सिटापुर जेल: इतिहास, वर्तमान स्थिति और ताज़ा खबरें
सिटापुर जेल उत्तर प्रदेश के सिटापुर जिले में स्थित एक पुराना सुधार गृह है. 1870 के दशक में ब्रिटिश शासन ने इसे बनवाया था, और तब से कई बदलाव देखे हैं. अगर आप इस जेल के बारे में जानना चाहते हैं, तो यहाँ एक आसान गाइड है.
सिटापुर जेल का इतिहास
सिटापुर जेल की शुरुआत 1885 में हुई थी, जब इस क्षेत्र में अपराध दर बढ़ रही थी. शुरुआती दिनों में यह सिर्फ एक साधारण जेल थी, लेकिन बाद में इसे “सुधार गृह” की श्रेणी में शामिल किया गया. यहाँ पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई क्रांतिकारी भी बंद हुए थे, जैसे कि गोपाल कृष्ण ने. जेल में पहले सॉलिड वॉल और पायदान वाला निर्माण था, जिसके कारण अंदर का माहौल बहुत कड़ा था.
स्वतंत्रता के बाद 1950 में सरकार ने जेल की सख़्त साज‑सज्जा को कम कर दिया और सुधारात्मक कार्यक्रम चलाए. शिक्षा, व्यायाम और कृषि प्रशिक्षण को शामिल किया गया, ताकि कैदी बाहर जाने पर काम कर सकें.
सिटापुर जेल में नवीनतम बदलाव
पिछले कुछ सालों में सिटापुर जेल में कई अपडेट हुए हैं. सबसे बड़ा बदलाव है ओवरक्राउडिंग कम करने के लिए नई इमारत बनाना. अब लगभग 2,000 कैदी केवल 1,500 कमरों में रह रहे हैं, जिससे जगह की कमी घट गई है.
सरकार ने “सुधारात्मक प्रोग्राम” को भी मज़बूत किया है. यहाँ पर व्यावसायिक प्रशिक्षण, कंप्यूटर कोर्स और अंग्रेज़ी सिखाने की कक्षाएँ चलती हैं. कई पूर्व कैदी बताते हैं कि इन कक्षाओं की वजह से उन्हें नौकरी मिलने में मदद मिली.
हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया कि जेल में स्वास्थ्य सुविधाएँ सुधरी हैं. एक छोटा क्लिनिक और दवाओं की नियमित आपूर्ति है, इसलिए बीमारी के कारण मौतें कम हुईं. पर अभी भी पानी की कमी और सफाई की समस्या बनी हुई है, जो सुधार की जरूरत है.
सिटापुर जेल में सुरक्षा भी कड़ी है. सीसीटीवी कैमरा और इलेक्ट्रॉनिक लॉक सिस्टम लगाया गया है, जिससे तस्करी और भागने के केस कम हुए हैं. लेकिन कुछ मामलों में बेघर लोगों को जेल में बेकाबू दिखा गया, इसलिए स्थानीय एनजीओ के साथ मिलकर पुनर्वास कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
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सिटापुर जेल का उद्देश्य केवल सज़ा देना नहीं, बल्कि अपराधियों को समाज में फिर से जोड़ना है. अगर आप इस कोष्ठक में सुधार के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो हमारे विशेषज्ञ लेख पढ़ सकते हैं.
आगे की योजना में सिटापुर जेल को पूरी तरह से डिजिटल बनाना, इलेक्ट्रॉनिक केस मैनेजमेंट सिस्टम लाना और अधिक पौधों के साथ ग्रीन ज़ोन बनाना शामिल है. राज्य सरकार का कहना है कि अगले पाँच साल में इस जेल को मॉडल प्रिटेसन फार्म में बदलने की कोशिश की जाएगी.
24 सितंबर 2025
Rakesh Kundu
सामाजिक पार्टी के सीनियर नेता अज़ाम खान को 23 महीनों के बाद सिटापुर जेल से रिहा किया गया। जुर्माने के कारण रिहाई में देर, साथ ही बड़े राजनीतिक जमावड़े और सेक्शन 144 लागू। उनका समर्थन करने वाले हज़ारों लोगों की भीड़, फिर भी पुलिस की कड़ी स्याही। यह कदम यूपी की राजनीति में नई हलचल का कारण बन सकता है।
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