आंध्र प्रदेश और ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनाव 2024: मतदान जारी, वोटर टर्नआउट, ईवीएम और प्रमुख मुकाबले पर लाइव अपडेट
14 मई 2024 15 टिप्पणि Rakesh Kundu

आंध्र प्रदेश और ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए मतदान प्रक्रिया जारी है। यह दोनों राज्यों के राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण चुनाव हैं और सत्तारूढ़ दलों और विपक्ष दोनों के लिए काफी महत्व रखते हैं।

आंध्र प्रदेश में उच्च दांव का मुकाबला

आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) अपनी पिछली सफलता को दोहराने का लक्ष्य रखते हुए सभी 175 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी अपनी कल्याणकारी योजनाओं और चुनावी गारंटी 'नवरत्नालु प्लस' पर भरोसा कर रही है।

विपक्ष चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व में राज्य सरकार की विफलताओं को उजागर कर रहा है और बेरोजगारी को खत्म करने का वादा कर रहा है। राहुल गांधी ने कडपा में एक रैली को संबोधित करते हुए भाजपा पर टीडीपी, वाईएसआरसीपी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी को पर्दे के पीछे से नियंत्रित करने का आरोप लगाया।

टीडीपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 144 विधानसभा सीटों, भाजपा 17 लोकसभा सीटों और जनसेना 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

ओडिशा में नवीन पटनायक का आरोप

वहीं, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने चुनाव से पहले भाजपा नेताओं पर झूठ फैलाने और मगरमच्छ के आंसू बहाने का आरोप लगाया। राज्य में अपनी 147 विधानसभा सीटों में से 28 और 4 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है।

ईवीएम से सुगम मतदान

मतदान प्रक्रिया को 1.6 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के माध्यम से सुविधाजनक बनाया जा रहा है, जिनमें से किसी भी खराबी की स्थिति में 20% अतिरिक्त ईवीएम तैयार रखी गई हैं। चुनाव आयोग आंध्र प्रदेश में मतदान प्रतिशत को बढ़ाकर 83% करने का प्रयास कर रहा है, जबकि 2019 के चुनावों में यह 79.83% था।

चुनाव परिणाम का महत्व

इन चुनावों के परिणाम दोनों राज्यों के राजनीतिक परिदृश्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और सत्तारूढ़ दलों और विपक्ष दोनों के लिए काफी महत्व रखते हैं। आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी की सफलता या विफलता राज्य की भविष्य की राजनीति को आकार देगी। वहीं ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजद) पिछले दो दशकों से राज्य में शासन कर रही है और इस बार भी उनकी सफलता का दावा कर रही है।

विपक्षी दलों के लिए भी ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनके प्रदर्शन से यह तय होगा कि वे आने वाले समय में राज्य की राजनीति में कितनी बड़ी भूमिका निभा पाएंगे। खासकर भाजपा जो पिछले कुछ वर्षों में दोनों राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रही है, उसके लिए ये चुनाव लिटमस टेस्ट साबित होंगे।

कुल मिलाकर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनाव दोनों राज्यों की राजनीति के भविष्य को तय करने वाले महत्वपूर्ण चुनाव हैं। इन चुनावों के नतीजों का देश की राजनीति पर भी व्यापक असर पड़ेगा।

Rakesh Kundu

Rakesh Kundu

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

15 टिप्पणि

rishabh agarwal

rishabh agarwal

मई 14, 2024 AT 01:28

आंध्र प्रदेश और ओडिशा के चुनावों को देखना एक दार्शनिक यात्रा जैसी लगती है। हम अक्सर सोचते हैं कि वोटर टर्नआउट क्या दर्शाता है, लेकिन असल में यह सार्वजनिक भावना की गहराई को उजागर करता है। ईवीएम का प्रयोग तकनीकी प्रगति को दर्शाता है, फिर भी मनुष्य की इच्छा का असर नहीं हटाता। विकल्पों की बहुलता में, कई लोग अपने भविष्य को आकार देने के लिए देख रहे हैं। मतदान प्रतिशत का लक्ष्य 83% तक बढ़ाना लोकतंत्र की जीवंतता का संकेत है। विदेह गहराई में, प्रत्येक सीट पर संघर्ष का एक अलग रंग है। टीडीपी, वाईएसआरसीपी, और बीजद की रणनीतियाँ जैसे विभिन्न शतरंज के खेल के मोहरे हैं। चुनावी गारंटी और नवरत्नालु प्लस जैसे नारे जनता की आशा को प्रतिबिंबित करते हैं। फिर भी, उन जालों से बचना जरूरी है जहाँ राजनीति के आड में छिपी हेरफेर हो। प्रत्येक वोटर की भागीदारी एक सामूहिक आवाज़ बनती है, जो अंततः सत्ता को जवाबदेह बनाती है। इस प्रक्रिया में, इलेक्ट्रॉनिक मशीनों का भरोसा रहने से तकनीकी विफलताओं का जोखिम घटता है। परन्तु तकनीक के साथ, मानवीय निगरानी का महत्व भी नहीं मिटता। यह चुनाव न सिर्फ राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी लहरें पैदा करेगा। अंत में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सार लोगों की सहभागिता में निहित है। इसलिए, हमें प्रत्येक वोट को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यही भविष्य का निर्धारण करता है।

Apurva Pandya

Apurva Pandya

मई 20, 2024 AT 22:16

भाई, अगर हम नैतिकता के आधार पर चुनाव देखते हैं तो भाजपा का नियंत्रण तो साफ़ दिखता है 😒। यह ठीक नहीं कि कोई पार्टियाँ पर्दे के पीछे से खेलें।

Nishtha Sood

Nishtha Sood

मई 27, 2024 AT 19:04

नई ऊर्जा और आशावाद के साथ देख रहा हूँ कि लोग मतदान में कितना उत्साह दिखा रहे हैं। सच्ची उम्मीद है कि युवा वर्ग अपनी आवाज़ उठाएगा। हम सब मिलकर बेहतर भविष्य बना सकते हैं।

Hiren Patel

Hiren Patel

जून 3, 2024 AT 15:52

वाह! ईवीएम की गिनती सुनकर मानो तकनीकी जादू के साथ लोकतंत्र को चमकते सोने की धारा मिल गई हो। लेकिन याद रखो, मशीनें तो बस उपकरण हैं, असली शक्ति तो जनता की आवाज़ में है-जोरदार, तेज़, रंगीन! 🌈
आँखों से देखो तो हर बूथ में बेचैन दिलों के धड़कनें वायुमंडल में गूँज रही हैं।

Heena Shaikh

Heena Shaikh

जून 10, 2024 AT 12:40

देखो, चुनाव का मैदान वहीँ नहीं जहाँ सिर्फ वोट गिने जाते हैं; यह विचारों की टकराव भी है। टेबल पर रखी हर रणनीति एक दिमागी खेल है, और अगर आप समझ नहीं पाए तो आपका आवाज़ भटकेगा।

Chandra Soni

Chandra Soni

जून 17, 2024 AT 09:28

सभी को जोड़ते हुए, चलिए इस चुनाव को एक टीम बिल्डिंग इवेंट मानें! जीत‑हार से ज्यादा महत्वपूर्ण है सहभागिता, इसलिए हर वोटर को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। #ElectionEnergy

Kanhaiya Singh

Kanhaiya Singh

जून 24, 2024 AT 06:16

आधुनिक लोकतंत्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें प्रभावी हैं, परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तकनीकी सहायता के साथ नैतिक जिम्मेदारी भी बढ़ती है। 🧐

prabin khadgi

prabin khadgi

जुलाई 1, 2024 AT 03:04

विचारणीय रूप से, यदि हम मतदान प्रतिशत की लक्ष्य पूर्णता को एक सांख्यिकीय मानदंड के रूप में विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट होता है कि 83% लक्ष्य पारित करने हेतु समीकरण में कई वैरिएबल्स शामिल हैं-जैसे जनसंख्या वृद्धि, प्रवास, तथा अभिज्ञानात्मक प्रतिबंध। अतः, यह केवल प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि सामाजिक विज्ञान का एक बहुआयामी अध्ययन है।

Aman Saifi

Aman Saifi

जुलाई 7, 2024 AT 23:52

सम्पूर्ण भारत में यह चुनाव एक सामंजस्यपूर्ण मंच बन रहा है, जहाँ विभिन्न विचारधाराएँ शांतिपूर्ण तरीके से अभिव्यक्त हो रही हैं। हमें इस बहुलता को सम्मान देना चाहिए और एकजुटता के साथ परिणामों को देखना चाहिए।

Ashutosh Sharma

Ashutosh Sharma

जुलाई 14, 2024 AT 20:40

ओह भाई, ये चुनाव तो बस एक बड़ी ड्रामा रही।

Rana Ranjit

Rana Ranjit

जुलाई 21, 2024 AT 17:28

विचारों का नृपक्ष यहाँ स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है; प्रत्येक पार्टी की नीति स्वयं एक दार्शनिक प्रतिपादित सिद्धान्त को प्रतिबिंबित करती है, और इस प्रकार जनसमुदाय के सामूहिक तर्कशीलता को दर्शाती है।

Arundhati Barman Roy

Arundhati Barman Roy

जुलाई 28, 2024 AT 14:16

जिन परिक्षा अनुसार, वोटर टर्नआउट इन्हन की परफॉर्मेंस हद तक महत्तवपूण है, लेकिन फुर्की भुलो।

yogesh jassal

yogesh jassal

अगस्त 4, 2024 AT 11:04

वाह, देखो तो सही! चुनाव का माहौल अब उत्साह से भर गया है 😊। आशा है कि स्थानीय स्तर पर भी लोग अपनी आवाज़ उठाएंगे और बदलाव लाएंगे। पर कभी‑कभी तो सोचते हैं, क्या यह सब सिर्फ एक बड़ी पार्टी की खेल है?

Raj Chumi

Raj Chumi

अगस्त 11, 2024 AT 07:52

मतदान के दिन सब लोग लाइन में खड़े, फ़ोन में गाने सुनते, और कबूतरों को देखते-कितना मस्त माहौल है? सच में, ये देश की रंगीनी को दिखाता है।

mohit singhal

mohit singhal

अगस्त 18, 2024 AT 04:40

देशभक्तों का अधिकार है कि वे अपने राष्ट्र की सुरक्षा और शक्ति को प्राथमिकता दें! इस चुनाव में हमें राष्ट्रीय भावना को प्राथमिकता देनी चाहिए 🇮🇳। भुला दो सभी विदेशी प्रभाव, सिर्फ भारत की जीत हो! 🙌

एक टिप्पणी लिखें