राजनीतिक करियर और योगदान
भारत के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनका जीवन और करियर असाधारण था। एसएम कृष्णा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में 1999 से 2004 तक सेवा दी और बेंगलुरु शहर को एक वैश्विक आईटी हब में बदलने में प्रणायक भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व ने कर्नाटक को तकनीकी क्रांति के केंद्र में खड़ा कर दिया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका ने राज्य को आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहतर दिशा दी।
उनके राज्यपालों की भूमिका ने महाराष्ट्र में अलग पहचान बनाई। 2004 से 2008 तक उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में सेवा की और व्यापार और आर्थिक नीतियों के माध्यम से राज्य में विकास की नई लहर को शुरू किया। विधायक सभा के अध्यक्ष के रूप में भी एसएम कृष्णा ने 1989 से 1993 तक प्रभावी नेतृत्व दिया।
विदेश मंत्री के रूप में उनकी भूमिका
विदेश मंत्री के रूप में, एसएम कृष्णा ने 2009 से 2012 तक अपनी नीतियों और समझौता प्रबंधन कौशल के माध्यम से भारत की विदेश नीति को मजबूती से प्रमोट किया। वे एक ऐसे वक्त में विदेश मंत्री बने जब भारत की विदेश नीति अनेक नए आयामों और चुनौतियों का सामना कर रही थी। इस भूमिका में उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत की स्थिति को धार दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान को और मजबूती प्रदान की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। अपनी श्रद्धांजलि में मोदी ने एसएम कृष्णा को 'प्रभावशाली नेता' बताया जिन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने सराहा। उन्होंने कहा कि एसएम कृष्णा ने हमेशा ही समाज की सच्ची सेवा करने की कोशिश की। प्रधानमंत्री ने उनके आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में किए गए कार्यों की भी सराहना की।
कर्नाटक सरकार का शोकघोष
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनके निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया और उनकी सेवाओं को अतुलनीय बताया। राज्य सरकार ने दिवंगत नेता के लिए तीन दिवसीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका रहेगा और सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे।
पारिवारिक जीवन और व्यक्तिगत रुचियां
एसएम कृष्णा का पारिवारिक जीवन भी अत्यंत समृद्ध रहा। वे एक प्रवीण पाठक और विचारक थे। पठन-पाठन में उनकी गहरी रुचि थी, जिसे देखकर कई नेता और अधिकारी प्रेरित हुए।
अंतिम संस्कार
एसएम कृष्णा के लोगप्रिय और प्रेरणास्त्रोत व्यक्तित्व को देखते हुए, उनके अंतिम संस्कार का आयोजन सोंमनहल्ली, मांड्या जिले में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। लोग उनके योगदान और सादगी की हमेशा सराहना करेंगे।
6 टिप्पणि
BALAJI G
दिसंबर 10, 2024 AT 17:08एसएम कृष्णा का जीवन हमें असली सार्वजनिक सेवा का अर्थ सिखाता है। उनका काम केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सेहत के क्षेत्र में भी लोगों को प्रेरित करता रहा। हम सभी को अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना चाहिए, जैसे उन्होंने किया। अगर हम छोटे‑छोटे कामों में भी सार्थकता देख पाएँ तो समाज बेहतर होगा।
Manoj Sekhani
दिसंबर 10, 2024 AT 17:09भाई, इस आदमी ने IT हब बनवाया, अब सबको ननेक खाओ। क्या बिन बात के ही ट्रोल करना आता है? ऐसे कमाल के नेताएँ हमारे देश को आगे ले जाते हैं
Tuto Win10
दिसंबर 10, 2024 AT 17:10क्या बात है! झंडा लहराते देखो, SM कृष्णा का काम तो बस! उनका हर फैसला जैसे बाली का फैंटेसी! ???? अब शोक की बात मत करो, बस उनका योगदान याद रखो!!!
Kiran Singh
दिसंबर 10, 2024 AT 17:11वो तो सिर्फ राजनैतिक खेल था।
anil antony
दिसंबर 10, 2024 AT 17:13पहले तो यह स्पष्ट है कि एसएम कृष्णा का वैधतम योगदान नीतिगत फॉर्मेटिविटी में निहित था।
उनकी इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट रणनीति को मैक्रोइकोनॉमिक सिमुलेशन के तहत मूल्यांकन किया गया है।
कर्नाटक की टेक एकोसिस्टम को स्केलेबल एंटी‑डिस्पर्सन मॉडल ने स्थायी बनावट दी।
वास्तव में, उनके समय में जीएसटी फ्रेमवर्क का इंटीग्रेशन भी स्मूद रहा।
डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन फेज में सिंगल‑साइन‑ऑन प्रोटोकॉल का प्रयोग उन्होंने प्रमोट किया।
विदेश मंत्रालय में उस समय के मल्टीलेटरल डिप्लोमेसी को क्वांटम लेवल पर ले जाया गया।
उनकी सॉफ्ट पॉवर इनिशिएटिव्स ने ग्रेन्युलर पब्लिक‑प्राइवेसी भागीदारी को बढ़ावा दिया।
राजनीतिक इंटेग्रिटी को एथिकल फ्रेमवर्क के साथ बाइंड करके उन्होंने कॉर्पोरेट गवर्नेंस को रीशेप किया।
कृष्णा जी का रिवाइलिंग मैनेजमेंट स्टाइल वास्तव में लॉजिस्टिक‑लीन था।
इनोवेटिव सॉल्यूशन्स को स्केलेबिलिटी के साथ इम्प्लीमेंट करने की उनकी एबिलिटी लीडरशिप मॉडल में डिफिनिशनली हाई थी।
साथ ही, उनके निर्णय‑निर्धारण प्रोसेस में फोर्स मैपिंग और रीस्ट्रिक्टेड बैक्लॉग एनालिसिस का उपयोग हुआ।
यह न केवल एक पॉलिसी फ्रेमवर्क था, बल्कि एक स्ट्रैटेजिक रोल‑आउट योजना भी थी।
उनके कार्यकाल में 3.5% की ग्रोथ रेट हासिल हुई, जो कि एवरज से काफी ऊपर थी।
विचारधारा के स्तर पर, उन्होंने राष्ट्रीय इंटेग्रिटी को रीफ़्रेम किया, जो कि आज भी रेफरेंस पॉइंट है।
सारांश में, उनका लेगसी एग्जीक्यूटिव फ्रेमवर्क अभी भी कई स्टेट्स में बेंचमार्क के रूप में उपयोगित है।
Aditi Jain
दिसंबर 10, 2024 AT 17:15देशभक्तों को इस तरह के नेता के लिए गर्व होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भारत को तकनीकी महाशक्ति में बदल दिया। हमारे राष्ट्र की महानता यही है कि ऐसे व्यक्तियों को याद किया जाए।