महिला वोट: भारत में महिलाओं की आवाज़ और चुनावी ताकत
महिला वोट, भारत में महिलाओं द्वारा डाला जाने वाला मत, जो अब सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि राजनीति का निर्णायक तत्व बन गया है। पिछले दशकों में, यह निश्चित रूप से बदल गया है। अब महिलाएं सिर्फ मतदान करती नहीं, बल्कि चुनावी निर्णयों को आकार देती हैं। जहाँ पहले घर के मुद्दे ही महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण थे, वहीं आज उनकी चिंताएं स्कूल, स्वास्थ्य, सुरक्षा, नौकरी, और बाजार की कीमतों तक फैल गई हैं।
महिला मतदाता अब सिर्फ एक वर्ग नहीं, बल्कि एक चुनावी बल हैं। 2019 के चुनाव में भारत में 66.4 करोड़ महिलाएं मतदान करने उतरीं — यह संख्या पुरुषों से कम नहीं, बल्कि उनके बराबर हो गई। और अब यह अंतर और भी कम हो रहा है। कई राज्यों में, जैसे केरल, तमिलनाडु, और बिहार, महिलाओं का मतदान दर पुरुषों से ज़्यादा है। यह बदलाव केवल शिक्षा का नतीजा नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास और राजनीति में अपनी भूमिका को समझने का नतीजा है।
महिला वोट के सामने अब विशेष चुनौतियाँ हैं। गाँवों में, अभी भी कई महिलाएं अपने पति या ससुराल के दबाव में मत डालती हैं। शहरों में, लेकिन वे अपने घर, बच्चों की शिक्षा, या नौकरी के लिए बेहतर नीतियों की मांग करती हैं। राजनीति अब उनकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। जब कोई उम्मीदवार बच्चों के लिए स्कूलों का निर्माण करने का वादा करता है, तो वह महिलाओं को आकर्षित करता है। जब कोई बताता है कि वह बुखार या गर्भावस्था के लिए निःशुल्क दवाएं लाएगा, तो वह महिलाओं का विश्वास जीतता है।
भारतीय महिलाएं अब अपने नेताओं को भी टेस्ट करती हैं। वे देखती हैं कि वह क्या कर चुका है, न कि क्या कह रहा है। 2025 के दिल्ली चुनाव में, जब एक नए नेता ने स्वास्थ्य और सुरक्षा पर ज़ोर दिया, तो महिलाओं ने उसे सत्ता में लाया। वहीं, जहाँ नेता सिर्फ नारे लगाते रहे, वहाँ महिलाएं उन्हें नकार दिया।
इस लिस्टिंग में आपको ऐसे ही वास्तविक उदाहरण मिलेंगे — जहाँ महिलाओं ने खेल के मैदान में जीत दर्ज की, जहाँ उनकी नेतृत्व भूमिका ने टीम इंडिया को विश्व कप तक पहुँचाया, और जहाँ शिक्षा की छात्रवृत्ति ने एक लड़की के भविष्य को बदल दिया। ये सब कहानियाँ एक ही बात को साबित करती हैं: जब महिला वोट जाग जाए, तो राजनीति भी बदल जाती है।
15 नवंबर 2025
Rakesh Kundu
बिहार चुनाव 2025 में नीतीश कुमार के NDA ने 128-132 सीटें जीतीं, जबकि तेजस्वी यादव का महागठबंधन 97-100 सीटों तक सीमित रहा। कैश ट्रांसफर ने महिला मतदान को 71.78% तक पहुंचाया।
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