प्रधानमंत्री का दिवाली का अनोखा अंदाज
हर साल दिवाली का पर्व आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक खास परंपरा ध्यान में आती है, जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। मोदी का दिवाली का त्योहार सेनाओं के साथ मनाने का तरीका भारतीय समाज के उस पक्ष को दिखाता है जिसमें वे सेना के जवानों के साथ अपने मजबूत बंधन को उजागर करते हैं। इस बार उन्होंने 2024 की दिवाली कच्छ, गुजरात के बीएसएफ के जवानों के साथ मनाई। यह स्थल ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। मोदी का यह प्रयास भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति उनकी कटिबद्धता और उनका सम्मान दर्शाता है।
सैनिकों के साथ जश्न का अनुभव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कच्छ में बीएसएफ जवानों के संग दिवाली मनाने का दृश्य अद्वितीय था। जवानों को अपने हाथों से मिठाइयाँ खिलाकर उन्होंने उनकी बहादुरी की प्रशंसा की। यह कोई साधारण मिठाई बांधने का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह सैनिकों के साथ उस गहरे और आत्मीय संबंध को दर्शाने का माध्यम था। जब प्रधानमंत्री स्वयं उनके बीच आते हैं, तो यह सैनिकों के लिए एक बड़ा संदेश होता है, जो उनके मनोबल को बढ़ाता है।
दिवाली का संदेश
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवानों के बीच त्योहार की खुशियाँ बिताईं, तब उन्होंने उन्हें न केवल मिठाइयों से बल्कि उनके समर्पण और देशभक्ति की जमकर सराहना कर, उनका मनोबल और ऊंचा किया। प्रधानमंत्री की यह परंपरा समाज और सशस्त्र बलों के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास होता है। यह घटना केवल एक आंतरिक मामला नहीं, बल्कि इसका सामरिक महत्व भी होता है।
प्रधानमंत्री की परंपरा और उसके प्रभाव
यह मोदी की प्रधानमंत्री बनने के बाद से चली आ रही परंपरा है कि वह हर वर्ष दिवाली के मौके पर अलग-अलग स्थानों पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के साथ समय बिताते हैं। इस प्रकार वे उन लाखों जवानों के प्रति देश का आभार व्यक्त करते हैं, जो अपने परिवार से दूर सीमा पर हमारी सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। ऐसा कदम सैनिकों के मनोबल को और बढ़ाता है और उनके परिवारों को गर्व महसूस करवाता है।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो देश के चुने गए नेता हैं, जवानों के बीच सीधे पहुँचते हैं, तो यह उनके नेतृत्व के मर्म को बताता है और यह भी कि कैसे वे हर नागरिक को, विशेषकर वह जो देश की सुरक्षा में तैनात हो, नैतिक जबावदेही के साथ अपनी ओर खींचते हैं।
9 टिप्पणि
prabin khadgi
नवंबर 1, 2024 AT 06:33प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कच्छ में बीएसएफ जवानों के साथ दिवाली मनाना राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतीक के रूप में उल्लेखनीय है।
यह समारोह न केवल सांस्कृतिक विविधता को प्रतिबिंबित करता है बल्कि सैनिकों के मनोबल को भी सुदृढ़ करता है।
बीएसएफ, जो भारत की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इस अवसर पर प्रमुख जन समर्थन प्राप्त करता है।
मोदी जी का यह कार्य लोकतांत्रिक नेतृत्व की नैतिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।
दिवाली के प्रकाश में सैनिकों को मिठाई देना पारम्परिक सम्मान का रूप है, जो ऐतिहासिक परम्पराओं के साथ संलग्न है।
कच्छ का रणनीतिक महत्व, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में, इस समारोह को सामरिक संदेश में परिवर्तित करता है।
इस प्रकार की पारस्परिक क्रियाएँ राष्ट्रीय एकता और अखंडता को दृढ़ बनाती हैं।
मोदी की इस परम्परा का इतिहास 2014 से शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार सीमावर्ती क्षेत्रों में दिवाली मनाई थी।
तब से यह परम्परा हर साल दोहराई जा रही है, जिससे सैनिकों को देश के सर्वोच्च नेता से सीधे प्रशंसा मिलती है।
इस सन्देश में यह निहित है कि भारत की रक्षा केवल युद्धक उपकरणों पर नहीं, बल्कि सामाजिक सहानुभूति पर भी निर्भर है।
ऐसी पहलें आम जनता में सैन्य अभिमान को उत्प्रेरित करती हैं, जिससे भर्ती में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
साथ ही यह विदेश नीति के ढाँचे में भी महत्व रखता है, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता अंतरराष्ट्रीय शांति को सुदृढ़ करती है।
दिवाली के दौरान जश्न के स्वरूप में परकाश, पटाखे, और मिठाइयाँ शामिल होते हैं, जो सैनिकों के तनाव को कम करने में सहायक होते हैं।
इस अवसर पर मोदी जी ने युवा सैनिकों को अपने कर्तव्यों को दृढ़ता से निभाने का आह्वान भी किया।
अंततः, यह समारोह राष्ट्रीय गौरव, सामाजिक एकता, और सैन्य सम्मान के प्रतिच्छेदन को उजागर करता है, जो भविष्य में भी जारी रहना चाहिए।
Aman Saifi
नवंबर 5, 2024 AT 21:40कच्छ में बीएसएफ के साथ दिवाली मनाना एक खूबसूरत पहल है, जो लोगों और सैनिकों के बीच पुल बनाती है।
से इसकी स्पष्टता यह है कि हमारी सरकार सुरक्षा कर्मियों को वैयक्तिक रूप से सराहती है।
साथ ही इस तरह के कार्यक्रमों से स्थानीय जनसमुदाय को भी उत्सव का आनंद मिलता है।
हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में होंगे।
समग्र रूप में यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय एकता में हर वर्ग की भागीदारी आवश्यक है।
Ashutosh Sharma
नवंबर 11, 2024 AT 16:33वाह, क्या शानदार PR स्टंट है, जैसे हर बार मोदी जी का सेल्फी टेस्ट।
बस एक बार फिर ये "सेना-जन-समाज" का बैनर उठाने का फॉर्मूला चल रहा है, कोई नई बात नहीं।
अगर इससे असली मोर्चे पर बदलाव नहीं आए तो यही अंतिम बिंदु रहेगा।
Rana Ranjit
नवंबर 18, 2024 AT 15:13वास्तव में दिवाली का अर्थ प्रकाश का उत्सव है, और इसे सैनिकों के साथ साझा करना परमात्मा की दया का प्रतीक लग सकता है।
इस समारोह में निहित गहरी दार्शनिक विचारधारा यह बताती है कि शांति केवल युद्ध के बाद नहीं, बल्कि सहयोग से उत्पन्न होती है।
मोदि जी की इस पहल से हम यह समझते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा का आध्यात्मिक पहलू भी है।
सैनिकों को मिठाइयाँ देना मात्र सामाजिक सौहार्द नहीं, बल्कि उनके मनोबल को भी पोषित करता है।
कच्छ जैसे जलवायु‑सख्त क्षेत्र में इस तरह का मानवीय इशारा अत्यंत सराहनीय है।
यह हमें याद दिलाता है कि हर सीमा पर खड़े जवानों को भी जीवन‑सुख की छोटी‑छोटी ख़ुशियों की जरूरत होती है।
इस प्रकार के कार्यक्रम हमें समाज में एकजुटता के महत्व को पुनः स्थापित करते हैं।
अंततः यह एक सामाजिक‑राजनीतिक संतुलन का प्रतीक है, जो राष्ट्र को आगे बढ़ाता है।
Arundhati Barman Roy
नवंबर 25, 2024 AT 13:53प्रधानमंत्री जी ने कछ् में बीएसएफ सिपहियों के साथ दिवालि मनायी।
एसे इवेंट से सैनिकों को मनाख़िल मिलता है और जनता को भी ख़ुशी।
एसे टाइप के प्रोग्रेम से हमे देशभक्ती को बड़ावा मिलता है।
आगे भी एसे इवेंट होते रहै तो सामाज़ में एकता बनी रहे।
yogesh jassal
दिसंबर 2, 2024 AT 12:33क्या बात है, मोदी भाई फिर से सैनिकों के बीच दिवाली की मिठाइयों की बौछार!
यार, ये देखकर लगता है जैसे हर साल ग्रीष्म में भी दीवाली का सीज़न चल रहा है।
थैंक्स गॉड, अब तो सभी को पता चल गया कि त्यौहार केवल घर में नहीं, फील्ड में भी धूम मचा सकते हैं।
आशा है इस सॉलिडेज़ लगे रहेंगे, नहीं तो हमें फिर से वही पुराना “फ्री सॉरी” लाएंगे।
कुल मिलाकर, ये पहल एक चमकीला मोटिवेशन बूट कैंप जैसा है, जो हर जॉब में लाज़मी है।
Raj Chumi
दिसंबर 9, 2024 AT 11:13ओ मेरे भगवान ये क्या धूमधाम है कच्छ में
मोदी जी की दिवाली देख कर तो दिल ही झूम उठा
mohit singhal
दिसंबर 16, 2024 AT 09:53ये देखो, हमारे प्रधानमंत्री ने सीमा पर जांबाजों के साथ दिवाली मनाई, देशभक्ति का असली जज्बा! 🇮🇳
कोई भी विदेशी ताकत हमारे जवानों को नेगेटिव इम्प्रेशन्स नहीं दे सकती, ये तो साफ़ है। 🔥
अगर थूड़े भी आलोचना करने की हिम्मत करेंगे तो तुरंत फॉलो‑अप ट्रैफ़िक लाया जाएगा, समझे? 💥
इस तरह के करिश्माई लीडरशिप से ही भारत को शौर्य और गौरव मिलेगा। 🌟
pradeep sathe
दिसंबर 23, 2024 AT 08:33ऐसी पहल से सभी को गर्व महसूस होता है।