पेरिस ओलंपिक 2024: मीराबाई चानू का सपना टूटा लेकिन संघर्ष जारी रहा
8 अगस्त 2024 0 टिप्पणि राहुल तनेजा

पेरिस ओलंपिक 2024: मीराबाई चानू का सपना टूटा लेकिन संघर्ष जारी रहा

मीराबाई चानू, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए रजत पदक जीता था, का पेरिस ओलंपिक 2024 में पदक जीतने का सपना महज एक किलोग्राम के अंतर से टूट गया। महिलाओं के 49 किलोग्राम वजन वर्ग में मीराबाई चौथे स्थान पर रहीं। हालांकि उन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ स्नैच लिफ्ट के रूप में 88 किलोग्राम उठाया, लेकिन क्लीन और जर्क में 111 किलोग्राम ही उठा पाने के कारण उन्हें पदक से चूकना पड़ा।

चोट और माहवारी से प्रभावित प्रदर्शन

मीराबाई के इस प्रदर्शन पर उनकी हालिया चोटों और माहवारी का स्पष्ट प्रभाव देखा गया। पिछले साल एशियाई खेलों में मीराबाई को कूल्हे की चोट लगी थी, जिससे उनकी तैयारियों पर विपरीत प्रभाव पड़ा। इसके बावजूद, मीराबाई के संकल्प और संघर्ष की भावना ने उन्हें प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

महिलाओं के लिए विशेषकर माहवारी के दौरान शारीरिक परिश्रम और प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। मीराबाई का इस समय में प्रतिस्पर्धा करना और अपने को सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करना वास्तव में प्रशंसनीय है।

पदक विजेताओं की सूचि

इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक चीन की होउ झीहुई ने 206 किलोग्राम वजन उठाकर जीता। रजत पदक रोमानिया की मिहायला वेलेंटीना कांबेई को 205 किलोग्राम के साथ मिला, जबकि थाईलैंड की सुरोडचाना खम्बाओ ने 200 किलोग्राम उठाकर कांस्य पदक प्राप्त किया। मीराबाई ने कुल 199 किलोग्राम वजन उठाया, जिससे वे कांस्य पदक से मात्र एक किलोग्राम से चूक गयीं।

भविष्य की चुनौतियां

मीराबाई का इस प्रकार से ओलंपिक पदक से चूकना उनके करियर के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने हार मान ली है। मीराबाई ने अपने करियर में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं और उनके संघर्ष का यह नया अध्याय भी प्रेरणादायक है।

उनकी भविष्य की चुनौती उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने की होगी, जिससे वे अपनी सर्वोत्तम क्षमता के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। इसके अलावा, मीराबाई को अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा, क्योंकि शीर्ष स्तर की प्रतियोगिताएं मानसिक रूप से भी तनावपूर्ण होती हैं।

प्रेरणा का स्रोत

मीराबाई चानू एक प्रेरणा का स्रोत हैं, न केवल वेटलिफ्टिंग के क्षेत्र में बल्कि सभी खेल प्रेमियों के लिए। उनके संघर्ष, संकल्प और दृढ़ता ने यह साबित कर दिया है कि यदि आपमें जुनून हो तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि मीराबाई जल्द ही अपनी चोटों से उबरेंगी और अपने भविष्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए फिर से प्रतिस्पर्धा करेंगी। भारत को उन पर गर्व है और सभी खेल प्रेमियों की दुआएं उनके साथ हैं।

अंत में, मीराबाई का यह प्रदर्शन एक सीख है कि हर खिलाड़ी को अपनी सीमाओं को पहचान कर और उन पर काबू पाकर आगे बढ़ना चाहिए। यह सिर्फ एक हार नहीं है, बल्कि एक नया सफर शुरू करने का समय है।

राहुल तनेजा

राहुल तनेजा

मैं एक समाचार संवाददाता हूं जो दैनिक समाचार के बारे में लिखता है, विशेषकर भारतीय राजनीति, सामाजिक मुद्दे और आर्थिक विकास पर। मेरा मानना है कि सूचना की ताकत लोगों को सशक्त कर सकती है।

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