पेरिस 2024 पैरालिंपिक्स में निशाद कुमार ने T47 पुरूष वर्ग ऊंची कूद में जीता रजत पदक
2 सितंबर 2024 0 टिप्पणि राहुल तनेजा

निशाद कुमार ने पेरिस 2024 पैरालिंपिक्स में जीता रजत पदक

पेरिस 2024 पैरालिंपिक्स में निशाद कुमार ने अपनी प्रतिभा का एक बार फिर साबित करते हुए T47 श्रेणी में ऊंची कूद में रजत पदक जीता। इससे भारत ने अपनी झोली में सातवां पदक डालते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। निशाद ने 2.04 मीटर की ऊंचाई कूदकर यह पदक प्राप्त किया। रोडेरिक टाउनसेंड ने अपनी पहली कोशिश में ही 2.08 मीटर की ऊंचाई कूदकर स्वर्ण पदक जीता।

पुरानी उपलब्धियों का विस्तार

यह निशाद कुमार का दूसरा पैरालिंपिक्स रजत पदक है। इससे पहले उन्होंने 2020 टोक्यो पैरालिंपिक्स में 2.06 मीटर की कूद के साथ एशियाई रिकॉर्ड बनाते हुए रजत पदक जीता था। निशाद का सफर हालांकि यहीं तक नहीं है, बल्कि 2022 के एशियन पैरा खेलों में हांगझोऊ, चीन में उन्होंने स्वर्ण पदक भी जीता था।

एक प्रेरणास्पद सफर

निशाद का जीवन अनेक चुनौतियों से भरा रहा है। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले से आने वाले निशाद ने आठ साल की उम्र में एक हादसे में अपना दायां हाथ खो दिया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 2009 में पैरा एथलेटिक्स में भाग लेना शुरू किया। अपनी कठिनाइयों को पार करते हुए, निशाद ने आज खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिद्ध कर दिया है।

समर्पण और मेहनत से भरा जीवन

निशाद की उपलब्धियाँ उनके कठोर परिश्रम और महनत का परिणाम हैं। उनकी इस सफलता ने ना सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे देश को गर्वान्वित किया है। निशाद ने अपने समर्पण और प्रतिबद्धता से यह साबित कर दिया है कि कोई भी कठिनाई उनके लक्ष्य को बाधित नहीं कर सकती। उन्होंने उम्र के किसी छोटे हिस्सा में ही अपने जीवन को परिवर्तन की दिशा में मोड़ दिया और अपने काम में मेहनत और समर्पण से यह स्थान हासिल किया है।

रोजमर्रा की प्रेरणा

निशाद कुमार की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। निशाद ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश की और अपनी प्रतिभा को निरंतर सुधारते रहे। उनकी इस सफलता से यह साबित होता है कि मेहनत, धैर्य और जज्बे से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

निशाद की राह में लगी चुनौतियां:

निशाद का यात्रा सिर्फ रजत पदक तक सीमित नहीं है। उन्होंने इसके पीछे कड़ी मेहनत की है और कई संघर्षों का सामना किया है। अपने करियर की शुरुआत में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वे प्रशिक्षण के दौरान भी कई बार चोटिल हुए, लेकिन उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और मेहनत ने उन्हें कभी हिम्मत नहीं हारने दी। निशाद का दृढ़संकल्प ही उन्हें एक सफल एथलीट बना पाया है।

  • पारिवारिक समर्थन: निशाद को उनके परिवार का पूरा समर्थन मिला, जो उन्हें हर कदम पर प्रेरित करता रहा।
  • शिक्षकों और कोचों का योगदान: निशाद की सफलता में उनके कोचों और प्रशिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान था जिन्होंने उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन दिया।
  • स्वयं का समर्पण: निशाद का खुद का समर्पण और दृढ़ संकल्प उन्हें इस मुकाम तक लाया।
  • शारीरिक चुनौतियों पर विजय: निशाद ने शारीरिक चुनौतियों को अपनी मेहनत से पार किया और अपने सपनों को साकार किया।
आगे की योजना और लक्ष्य:

आगे की योजना और लक्ष्य:

निशाद का लक्ष्य यही नहीं रुकने वाला। वे आगे भी अनेक प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपने प्रदर्शन को और निखारना चाहते हैं। उनके पास अनेक आगामी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी चल रही है, और वे अपनी मेहनत से देश का नाम रोशन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

निशाद कुमार जैसी हस्तियों की कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि दृढ़संकल्प, मेहनत और जज्बे से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उनकी यह उपलब्धि ना सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। निशाद की यह सफलता एक नया उदाहरण प्रस्तुत करती है और भविष्य के युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करती है।

राहुल तनेजा

राहुल तनेजा

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

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