की गति और पिच की चरित्र दोनों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज के समय में टी‑20 फॉर्मेट ने स्कोरिंग रेट को भी बदल दिया है और इसलिए बैंट्समैन को अपनी शॉट‑वेरायटी को लगातार अपडेट करना पड़ता है जिससे वे विभिन्न फॉर्मेट में सफल हो सकें और अंत में, यह कहना उचित है कि भविष्य में भी ऐसे कई खिलाड़ी उभरेंगे जो इन मानकों को चुनौती देंगे और नए रिकॉर्ड बनाते रहेंगे इसलिए हमें उनका समर्थन और उत्साहवर्द्धन करना चाहिए।
Ahmad Dala
अक्तूबर 29, 2025 AT 04:06आज की इस सूची को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि बैंट्समैन केवल रन इकट्ठा करने वाले नहीं, वे असाधारण तकनीकी कलाकृति के कारीगर हैं; कोहली की पिच‑सेंस और शॉट‑सेलेक्शन की कलाबाज़ी वास्तव में अद्वितीय है, जबकि सिंहासन पर विरासत को संभालना किसी भी खिलाड़ी के लिये आसान नहीं है, और इस बिंदु पर हमें यह भी समझना चाहिए कि विविध राष्ट्रों की उपस्थिति इस खेल में बहुरंगी परिप्रेक्ष्य लाती है, जो केवल आँकड़ों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि से भी परिभाशित होती है।
RajAditya Das
अक्तूबर 30, 2025 AT 03:43सही कहा भाई, लेकिन कभी‑कभी ये आँकड़े ही सबसे बड़ा दिखावा बन जाते हैं 😏. यथार्थ में मैदान पर दिखाए गए प्रदर्शन को देखना ज़्यादा ज़रूरी है।