डोडा जिले में आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के देसा इलाके में सोमवार शाम 16 जुलाई 2024 को आतंकियों के खिलाफ एक भीषण मुठभेड़ शुरू हुई। इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के केप्टन बृजेश थापा और चार अन्य जवान शहीद हो गए हैं। लगभग 30 किलोमीटर दूर डोडा मुख्यालय से यह मुठभेड़ का स्थल हरा भरा और पहाड़ी क्षेत्र है, जहाँ सुरक्षा बलों को आतंकियों को खोजने के लिए भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
मुठभेड़ की शुरुआत और तत्कालीन घटनाएँ
यह ऑपरेशन शाम को करीब 7:30 बजे शुरू हुआ, जब सुरक्षा बलों को सूचना मिली कि इलाके में आतंकी छुपे हुए हैं। सेना, पुलिस और सीआरपीएफ के जवान मौके पर पहंचे और तलाशी अभियान शुरू कर दिया। इलाके की भूगोल और घने जंगल ने सुरक्षा बलों के लिए मुश्किलें पैदा की।
मुठभेड़ के दौरान, अचानक अंधेरा और धुंध छा गई, जिससे दृश्यता में बाधा आई और मुठभेड़ और भी खतरनाक हो गई। इसके बावजूद जवानों ने वीरता और साहस दिखाते हुए आतंकियों का सामना किया। इस संघर्ष में केप्टन बृजेश थापा और चार अन्य जवान शहीद हो गए।
केप्टन बृजेश थापा की वीरता
केप्टन बृजेश थापा हमेशा से ही अपने साहस और देशप्रेम के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया और अपने साथियों के साथ अत्यधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में आतंकियों का दृढ़ता से सामना किया। उनके त्याग और बलिदान ने एक बार फिर से साबित किया कि भारतीय सेना के जवान अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
शहीद हुए अन्य जवान
इस मुठभेड़ में शहीद हुए चार अन्य जवान भी अन्यथा साहसी और समर्पित थे। वे सभी अपने परिवारों और देश के लिए गर्व का विषय हैं। उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनका सम्मान अनंतकाल तक किया जाएगा।
सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद, सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और तलाशी अभियान को तेज कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान कई आतंकी भी मारे गए हैं। उन्होंने बताया कि घातक आंतकियों के बारे में पहले से मिली सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
डोडा के नागरिक भी इस घटना से स्तब्ध हैं। वे शहीद हुए जवानों के परिवारों के प्रति सहानुभूति और संवेदना प्रकट कर रहे हैं। क्षेत्र में तनाव का माहौल है और सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है।
भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
यह मुठभेड़ भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक और चुनौतीपूर्ण घटना है। सुरक्षा बल लगातार आतंकियों के खिलाफ सक्रिय हैं और देश को सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। यह घटना हमारे जवानों की अदम्य साहस और समर्पण का प्रतीक है, जो अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं।
केप्टन बृजेश थापा और चार अन्य जवानों के बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा। उनका यह त्याग देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और हमें अपने सुरक्षा बलों पर गर्व करने का एक और मौका देता है।
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