आंध्र प्रदेश और ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए मतदान प्रक्रिया जारी है। यह दोनों राज्यों के राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण चुनाव हैं और सत्तारूढ़ दलों और विपक्ष दोनों के लिए काफी महत्व रखते हैं।
आंध्र प्रदेश में उच्च दांव का मुकाबला
आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) अपनी पिछली सफलता को दोहराने का लक्ष्य रखते हुए सभी 175 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी अपनी कल्याणकारी योजनाओं और चुनावी गारंटी 'नवरत्नालु प्लस' पर भरोसा कर रही है।
विपक्ष चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व में राज्य सरकार की विफलताओं को उजागर कर रहा है और बेरोजगारी को खत्म करने का वादा कर रहा है। राहुल गांधी ने कडपा में एक रैली को संबोधित करते हुए भाजपा पर टीडीपी, वाईएसआरसीपी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी को पर्दे के पीछे से नियंत्रित करने का आरोप लगाया।
टीडीपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 144 विधानसभा सीटों, भाजपा 17 लोकसभा सीटों और जनसेना 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
ओडिशा में नवीन पटनायक का आरोप
वहीं, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने चुनाव से पहले भाजपा नेताओं पर झूठ फैलाने और मगरमच्छ के आंसू बहाने का आरोप लगाया। राज्य में अपनी 147 विधानसभा सीटों में से 28 और 4 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है।
ईवीएम से सुगम मतदान
मतदान प्रक्रिया को 1.6 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के माध्यम से सुविधाजनक बनाया जा रहा है, जिनमें से किसी भी खराबी की स्थिति में 20% अतिरिक्त ईवीएम तैयार रखी गई हैं। चुनाव आयोग आंध्र प्रदेश में मतदान प्रतिशत को बढ़ाकर 83% करने का प्रयास कर रहा है, जबकि 2019 के चुनावों में यह 79.83% था।
चुनाव परिणाम का महत्व
इन चुनावों के परिणाम दोनों राज्यों के राजनीतिक परिदृश्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और सत्तारूढ़ दलों और विपक्ष दोनों के लिए काफी महत्व रखते हैं। आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी की सफलता या विफलता राज्य की भविष्य की राजनीति को आकार देगी। वहीं ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजद) पिछले दो दशकों से राज्य में शासन कर रही है और इस बार भी उनकी सफलता का दावा कर रही है।
विपक्षी दलों के लिए भी ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनके प्रदर्शन से यह तय होगा कि वे आने वाले समय में राज्य की राजनीति में कितनी बड़ी भूमिका निभा पाएंगे। खासकर भाजपा जो पिछले कुछ वर्षों में दोनों राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रही है, उसके लिए ये चुनाव लिटमस टेस्ट साबित होंगे।
कुल मिलाकर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनाव दोनों राज्यों की राजनीति के भविष्य को तय करने वाले महत्वपूर्ण चुनाव हैं। इन चुनावों के नतीजों का देश की राजनीति पर भी व्यापक असर पड़ेगा।
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