RBI ने FY26 की महंगाई अनुमान 2.6% कर दी, GST कटौती से
1 अक्तूबर 2025 1 टिप्पणि Rakesh Kundu

जब RBI ने 1 अक्टूबर 2025 को बताया कि वित्तीय वर्ष 2025‑26 के लिये महंगाई का अनुमान 3.1% से घटाकर सिर्फ 2.6% कर दिया गया है, तो बाजार में हल्की कसरत झलक मिली। इस कदम का प्रमुख कारण संजय माल्होत्रा की घोषणा के अनुसार हाल ही में लागू किए गये GST दरों में कटौती और खाद्य सामग्री की सौम्य कीमतें थीं। इस निर्णय का असर वहीँ नहीं रुकता – साथ ही जीडीपी की दर भी 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दी गई।

पिछला अनुमान और आज का बदलाव

अगस्त 2025 के मौद्रिक नीति दस्तावेज़ में Reserve Bank of India ने FY26 के लिये महंगाई का लक्ष्य 3.1% तय किया था। वह आंकड़ा तब बाजार में ‘काफी सतहिक’ माना जाता था क्योंकि वैश्विक तेल कीमतों में चढ़ाव और खाद्य सामग्रियों की मूल्य‑स्थिरता अभी समझ नहीं पाई थी। परन्तु सितंबर‑अक्टूबर में हुई Monetary Policy Committee बैठकमुंबई और नई दिल्ली ने नई वास्तविकताओं को उजागर किया – और इस कारण अनुमान में बड़ी कटौती की गई।

GST कटौती और खाद्य कीमतों की भूमिका

वित्त मंत्रालय ने दो‑तीन प्रमुख वस्तुओं पर GST दरें 5% तक घटा दीं, जो सीधे CPI बास्केट में शामिल हैं – जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कपड़े और कुछ आशय‑खाद्य पदार्थ। माल्होत्रा ने कहा, "इन दरों में कटौती से उपभोक्ता कीमतों में स्पष्ट गिरावट आएगी और महंगाई की दिशा पूरी‑परिचालन में नरम होगी।" साथ ही, दक्षिण‑पश्चिमी मानसून का स्वस्थ प्रगति, खड़ी फसल का उच्च बुवाई स्तर और पर्याप्त जलाशय से खाद्य भंडार की सुरक्षा सुनिश्चित हुई, जिससे खाद्य कीमतें पिछले दो क्वार्टर में भी 2‑3% से अधिक नहीं बढ़ीं।

ब्याज दर की स्थिरता और मौद्रिक नीति

सभी छह सदस्यीय MPC ने 5.5% पर रीपो दर को यथावत रखने पर सर्वसम्मति से वोट दिया। यह निर्णय दो साल में पहले ही एक बार सीधी दर कटौती के बाद लगातार दूसरा ‘पॉज़’ माना जा रहा है। माल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि "हमारी नीति का फोकस फॉरवर्ड गाइडेंस पर है, न कि तरलता प्रबंधन पर।" उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि मौजूदा वैश्विक व्यापार तनावों को देखते हुए, मौद्रिक नीति को ‘न्यूट्रल’ ही रखकर आर्थिक गति को सुरक्षित करना ही सबसे समझदार कदम है।

आर्थिक विकास की नई उम्मीदें

आर्थिक विकास की नई उम्मीदें

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने अप्रैल‑जून तिमाही में 7.8% की उछाल हासिल की, जो पिछले वर्ष के समान अवधि की तुलना में आश्चर्यजनक रूप से अधिक है। इस उछाल के आधार पर GDP पूर्वानुमान FY26 के लिये 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया गया है। त्रैमासिक अनुमान इस प्रकार हैं: Q1‑2026 में 6.5%, Q2‑2026 में 6.7%, Q3‑2026 में 6.6% और Q4‑2026 में 6.3%। मूलभूत महंगाई (कोर इन्फ्लेशन) का लक्ष्य 4.2% रखा गया है, जबकि हाफ‑इयर में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें भी स्थिर बनी रहने की संभावना है।

नज़र में भविष्य के कदम

अगली MPC बैठकें 3‑5 दिसंबर 2025 और 4‑6 फरवरी 2026 को निर्धारित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसमी परिस्थितियां फिर भी अनुकूल रहें और निर्यात‑आधारित उद्योगों में वैकल्पिक मांग बनी रहे, तो RBI शायद अंततः ‘अकोमोडेटिव’ दिशा में नोटिस जारी कर सकती है। दूसरी ओर, यदि वैश्विक बंधन‑कारक – जैसे विकसित देशों की मौद्रिक पॉलिसी टाइटनिंग – भारतीय रुपए को दबाव में लाता है, तो नीतिगत ढालें फिर से बदल सकती हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और तुलना

पिछले पाँच वर्षों में RBI ने दो बार रेपो दर घटाई, कुल 100 बेसिस पॉइंट। 2023‑24 में महंगाई का लक्ष्य 4% के आसपास रहता था, परन्तु 2024‑25 में 2.1% की नीचली सीमा तक गिरा। यह 77‑महीने की न्यूनतम स्तर भी था, जो 1998‑99 की शुरुआती दौर से भी कम था। तुलना में, 2010‑11 में वही दर 9‑10% के आस‑पास थी, जब RBI ने 300 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी। इन आँकड़ों से साबित होता है कि मौद्रिक नीति की लचीलापन ने भारत को कई आर्थिक चक्रों से बाहर निकाला है।

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

GST दर कटौती से आम आदमी को क्या फायदा होगा?

कमी हुई GST दरें सीधे उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य को घटाएँगी, जिससे घर के खर्च में करीब 2‑3% की बचत की संभावना है। विशेषकर मध्यम वर्ग के लिए यह खरीद शक्ति में स्पष्ट वृद्धि ले आएगा।

क्या RBI आगे ब्याज दर घटाएगा?

वर्तमान में RBI ने नीति को ‘न्यूट्रल’ रखा है, लेकिन अगर महंगाई और आर्थिक डेटा स्थिर रहेंगे तो दि‍संबर 2025 की बैठक में दर में कटौती की संभावना बनी रहती है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ इस निर्णय को प्रभावित कर सकती हैं।

GDP वृद्धि की नई अनुमानित दर के पीछे क्या कारण हैं?

अप्रैल‑जून तिमाही में 7.8% की तेज़ी, बेहतर निर्यात प्रदर्शन, और सरकारी खर्च में वृद्धि ने RBI को 6.8% की नई वृद्धि दर देने के लिए प्रेरित किया। साथ ही, मौसमी कृषि उत्पादन का सुगम होना भी सहायक रहा।

महंगाई के लक्ष्य में बदलाव से बचत दर पर क्या असर पड़ेगा?

महंगाई के लक्ष्य में गिरावट का मतलब है कि ऋण की वास्तविक लागत कम होगी, जिससे बैंकों पर देनदारियों का बोझ घटेगा और निवासियों के लिए बचत दर में सुधार की संभावनाएँ बढ़ेंगी।

Rakesh Kundu

Rakesh Kundu

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

1 टिप्पणि

Priya Patil

Priya Patil

अक्तूबर 1, 2025 AT 23:02

RBI का नया अनुमान वास्तव में थोड़ा दिलासा देता है। GST कटौती की बात सुनते ही कई लोग ख़ुशी से झूम रहे हैं। इस से रोज़मर्रा की खरीदारी पर थोड़ा असर पड़ना चाहिए। उम्मीद है कि यह बदलाव कई परिवारों की जेब में थोड़ा राहत लेकर आएगा।

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