जब रिषभ पैंट ने पहले इन्ग्लैंड टेस्ट में पैर तोड़ लिया, तो भारतीय टीम को तुरंत एक भरोसेमंद विकल्प चाहिए था। उसी मोड़ पर नारायण जगेदेसन का नाम आया, जिसने अपनी दीवानी फॉर्म से selectors को भरोसा दिलाया। जुलाई 2025 में उन्हें पाँचवें टेस्ट में पहली बार राष्ट्रीय कॉल मिली, और अब वह इस बड़े मंच पर अपना सबक देने के बारे में सोच रहा है।
डोमेस्टिक करियर की चमक
जगेदेसन ने 2016 में तमिलनाडु के लिए मध्य प्रदेश के खिलाफ अपना पहला रन बनाकर घरेलू क्रिकेट में कदम रखा। तब से वह लगातार स्कोरिंग मशीन बनते गए। उनका प्रथम वर्ग रिकॉर्ड देखते ही बनता है:
- 54 मैच, 3,686 रन, औसत 50.49
- 11 शतक, 14 अर्धशतक
कुछ आँकड़े थोड़े अलग दिखाते हैं, पर परिप्रेक्ष्य वही है – निरंतर 50 से अधिक औसत रखने वाला खिलाड़ी। एकदिवसीय (List A) में उन्होंने 64 मैचों में 2,728 रन बनाए, औसत 46.23, और 9 शतक कर दिखाए।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक, एकदिवसीय में 277 रन की व्यक्तिगत स्कोर है, जो अभी भी विश्व रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है। यह innings सिर्फ रन नहीं, बल्कि धैर्य और अंत तक टिके रहने की क्षमता को भी दिखाती है।
टाइमलाइन में T20 का भी एक चिरपरिचित अध्याय है। 66 मैचों में 1,475 रन, औसत 31.38, और 10 अर्धशतक। छोटे फॉर्मेट में अहंकार नहीं, बल्कि खेल के हर पहलू में संतुलन दिखाते हैं।
हालांकि घरेलू आँकड़े लुभाते हैं, लेकिन आईपीएल में उनका सफर उतना नहीं चमका। 2020 में चेन्नई सुपर किंग्स के साथ डेब्यू करने के बाद, उन्होंने कुल 13 मैचों में 162 रन बनाए, औसत 18.00, और सबसे ज्यादा 39* का स्कोर किया। 2025 के आईपीएल ऑक्शन में भी उन्हें कोई टीम नहीं ले पाई, जो शायद selectors के निर्णय को और उजागर करता है – मंचों के बीच अंतर है, पर फॉर्म का मूल्यांकन हमेशा घरेलू मंच से शुरू होता है।

इंडियन टीम में चयन और आगे की राह
रिषभ पैंट का फुट फ्रैक्चर भारतीय टीम में एक बड़ा गैप छोड़ गया। पैंट एक सर्वकालीन विकेट‑कीपर बैट्समैन था, और उसकी जगह ढूँढना आसान नहीं था। selectors ने जगेदेसन को देखते हुए दो प्रमुख पहलुओं को नोट किया: लगातार 50 औसत वाली प्रथम वर्ग बैटिंग और असाधारण विकेट‑कीपिंग कौशल। उनके कई सफ़र ने ये साबित किया कि वह दोनो भूमिकाओं में संतुलन बना सकते हैं।
विक्ट्री के सामने दो चुनौतियां हैं – टेस्ट फॉर्मेट में खुद को स्थापित करना और पैंट के जैसे आक्रामक बैटिंग स्टाइल दिखाना। अगर वह पहले ही वर्ल्ड रिकॉर्ड वाले 277 रन जैसा बड़ा इनिंग नहीं बना सकते, तो भी निरंतर 70‑80 रन का योगदान टीम को मजबूती देगा। इसके अलावा, तेज़ और सटीक बौंगलियों की जरूरत हर समय रहती है, जिससे वह बैटिंग के साथ-साथ फील्डिंग में भी टीम को संतुलित रख सकेंगे।
विकल्पों की बात करें तो कई युवा विकेट‑कीपर भी उभर रहे हैं, पर जगेदेसन की उम्र (29) और अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद विकल्प बनाते हैं। उनका चयन यह भी दर्शाता है कि भारतीय बॉक्सिंग टीम निरंतर घरेलू प्रदर्शन को महत्व देती है, चाहे वह IPL हो या Ranji Trophy। अगर वह इस टेस्ट में निरंतरता दिखा पाते हैं, तो आगे के टूर, भारत‑ऑस्ट्रेलिया या फिर विश्व कप में उनकी जगह ढक्कन हो सकती है।
अंत में, यह कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के उस ढाँचे की भी है, जहाँ लगातार मेहनत और घरेलू आँकड़े अंततः राष्ट्रीय सम्मान की ओर ले जाते हैं। जगेदेसन का सफर अभी शुरू हुआ है, पर उनके पास वो सब कुछ है – तकनीक, संघर्ष, और धैर्य – जो बड़े मंच पर सफलता की कुंजी है।