लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जारी प्रचार अभियान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में रैलियों को संबोधित किया। दोनों नेताओं ने भ्रष्टाचार को एक प्रमुख मुद्दा बनाते हुए एक-दूसरे पर हमला बोला।
प्रधानमंत्री मोदी ने INDIA गठबंधन के दलों के नेताओं पर दिल्ली की जनता को लूटने और विभिन्न घोटालों में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ये नेता अपने स्वार्थ के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं और उनके विकास के लिए कोई ठोस काम नहीं कर रहे हैं।
वहीं, राहुल गांधी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन में आम आदमी को कोई लाभ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक मुट्ठी भर अमीर उद्योगपतियों को ही फायदा हुआ है। गांधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स का भी मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि इनका दुरुपयोग भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया।
केजरीवाल का प्रचार अभियान
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अलग से प्रचार किया और लोगों से अपील की कि वे INDIA गठबंधन को वोट दें ताकि उन्हें जेल से मुक्ति मिल सके। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने उन्हें फंसाने की कोशिश की है।
मोदी का AAP-कांग्रेस गठबंधन पर हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच हुए सीट बंटवारे के समझौते की आलोचना करते हुए इसे 'दोस्ती और कुश्ती' का गठबंधन करार दिया। उन्होंने कहा कि ये दोनों दल सिर्फ सत्ता पाने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिला रहे हैं।
राहुल का मोदी पर पलटवार
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर पलटवार करते हुए उन पर बहस से डरने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी अडानी के साथ अपने संबंधों और इलेक्टोरल बॉन्ड्स के बारे में सवालों का जवाब देने से डरते हैं।
गांधी ने INDIA गठबंधन की योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर वे सरकार बनाते हैं तो भाईचारा बढ़ाने, गरीबी और बेरोजगारी दूर करने और GST को सरल बनाने पर काम करेंगे।
मतदाताओं के सामने दोनों पक्षों की दलीलें
इस प्रकार, लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दिल्ली में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा बनकर उभरा है। एक ओर जहां भाजपा INDIA गठबंधन के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष मोदी सरकार पर अमीरों की सरकार होने का आरोप लगा रहा है।
अब यह देखना होगा कि इन आरोपों-प्रत्यारोपों का मतदाताओं पर क्या असर पड़ता है। क्या वे भाजपा के पक्ष में जाएंगे या फिर विपक्ष के वादों पर भरोसा करेंगे? यह सवाल मतदान के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
लेकिन एक बात तो तय है कि इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस देखने को मिल सकती है। साथ ही, जनता के मुद्दों पर भी दोनों गठबंधन अपनी-अपनी दलीलें पेश करेंगे।
ऐसे में मतदाताओं को सोच-समझकर अपना फैसला लेना होगा। उन्हें यह तय करना होगा कि वे किस पार्टी या गठबंधन पर भरोसा करते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान कौन कर सकता है। यह निर्णय देश के भविष्य को प्रभावित करेगा।
हमें उम्मीद करनी चाहिए कि जनता बुद्धिमानी से अपना वोट का प्रयोग करेगी और ऐसी सरकार चुनेगी जो देश के विकास और जनता के हित में काम करे। हमें एक स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए प्रयास करना होगा।
चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, लेकिन लोकतंत्र की जीत होनी चाहिए। हमें मतभेदों से ऊपर उठकर देश हित में काम करना होगा। यही हमारे लोकतंत्र की असली ताकत होगी और यही भारत को आगे ले जाएगी।
एक टिप्पणी लिखें