मुंबई में पहली बार भूमिगत मेट्रो सेवा की शुरुआत
मुंबई में परिवहन के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखते हुए, पहली बार भूमिगत मेट्रो सेवा की शुरुआत अगले सप्ताह होने जा रही है। यह मेट्रो लाइन शहर के मुख्य क्षेत्रों को जोड़ते हुए यात्रियों की सुविधा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मेट्रो लाइन 3, जिसे कोलाबा-बांद्रा-SEEPZ लाइन भी कहा जाता है, का पहला चरण शुरू होने वाला है।
पहला चरण: आरे डिपो से बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स
मेट्रो लाइन का पहला चरण, जिसे 'आक्वा लाइन' नाम दिया गया है, आरे डिपो से बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) तक फैला है। यह कुल 12.44 किलोमीटर की दूरी तय करेगा और इसमें 10 स्टेशन होंगे। इस मेट्रो का संचालन हफ्ते के दिनों में सुबह 6:30 बजे से रात 10:30 बजे तक और सप्ताहांत में सुबह 8:30 बजे से रात 10:30 बजे तक होगा। नौ रेक प्रतिदिन 96 यात्रा करेंगे और हर आठ-कार वाली ट्रेन में 2,500 यात्री यात्रा कर सकेंगे। ट्रेन के बीच की दूरी 6.40 मिनट होगी।
ड्राइवरलेस ट्रेन और किराया
पहले चरण में मेट्रो सेवा के किराये की रेंज ₹10 से ₹50 होगी। जब पूरा कोरिडोर कफ परेड तक चालू हो जाएगा, तो अधिकतम किराया ₹70 तक हो सकता है। इस मेट्रो में ट्रेनें ड्राइवरलेस चलाने की तकनीक है, लेकिन प्रारंभिक चरण में 48 ट्रेन कैप्टन द्वारा नियंत्रित की जाएंगी।
यात्रियों को शुरुआती चरण में कागजी टिकेट दिए जाएंगे, जिसमें QR कोड होंगे। नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) का उपयोग धीरे-धीरे किया जाएगा, जिससे यात्रियों को अधिक सुविधा मिलेगी।
दूसरा चरण: मार्च 2025 तक
मेट्रो लाइन 3 का दूसरा चरण 21.34 किलोमीटर तक विस्तृत होगा और इसके 2025 के मध्य तक ऑपरेशनल होने की उम्मीद है। यह चरण मार्च से मई के बीच शुरू हो सकता है। इस चरण में प्रतिदिन लगभग 13 लाख यात्री यात्रा करेंगे, जिससे उपनगरीय रेलवे पर भार 15% तक कम हो सकता है और सड़क से 6.5 लाख वाहनों का भार हटाया जा सकता है।
वाणिज्यिक स्थान और वार्षिक आय
MMRCL ने वाणिज्यिक स्थानों से वार्षिक ₹200 करोड़ कमाने की योजना बनाई है। बिजनेस हब्स जैसे बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, सिद्धिविनायक, कफ परेड और हवाई अड्डे के स्टेशनों पर वाणिज्यिक स्थानों के टेंडर निकाले जा रहे हैं। यहां 1.50 लाख वर्ग फीट का व्यापारिक स्थान उपलब्ध होगा, जिससे मेट्रो को अतिरिक्त आय होगी।
स्टेशन की विशेषताएँ
मेट्रो लाइन के स्टेशनों पर वाई-फाई और बेहतर मोबाइल फोन नेटवर्क कवरेज की सुविधा भी होगी। इसके लिए एयरटेल, वोडाफोन और जिओ काम कर रहे हैं ताकि यात्रियों को यात्र के दौरान कनेक्टिविटी में कोई समस्या न हो।
सुरक्षा और अंतिम अनुमोदन
मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (MMRCL) के प्रबंध निदेशक अश्विनी भिडे ने बताया कि अंतिम अनुमोदन के लिए मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त (CMRS) की निरीक्षण प्रक्रिया जारी है। रोलिंग स्टॉक के लिए MMRCL को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है और लाइन के डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया चल रही है।
नया अध्याय
मुंबई की परिवहन प्रणाली में यह भूमिगत मेट्रो एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले दिनों में लाखों यात्रियों के लिए यात्रा को सुगम और सुविधाजनक बनाएगी। यह मेट्रो न केवल यातायात के भार को कम करेगा बल्कि यात्री अनुभव में भी बड़ा सुधार लाएगा।
10 टिप्पणि
Meenal Khanchandani
सितंबर 25, 2024 AT 23:06शहर की भीड़भाड़ को कम करने के लिए मेट्रो को सबको प्राथमिकता देनी चाहिए।
Anurag Kumar
सितंबर 25, 2024 AT 23:22लगता है मेट्रो से यात्रा करना अब काफी आसान हो रहा है। टिकट की रेंज भी किफायती है, इसलिए कई लोग इसे अपनाएँगे। साथ ही, स्टेशनों पर मुफ्त वाई‑फ़ाई एक बड़ी सुविधा है।
Prashant Jain
सितंबर 25, 2024 AT 23:39ड्राइवरलेस ट्रेन का दावा बहुत बड़ा है, लेकिन क्या सुरक्षा गारंटी मिल पाएगी? जनता को धोखा दिया जा रहा है।
DN Kiri (Gajen) Phangcho
सितंबर 25, 2024 AT 23:56बिल्कुल सही कहा आपने हमें सबको एक साथ सोचना चाहिए क्योंकि ट्रैफिक समस्याएँ रोज़ बढ़ती जा रही हैं हम सब मिलकर इसका समाधान खोज सकते हैं
Yash Kumar
सितंबर 26, 2024 AT 00:12क्या टिकेट का दायरा इतना छोटा है? मै तो सोचता हूँ कि यह सिर्फ बोलीबाजियों का खेल है, सच्चाई तो और गहरी है, पर लोग सिर्फ कीमत देखेंगे
Aishwarya R
सितंबर 26, 2024 AT 00:29सिर्फ कीमत ही नहीं, तकनीकी पहलू भी मायने रखता है; मैं जानता हूँ कि ड्राइवरलेस सिस्टम में कौनसे जोखिम होते हैं
Vaidehi Sharma
सितंबर 26, 2024 AT 00:46मेट्रो की शुरुआत वाकई उत्साहजनक है 😃 क्या आप भी इसके लिए तैयार हैं?
Jenisha Patel
सितंबर 26, 2024 AT 01:02विषय को देखते हुए, मैं यह उल्लेख करना चाहता हूँ, कि सार्वजनिक परिवहन के आधुनिकीकरण में, बुनियादी अवसंरचना का आधुनिकीकरण आवश्यक है; यह न केवल पर्यावरणीय लाभ प्रदान करेगा, बल्कि आर्थिक दक्षता भी बढ़ाएगा।
Ria Dewan
सितंबर 26, 2024 AT 01:19नई मेट्रो लाइन का उद्घाटन शहर की बुनियादी समस्या का जड़ नहीं है। भले ही टिकट ₹10 से ₹50 तक हो, फिर भी लोगों को भीड़भाड़ का सामना करना पड़ेगा। ड्राइवरलेस ट्रेन का नाम सुनकर लोग सोचते हैं कि भविष्य यहाँ है, पर असल में यह सिर्फ एक तकनीकी वाक्पटुता है। जब तक ट्रेन की सुरक्षा मानक स्पष्ट नहीं होते, तब तक कोई भी इसे भरोसे के साथ नहीं लेगा। स्ट्रेन के बीच 6.40 मिनट का अंतराल मतलब यात्रियों को लगातार इंतजार करना पड़ेगा। वैश्विक स्तर पर देखे तो मेट्रो नेटवर्क में न कि केवल रेज़िडेंसियल कनेक्टिविटी, बल्कि आर्थिक गतिशीलता भी महत्वपूर्ण है। बांद्रा‑कुर्ला कॉम्प्लेक्स को व्यापारिक हब बनाना आसान नहीं, बल्कि उसके लिए बुनियादी सेवाओं की गहरी योजना चाहिए। यदि वाई‑फ़ाई और मोबाइल कवरेज सिर्फ भाषण में रहता है, तो वास्तविक उपयोगकर्ता निराश रहेंगे। कॉमर्शियल प्लेस से ₹200 करोड़ की आय का अनुमान तो लुभावना है, पर वह सब रूटीन ऑपरेशन्स के खर्चे से आधा हो सकता है। टिकट में QR कोड का उपयोग भविष्यवादी लग सकता है, पर वास्तविकता में अक्सर तकनीकी गड़बड़ी से यात्रा में देरी होती है। मेट्रो के दूसरे चरण की योजना मार्च‑मई में शुरू होगी, लेकिन नियोजन के कई पहलू अभी भी अस्पष्ट हैं। सुरक्षा आयुक्त की निरीक्षण प्रक्रिया जरूरी है, पर समय पर मंजूरी नहीं मिलने से परियोजना में और देरी हो सकती है। यदि तत्वावधान में ड्राइवरलेस संचालन सफल नहीं हुआ, तो फिर एक और ट्रेन कैप्टन को नियुक्त करना पड़ेगा। समग्र रूप से, मेट्रो का विकास एक सकारात्मक कदम है, पर इसकी प्रभावशीलता को वास्तविक उपयोगकर्ता अनुभव से ही मापा जा सकेगा। आखिर में, हमें देखना होगा कि यह प्रोजेक्ट शहर की जामबंदी को कितनी हद तक कम कर पाता है, अन्यथा यह केवल एक प्रशंसनीय महंगाई का नाम रहेगा।
rishabh agarwal
सितंबर 26, 2024 AT 01:36आपकी गहरी विश्लेषण ने कई पहलुओं को उजागर किया है, और मैं सहमत हूँ कि वास्तविक लाभ तभी दिखेगा जब उपयोगकर्ता सुविधा को प्राथमिकता मिले।