चहत फतेह अली खान का 'बड़ो बड़ी' गीत यूट्यूब से हटाया गया
चहत फतेह अली खान का सबसे नया वायरल गीत 'बड़ो बड़ी' यूट्यूब से हटा दिया गया है। इस गीत ने सोशल मीडिया पर तेजी से धूम मचाई थी और मात्र कुछ ही दिनों में इसे यूट्यूब पर 28 मिलियन बार देखा गया। लोगों ने इस गीत पर कई मीम्स बनाए और इसे साझा किया, जिससे यह और भी लोकप्रिय हो गया। लेकिन इतनी लोकप्रियता के बावजूद यूट्यूब ने इसे कॉपीराइट उल्लंघन के कारण अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया।
कॉपीराइट विवाद की वजह
'बड़ो बड़ी' असल में पाकिस्तानी फिल्म 'बनारसी ठग' के गीत 'अख लड़ी बड़ो बड़ी' की नकल थी। इस मूल गीत को मशहूर गायिका नूर जहां ने ममताज़ के लिए गाया था। यह गीत अपने समय में बेहद लोकप्रिय था और अभी भी लोग इसे सुनना पसंद करते हैं। यूट्यूब पर इस प्रकार का कॉपीराइट उल्लंघन तेजी से पकड़ा जाता है और मंच जल्द से जल्द ऐसे कंटेंट को हटा देता है।
वजदान राव रंगार की कहानी
'बड़ो बड़ी' गीत में चहत फतेह अली खान के साथ पाकिस्तानी अभिनेता वजदान राव रंगार भी नजर आए। जब यह विवाद शुरू हुआ तो राव रंगार को भी नेटिज़न्स ने ट्रोल करना शुरू कर दिया। ट्रोल्स के जवाब में राव रंगार ने बताया कि उन्होंने इस गीत में काम करने का निर्णय इसलिए लिया था क्योंकि उन्हें ईद के कपड़े खरीदने के लिए पैसों की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि उस समय उनके पास यही विकल्प था और यह चुराने से बेहतर था।
चहत फतेह अली खान कौन हैं?
चहत फतेह अली खान, जिनका असली नाम काशिफ राना है, एक प्रसिद्ध गायक, संगीतकार, गीतकार, अभिनेता और निर्देशक हैं। उनका जन्म शेखुपुरा में हुआ था और उन्होंने लाहौर और लंदन के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त की। अपने बहुमुखी प्रतिभा के कारण वे अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे हैं। चहत का यह कहना है कि वे संगीत और अभिनय के प्रति अपनी जुनून को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।
यूट्यूब के कॉपीराइट नियम
यूट्यूब पर कॉपीराइट उल्लंघन के मामलों का तेजी से निपटारा किया जाता है। यदि कोई कंटेंट क्रिएटर किसी ओरिजिनल कंटेंट की नकल करता है, तो यूट्यूब उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता है। इसके तहत या तो उस वीडियो को प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाता है या फिर उस वीडियो से होने वाली कमाई का हिस्सा असल कॉपीराइट होल्डर को दे दिया जाता है।
यूट्यूब के इन कड़े नियमों के बावजूद, कई लोग अपनी पहचान बनाने के लिए पाए जाते हैं और इस कारण कई बार कॉपीराइट का उल्लंघन भी हो जाता है। ऐसे में कंटेंट क्रिएटर्स को यह समझने की जरूरत होती है कि किसी ओरिजिनल कंटेंट की नकल करना कानूनी दायरे में नहीं आता और इससे उनके चैनल और करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
इस घटना ने सोशल मीडिया और यूट्यूब पर बहस का माहौल बना दिया है। कई लोग चहत फतेह अली खान और वजदान राव रंगार के पक्ष में उतरे हैं तो कई लोगों ने इन्हें कड़ी आलोचना की है। लोगों का कहना है कि कला और संगीत की दुनिया में मौलिकता का होना बेहद जरूरी है और इसे कभी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
अन्ततः, 'बड़ो बड़ी' गीत का यूट्यूब से हटाया जाना साबित करता है कि मौलिकता और कॉपीराइट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए और भी कदम उठाने की आवश्यकता है। यह हमारे मनोरंजन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिससे हम सभी को सीखने की जरूरत है।
6 टिप्पणि
Apurva Pandya
जून 8, 2024 AT 19:14कॉपीराइट उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए 😊
Nishtha Sood
जून 8, 2024 AT 19:16न्याय का पक्ष लेना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन सही बात को ऊँचा आवाज़ देना ज़रूरी है। चहत फतेह अली खान की रचनात्मकता को सराहना चाहिए, जबकि मौलिकता के सिद्धान्तों को भी नहीं भूलना चाहिए। इस तरह के मामले हमें सिखाते हैं कि नियमों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। आशा है भविष्य में कलाकार और भी बेहतर काम करेंगे।
Hiren Patel
जून 8, 2024 AT 19:20वाह! 'बड़ो बड़ी' का हटना एक पॉप कल्चर की सीनिक टकराव जैसा दिखता है।
क्या आपको नहीं लगता कि यूट्यूब ने इस केस को एक बड़ी फिल्मी ड्रामा की तरह पेश किया है?
पहले तो यह गाना सोशल मीडिया में वायरल हुआ था, जैसे आग में घी डाल दिया गया।
लेकिन कॉपीराइट के नियमों की कड़ी पकड़ ने इस उत्सव को बुरी तरह झिल्ली में बदल दिया।
रचनाकारों को याद रखना चाहिए कि मौलिकता सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक दायित्व है।
नूर जहां की आवाज़, बनारसी ठग का मूल गीत, और फिर चहत फतेह का रीमिक्स-इन सबका मिश्रण एक अजीब कॉकटेल बना।
यूट्यूब की स्वचालित सिस्टम ने इस कॉकटेल को सिग्नल कर दिया और तुरंत हटाया।
हालांकि, दर्शकों की प्रतिक्रिया में दिखता है कि लोग अभी भी इस ट्रैक की धुन पर थिरकते रहेंगे।
वजदान राव रंगार की कहानी तो जैसे एक छोटा नाटक बन गई, जहाँ उन्होंने पैसे की जरूरत का बहाना दिया।
पर सच्चाई यह है कि कलात्मक प्रेरणा अक्सर सीमित संसाधनों से आती है, लेकिन नकल नहीं।
यदि हर कलाकार धारा से बहकर तैरना चाहता है, तो उसे अपनी मौलिकता को जल के नीचे चमकाने की कला सीखनी चाहिए।
विपरीत रूप में, कॉपीराइट उल्लंघन को नजरअंदाज करना भविष्य में बड़े झटके का कारण बन सकता है।
इसलिए दोनों पक्षों को एक मध्यम रास्ता चुनना चाहिए-रचनात्मकता को सम्मान देना और नियमों को मानना।
समाज में इस तरह की घटनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि डिजिटल युग में अधिकारों का सम्मान कितना आवश्यक है।
आखिर में, चाहे हटाया गया हो या नहीं, संगीत की आत्मा हमेशा सुनाई देती रहेगी 😊
Heena Shaikh
जून 8, 2024 AT 19:23विचारों की गहराई में डूबकर यह देखना चाहिए कि नकल विज्ञान नहीं, बल्कि चोरी है। इसलिए इस सड़ियाई कोड़ में उलझे लोग जल्द ही अपने ही पड़ाव पर ठोकर खाएंगे।
Chandra Soni
जून 8, 2024 AT 19:28डिजिटल एन्हांसमेंट के टूल्स का उपयोग करके हम अपनी क्रीएटिव ब्रांड वैल्यू को स्केल कर सकते हैं। कॉपीराइट कंप्लायंस को एम्बेड करना प्रोजेक्ट लाइफ़साइकिल में रिस्क मैनेजमेंट का अभिन्न हिस्सा है। आइए, हम सब मिलकर कॉरपोरेट गवर्नेंस जैसे सिद्धांतों को कंटेंट क्रिएशन में भी लागू करें।
Kanhaiya Singh
जून 8, 2024 AT 19:31आपकी बात सही है, कॉपीराइट अनुपालन को रणनीतिक योजना का हिस्सा बनाना चाहिए। यह न केवल कानूनी जोखिम को कम करता है बल्कि ब्रांड की विश्वसनीयता भी बढ़ाता है।