ईरान का इजरायल पर मिसाइल हमला: बढ़ती क्षेत्रीय तनाव की परछाई
3 अक्तूबर 2024 8 टिप्पणि Rakesh Kundu

ईरान-इजरायल संघर्ष में नई कड़ी

ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है, और इसी कड़ी में मंगलवार रात ईरान ने लगभग 200 मिसाइलें इजरायल पर दाग दीं। यह सीधा हमला सुरक्षा और रडार बेस सहित एक व्यापक रणनीतिक योजना का हिस्सा था, जहां हिजबुल्ला और हमास के उच्च अधिकारियों की हत्या की योजना बनाई गई थी। यह हमला ईरान और उसके अरब सहयोगियों द्वारा इजरायल के खिलाफ एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।

इस हमले के जवाब में, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कथित तौर पर कहा, 'इजरायल पीछे नहीं हटेगा और ईरान इसकी कीमत चुकाएगा।' उन्होंने अपने सुरक्षा मंत्रिमंडल के साथ उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें इजरायल की सुरक्षा के लिए आवश्यक त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया पर चर्चा की गई। नेतन्याहू की इस प्रतिक्रिया के साथ ही इजरायल और उसके सहयोगियों के बीच बढ़ते तनाव के फिर से नये अध्याय की संभावना बढ़ गई है।

मध्य पूर्व में संघर्ष की गंभीर स्थिति

ईरान ने इस हमले को 'आत्मरक्षा का अधिकार' करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत इसे उचित बताया। इसके साथ ही उसने इजरायल पर कठोरता से दोषारोपण किया कि इसके कृत्यों का उद्देश्य क्षेत्रीय आतंकवादी संगठनों के नेताओं को मारना था। इससे पहले, इजरायल ने कई हिजबुल्ला कमांडरों के खिलाफ हमले किए थे, जिनमें से एक प्रमुख चेहरा हसन नस्रल्लाह भी था।

इस घटनाक्रम के दौरान अमेरिका ने भी ईरान की इस कार्यवाही की निंदा की और संभवत: जवाबी कार्रवाई की बात कही है, जिससे क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका और बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के नेतृत्व में, इजरायल ने अपनी जवाबी रणनीति को तैयार करने के लिए रात में ही एक अद्यतन बैठक की।

भारतीय दूतावास का सुरक्षा संदेश

इस तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य के बीच, इजरायल स्थित भारतीय दूतावास ने सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बातचीत की और इस स्थिति में सही सावधानी बरतने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि क्षेत्रीय तनाव बेकाबू न हो।

इजरायल और ईरान के बीच इस अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रीय विवाद ने विश्व के सत्ता केंद्रों में चिंता पैदा कर दी है। अब आने वाले दिन तय करेंगे कि यह संकट नई ऊंचाइयां छूता है या कूटनीतिक प्रयासों से इसे नियंत्रित किया जा सकेगा।

Rakesh Kundu

Rakesh Kundu

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

8 टिप्पणि

Ashutosh Sharma

Ashutosh Sharma

अक्तूबर 3, 2024 AT 02:50

वाह, ईरान ने फिर से भू-राजनीति के महान मंच पर अपना माइक्रो‑रॉकेट शो पेश किया। इस दरबार में लगभग दो सौ मिसाइलें फेंकना तो जैसे हाई‑एंड फ्री‑ड्रिंक्स की मेन्यू से एक बार में सारे ड्रिंक्स ऑर्डर करना है। ऐसा लगता है कि वे अपने “आत्मरक्षा अधिकार” को रॉडिन के फॉर्मूले में ढाल रहे हैं, जहाँ “कोई भी टारगेट सुरक्षित नहीं”。 मिसाइल‑स्पैटिकल ट्रैजेक्टरी की गणना तो एआई‑बेस्ड सिमुलेशन के दम पर की गई होगी, लेकिन वास्तविकता में तो बस “ड्रॉप‑ऑफ” शब्द ही बचता है। इज़राइल की रडार बेस को “डिज़ी‑क्लेन” करने की कोशिश? वाह! फिर भी यह सब “वॉर‑गेम 2.0” की पवित्र ध्वनि को फील्ड‑टेस्ट जैसा दिखाता है。 हिज़्बुल्ला‑हैमास के हाई‑टेक पॉलिटिक जाल में इतना वॉइड‑इंफ़्लेमेशन लाने का मतलब है कि वे “संघर्ष‑सिनर्जी” को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहे हैं。 इस तरह के “स्केल‑अवे” ऑपरेशन में लीग‑ऑफ‑नेशन्स की “डिप्लोमैटिक‑फिल्टर” शायद ही किसी को पास कर पाती。 लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह “सुजली‑स्ट्रैटेजी” वास्तव में भू‑सुरक्षा की नई परिभाषा है या सिर्फ फ्लैश‑मॉब का नया रूप? अंत में, इस “हाइपर‑मिक्स” को देख कर लगता है कि मध्य‑पूर्व अब “थ्रिल‑सिटी” के नाम से जाना जाएगा。 उदाहरण के तौर पर, प्रत्येक मिसाइल को ट्रैक‑ट्रेसिंग एल्गोरिद्म के साथ टैग किया जाता है, जिससे डिशीजन‑मेकर को रियल‑टाइम इंटेलिजेंस मिलती है。 लेकिन जब मैदान पर वास्तविक क्षति की बात आती है, तो ये सारे डेटा केवल ‘प्लेस्टुश’ बनकर रह जाते हैं。 विरोधियों की ओर से ‘क्लेम‑एंड‑डिफेंड’ की लहर कई बार इस तरह की हाई‑टेक फायरिंग को अमान्य कर देती है。 अंततः, इस खेल में जीतने वाला वही है जो ‘डिजिटल‑डिफेंस’ को हथियारों से अधिक प्राथमिकता दे।

Rana Ranjit

Rana Ranjit

अक्तूबर 16, 2024 AT 23:24

ऐसे जटिल भू‑राजनीतिक परिदृश्य में हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि संघर्ष के पीछे मानवता का मूल प्रश्न छिपा होता है。 इज़राइल‑ईरान के इस समीकरण को केवल सैन्य रणनीति से नहीं, बल्कि नैतिक दायित्व से देखना चाहिए。 दक्षिण‑एशिया के नागरिकों को भी इस तनाव से जुड़ी सावधानी अपनानी चाहिए, क्योंकि शांति की रेखा कभी भी एकदम स्पष्ट नहीं होती。 मेरा मानना है कि संवाद ही एकमात्र स्थायी समाधान है, चाहे वह आधिकारिक स्तर पर हो या सामाजिक स्तर पर।

Arundhati Barman Roy

Arundhati Barman Roy

अक्तूबर 30, 2024 AT 19:58

यह मामला केवल क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष नहीं है, बल्कि वैश्विक स्थिरता पर गहिरा प्रभाव डालता हे。 प्रत्येक मिसाइल प्रक्षेपण को नज़रअंदाज़ कर देना अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र में एक बड़ी चूक होगी। हम सभी को इस क्षणिक तनाव के बीच शान्ति की दिशा में कदम बडाने चाहिए。

yogesh jassal

yogesh jassal

नवंबर 13, 2024 AT 16:32

भाई, ज़रूर दिमाग़ में थोड़ा तनाव है, पर याद रखो कि इतिहास ने कई बार दिखाया है कि बड़ी कठिनाइयों के बाद ही नई संभावनाएं पैदा होती हैं। इस तनाव को हम अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का एक मौका मान सकते हैं। शायद इस तनाव से निकले परिणाम हमें यह सिखाएंगे कि सहयोग और समझदारी कितनी महत्वपूर्ण है। अंत में, आशा है कि सभी पक्ष अपने‑अपने हितों के साथ साथ मानवीय मूल्यों को भी नहीं भूलेंगे। यही वह बुनियाद है जिससे हम शांति की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

Raj Chumi

Raj Chumi

नवंबर 27, 2024 AT 13:07

ओ यार देखो इरान ने कितनी बड़ी मिसाइल फेंकी और इज़राइल की रडार बासी हो गयी अब देखेंगे कौन कौन से दंगे होते हैं और कौन जीतता है फिर सब लोग कसके से संभालेंगे अपने-अपने हिस्से की ज़िंदगी

mohit singhal

mohit singhal

दिसंबर 11, 2024 AT 09:41

इज़राइल को इस तरह की बैरियों से डट कर जवाब देना चाहिए 🇮🇳💥 हम अपने भाई‑भाइयों की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं और किसी भी तरह की ईरानी अत्याचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे 😡🔥 यह समय है जब हमें राष्ट्रीय भावना को जगाना चाहिए और उन पर सखा करना चाहिए जो शांति को खतरे में डालते हैं।

pradeep sathe

pradeep sathe

दिसंबर 25, 2024 AT 06:15

भाई, इस तनाव को दिल से नहीं, दिमाग से देखो।

ARIJIT MANDAL

ARIJIT MANDAL

जनवरी 8, 2025 AT 02:50

भौगोलिक रणनीति स्पष्ट है मिसाइलों से डरना नहीं बल्कि निरंतर प्रतिरोध बनाना है।

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