ईद-उल-अज़हा — तिथि, क़ुर्बानी और भारत की खबरें
ईद-उल-अज़हा यानी बलिदान का त्योहार हर साल मुस्लिम समुदाय का बड़ा अवसर होता है। क्या आप जानना चाहते हैं कि इस साल कब है, क़ुर्बानी कैसे करें और भारत में कौन‑सी तैयारियाँ सामान्य हैं? यहाँ सरल भाषा में सभी जरूरी बातें और उपयोगी सुझाव दिए गए हैं ताकि आप त्योहार को ठीक तरह से मना सकें।
ईद-उल-अज़हा की तिथि और महत्व
ईद-उल-अज़हा हिजरी कैलेंडर के अनुसार ज़ुल-हिज्जा के 10वें दिन आती है। यह रोज़ा और हज्ज के साथ जुड़ा त्योहार है और इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के परमभक्ति और सच्चे इरादे की याद दिलाता है। भारत में आमतौर पर परिवार नमाज़ अदा करते हैं, क़ुर्बानी करते हैं और जरूरतमंदों में मांस बांटते हैं।
क़ुर्बानी के सरल और काम के नियम
क़ुर्बानी करते समय इन बातों का ध्यान रखें: जानवर पर कब्ज़ा, वज़न और उम्र जैसी शर्तें पूरी होनी चाहिए। गाय, भेड़, बकरी या ऊँट में से चुनें और जानवर स्वस्थ होना चाहिए। अगर आप स्वयं काटना नहीं चाहते तो प्रमाणित क़ुर्बानी सेवाएँ चुनें — कई जगह पर रिसीट और प्रमाण दिए जाते हैं।
मांस को तीन हिस्सों में बांटना अच्छा माना जाता है: परिवार, रिश्तेदार/दोस्त और ज़रूरतमंद। इससे त्योहार का असली मकसद पूरा होता है। कानूनी नियमों और स्थानीय शासन के निर्देशों का पालन ज़रूर करें — कुछ शहरों में स्लॉटरहाउस या विशेष स्थान तय होते हैं।
कहां से जानवर खरीदें? भरोसेमंद मंडी या जुम्मा‑बाज़ार में जाकर देखकर खरीदें। जानवर का स्वास्थ्य देखने के लिए पशु चिकित्सक की सलाह लें या दुकानदार से सर्टिफिकेट माँगें। कीमतों की तुलना पहले कर लें ताकि आख़िरी समय पर ज्यादा खर्च न करना पड़े।
हाइजीन और खाना‑सुरक्षा पर ध्यान देना ज़रूरी है। काटने के बाद मांस को साफ जगह पर रखें, ठंडा करें और जल्द उपयोग या वितरण करें। उबालकर देने से बैक्टीरिया का खतरा कम रहता है।
त्योहार के दौरान खरीददारी, उपहार और भोजन की प्लानिंग पहले कर लें। ताज़ा सब्ज़ियाँ, मसाले और रोटियाँ पहले से रखें ताकि आख़िरी दिन भागदौड़ कम हो। परिवार में बुजुर्ग और बच्चों के लिए आराम की व्यवस्था बनाईए।
ईद-उल-अज़हा सिर्फ रस्म नहीं, बल्कि साझा करने और मदद करने का मौका है। अगर आप शहर में हैं तो लोकल समाचार और अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट के ईद‑उल‑अज़हा टैग सेक्शन को देखें — यहाँ आपको त्योहारी खबरें, बाजार की स्थिति और सुरक्षा निर्देशों की ताज़ा जानकारी मिलती रहेगी।
क्या आप क़ुर्बानी ऑनलाइन सर्विस लेना चाहते हैं? कई विश्वसनीय प्लेटफ़ॉर्म हैं जो जानवर खरीदकर क़रबान करते हैं और ज़रूरतमंदों तक मांस पहुँचाते हैं — रसीद और प्रमाण मांगना न भूलें। त्योहार जश्न का समय है, लेकिन जिम्मेदारी और नियमों का पालन ही इसे सही मायने देता है।
16 जून 2024
Rakesh Kundu
केआरके ने सोशल मीडिया पर ईद-उल-अज़हा पर जानवरों का बलिदान न करने की अपील की है। उन्होंने इसे 'रक्तविहीन' उत्सव के रूप में मनाने की बात कही, जिससे सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। केआरके अक्सर अलग-अलग मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं और इस बार उन्होंने पशु कल्याण की दिशा में अपनी राय साझा की है।
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