भारतीय चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार अभिजीत गांगुली पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ 'अनुचित' टिप्पणी करके आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 16 मई को पूर्व मिदनापुर में एक सार्वजनिक सभा में गांगुली के भाषण के संबंध में चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें भाजपा नेता के बयान का अंग्रेजी प्रतिलेख शामिल था।
चुनाव आयोग ने गांगुली के बयान को 'अनुचित, अविवेकपूर्ण, हर मायने में गरिमा से परे, बुरे स्वाद वाला और प्रथम दृष्टया एमसीसी और आयोग की 1 मार्च, 2024 की सलाह का उल्लंघन करने वाला' करार दिया है। गांगुली, जो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे, को 20 मई को शाम 5 बजे तक नोटिस का जवाब देने का आदेश दिया गया है।
भाजपा ने एक चुनावी रैली के दौरान गांगुली द्वारा कथित तौर पर बनर्जी का अपमान करने वाले वीडियो की वैधता पर विवाद किया है और इसे 'नकली' करार दिया है। आदर्श आचार संहिता पार्टियों और उम्मीदवारों को विरोधियों के निजी जीवन की आलोचना करने, अप्रमाणित आरोप लगाने या शिष्टाचार और नैतिकता का उल्लंघन करने वाली टिप्पणी करने से बचने की सलाह देती है।
आयोग ने जवाब मांगा
चुनाव आयोग ने अभिजीत गांगुली को नोटिस जारी कर 20 मई शाम 5 बजे तक जवाब देने को कहा है। आयोग ने कहा है कि गांगुली का बयान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के साथ-साथ आयोग द्वारा 1 मार्च 2024 को जारी किए गए सलाह के भी विपरीत है।
आयोग ने कहा है कि गांगुली का बयान अनुचित, अविवेकपूर्ण और हर मायने में गरिमा से परे है। आयोग ने इस बयान को बुरे स्वाद वाला और प्रथम दृष्टया आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला बताया है।
भाजपा ने वीडियो को बताया नकली
भारतीय जनता पार्टी ने उस वीडियो की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया है जिसमें अभिजीत गांगुली द्वारा कथित तौर पर एक चुनावी रैली के दौरान ममता बनर्जी का अपमान किया गया था। भाजपा ने इस वीडियो को नकली बताया है।
भाजपा का कहना है कि यह वीडियो उनके नेता को बदनाम करने की एक साजिश है। पार्टी ने कहा है कि गांगुली ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है और यह वीडियो एडिट किया गया है।
आदर्श आचार संहिता क्या कहती है?
आदर्श आचार संहिता चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए दिशा-निर्देश तय करती है। यह संहिता उन्हें विरोधियों के निजी जीवन पर टिप्पणी करने, अप्रमाणित आरोप लगाने या अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने से रोकती है।
संहिता के अनुसार, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपने प्रचार में संयम बरतना चाहिए और ऐसी किसी भी गतिविधि से बचना चाहिए जो मतदाताओं को भ्रमित कर सकती है या चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
गांगुली का विवादित राजनीतिक करियर
अभिजीत गांगुली एक पूर्व कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश हैं जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इससे पहले भी वह कई बार अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।
एक न्यायाधीश के रूप में भी उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। उन पर पक्षपात और याचिकाकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लगते रहे हैं। कई बार उनके फैसलों पर भी सवाल उठाए गए हैं।
भाजपा में शामिल होने के बाद से ही वह लगातार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी पर हमलावर रहे हैं। उनके बयानों को लेकर कई बार विवाद भी हुआ है।
चुनाव आयोग द्वारा उन पर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया जाना उनके विवादित राजनीतिक करियर की एक और कड़ी है। देखना होगा कि वह आयोग के नोटिस का जवाब कैसे देते हैं और इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।
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