जब टाटा कैपिटल लिमिटेड ने 6 अक्टूबर 2025 को अपना आईपीओ खोल दिया, तो बाजार की धड़कन तेज़ हो गई; पहले दिन केवल 39% सब्सक्राइब होने के बावजूद यह कुल ₹15,512 करोड़ की सबसे बड़ी ऑफरिंग बन गई, जो पिछले साल के ह्युंडे माइक्रो इंडिया के ₹27,859 करोड़ के आईपीओ के बाद सबसे बड़ा है। इस सब्सक्रिप्शन आंकड़े ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि टाटा ग्रुप की वित्तीय शाखा इस बार किस दिशा में कदम रख रही है।
पृष्ठभूमि और बाजार माहौल
टाटा समूह, जो भारत के सबसे बड़े कॉंग्लोमेरिट्स में से एक है, ने पिछले कुछ सालों में अपने वित्तीय पोर्टफोलियो को विस्तार किया है। राजीव सबहरवाल, टाटा कैपिटल के Managing Director & CEO, ने कहा कि इस आईपीओ के माध्यम से कंपनी का टियर‑1 कैपिटल रेशियो 12.8% से बढ़कर 22% से अधिक हो जाएगा और लेवरेज रेशियो 5 गुना से नीचे आएगा। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए जुटाए गए फंड को किफायती गृह वित्त, माइक्रो होम लोन, उपकरण वित्त और लीजिंग जैसी उच्च मार्जिन वाले प्रोडक्ट्स में लगाया जाएगा।
यह पहल तब आती है जब घरेलू संस्थागत निवेशक लगभग ₹33,000 करोड़ प्रति सप्ताह की गति से शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। इतने बड़े मेगा-इश्यू को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह लिक्विडिटी को काफी हद तक सोख लेगा, जिससे छोटे-कंपनी के आईपीओ पर दबाव बढ़ सकता है।
आईपीओ की विस्तृत जानकारी
इश्यू की कीमत बैंड ₹310‑₹326 के बीच तय किया गया था, और न्यूनतम लॉट साइज 46 शेयर रखा गया, जिससे निचले दायरे में न्यूनतम निवेश ₹14,996 बनता है। कुल 33,34,36,996 शेयर जारी किए गए, जबकि पहले दिन बिडेड शेयर 12,86,08,916 रहे, अर्थात 0.39 गुना सब्सक्राइब। इश्यू दो हिस्सों में बाँटा गया: ₹5,000 करोड़ का ताज़ा इक्विटी इश्यू और लगभग ₹10,512 करोड़ का ऑफ़र फॉर सेल (OFS) भाग।
सार्वजनिक सब्सक्रिप्शन 8 अक्टूबर 2025 तक खुला रहेगा, और यू.पी.आई. मण्डेट अंतिम तिथि 23 अक्टूबर को तय है। पहले ही 3 अक्टूबर को, 135 एंकर निवेशकों से लगभग ₹4,641 करोड़ एकत्र हुए, जिनमें लाइफ़ इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) प्रमुख एंकर रहा। एंकर निवेशकों के लिए 50% शेयरों का लॉक‑इन 30 दिन बाद और शेष 50% का 90 दिन बाद खुलता है, यानी 8 नवंबर 2025 और 7 जनवरी 2026 को।
नज़रिए: विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रिया
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि टाटा कैपिटल का जोखिम प्रोफ़ाइल अपेक्षाकृत कम है, लेकिन मार्जिन और लाभप्रदता के आंकड़े बाकी NBFCs से थोड़ा पतले हैं। इसलिए वे सुझाव देते हैं कि निवेशकों को कंपनी के गवर्नेंस और कम जोखिम को वज़न देते हुए मूल्यांकन को देखें।
दूसरी ओर, एंकर निवेशकों में एलआईसी ने इस इश्यू को “भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को बढ़ावा देने वाला” कहा, और कई निजी इक्विटी फंडों ने बताया कि वे उच्च‑मार्जिन प्रोडक्ट्स में विस्तार की संभावना को देखकर उत्साहित हैं।

भविष्य के प्रभाव और संभावनाएँ
यदि टाटा कैपिटल का टियर‑1 कैपिटल लक्ष्य हासिल हो जाता है, तो यह कंपनी को अधिक लिवरेज वाले प्रोजेक्ट्स जैसे बिजली‑खरीद‑लीज या बड़े‑परिमाण के एसेट फाइनेंस में कदम रखने की अनुमति देगा। साथ ही, किफायती गृह वित्त में उछाल से भारत की आवासीय जरूरतों को पूरा करने में बड़ा योगदान मिल सकता है।
उल्लेखनीय बात यह है कि इस आईपीओ से मिलने वाला पूँजी प्रवाह कंपनी को अपनी डिजिटल फिनटेक प्लेटफ़ॉर्म को और सुदृढ़ करने में मदद करेगा, जिससे उपभोक्ता ऋण एवं वेल्थ मैनेजमेंट सेवाओं में ग्राहक अनुभव बेहतर होगा।
आगामी कदम और निर्धारित तिथियाँ
आलोचनाओं के बाद, अलॉटमेंट 9 अक्टूबर को अंतिम रूप दिया जाएगा, फिर 10 अक्टूबर को रिफंड और शेयरों की क्रेडिट प्रक्रिया शुरू होगी। कंपनी के शेयर 13 अक्टूबर को NSE और BSE पर ट्रेडिंग शुरू करेंगे, जिससे भारतीय स्टॉक मार्केट में एक और बड़ी कंपनी का प्रवेश हो जाएगा।
इन तिथियों के साथ, बजार में नयी उम्मीदें और संभावित उतार‑चढ़ाव दोनों ही देखे जा रहे हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे कंपनी की लाभप्रदता, गवर्नेंस और जोखिम प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए अपवोटिंग या डाउनवोटिंग का निर्णय लें।

इतिहासिक परिप्रेक्ष्य
टाटा कैपिटल की स्थापना 2007 में टाटा सन्स लिमिटेड की सहायक कंपनी के रूप में हुई थी। तब से यह NBFC विभिन्न वित्तीय प्रोडक्ट्स—कॉमर्शियल फाइनेंस, कंज्यूमर लोन, वेल्थ मैनेजमेंट और टाटा कार्ड्स—के साथ एक व्यापक पोर्टफोलियो विकसित कर चुका है। उसके मुख्य उपकंपनी, टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (TCHFL), ने किफायती गृह वित्त में विशेषकर ग्रामीण और वर्ग‑बजट वर्ग के लिए कई अभिनव योजनाएं प्रदान की हैं।
पिछले दशक में टाटा समूह ने कई बार बड़े‑पैमाने के इश्यू जारी किए हैं, लेकिन इस बार की राशि और लक्ष्य, विशेषकर टियर‑1 कैपिटल को दो गुना करने का लक्ष्य, इस इश्यू को एक नई दिशा में ले जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
टाटा कैपिटल के आईपीओ में आम निवेशकों को क्या जोखिम हैं?
मुख्य जोखिम में अस्थिर ब्याज दरें, NPA (नॉन‑परफॉर्मिंग एसेट) का बढ़ना और ऋण पोर्टफोलियो में मार्जिन दबाव शामिल हैं। हालांकि, टाटा समूह की बैकिंग और मजबूत गवर्नेंस इस जोखिम को कुछ हद तक कम कर देते हैं।
एलआईसी द्वारा किए गए एंकर इन्वेस्टमेंट का क्या महत्व है?
एलआईसी का निवेश विश्वसनीयता का संकेत देता है, जिससे अन्य संस्थागत और रिटेल निवेशकों में भरोसा बढ़ता है। इससे एयर‑ड्रॉप या अलॉटमेंट प्रक्रिया में व्यवधान कम होता है।
किफायती गृह वित्त में टाटा कैपिटल की योजना क्या है?
कंपनी का लक्ष्य 2026 तक अपने गृह वित्त पोर्टफोलियो को 30% तक बढ़ाना है, जिसमें विशेषकर मध्य‑वर्ग और एएमटीओ (माइक्रो‑मार्केट) क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा। इससे लाखों परिवारों को सस्ते घर का वित्त पोषण मिलेगा।
आईपीओ की सब्सक्रिप्शन आने वाले हफ्तों में कैसे बदल सकती है?
पहले दिन की 39% सब्सक्रिप्शन दर बाजार की सिचुएशन और संस्थागत लिक्विडिटी पर निर्भर है। अगर इस हफ्ते बड़े‑पैमाने के फंड्स को रिटर्न नहीं मिलता, तो बिडिंग में उछाल आ सकता है, जिससे सब्सक्रिप्शन दर 1.0‑गुना से भी अधिक हो सकती है।
टाटा कैपिटल के शेयरों की लिस्टिंग कब होगी?
शेयरों की लिस्टिंग 13 अक्टूबर 2025 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) दोनों पर निर्धारित है।
1 टिप्पणि
Raja Rajan
अक्तूबर 7, 2025 AT 05:20टाटा कैपिटल का आईपीओ 39% सब्सक्राइब्ड है, यह आंकड़ा अपेक्षित से कम है। यह दर्शाता है कि संस्थागत पूँजी अभी भी सतर्क है।