भूमिगत मेट्रो: क्या है और क्यों जरूरी है
क्या आपने कभी सोचा है कि शहर के नीचे से गुजरती मेट्रो कैसे बनती है? भूमिगत मेट्रो वही है जो ज़मीन के नीचे बनकर सड़कों पर ट्रैफिक और प्रदूषण कम करती है। बड़े शहरों में जगह की कमी और सड़कों पर भीड़ देखते हुए यह एक असरदार विकल्प बनता जा रहा है।
भूमिगत मेट्रो के फायदे साफ हैं: सड़क बचती है, यात्रा तेज होती है, और मौसम या ट्रैफिक का असर कम रहता है। पर यह सस्ता नहीं होता—निर्माण और रखरखाव में निवेश ज्यादा चाहिए।
निर्माण के तरीके और चुनौतियाँ
भूमिगत टून्स आमतौर पर दो तरीके से बनते हैं। पहला कट-एंड-कवर (cut-and-cover) तरीका, जहाँ सड़कों को खोदकर सुरंग बनायी जाती है और फिर वापस भर दिया जाता है। यह छोटा गहरा हिस्सा होने पर तेज़ और सस्ता होता है। दूसरा तरीका TBM (टनल बोरिंग मशीन) है, बड़ी मशीनें जमीन के अंदर सुरंग खुदती हैं—यह तरीका सड़कों को कम नुकसान पहुंचाता है और गहरे हिस्सों के लिए उपयुक्त है।
चुनौतियाँ? जमीन की प्रकृति, भू-जल की समस्या, पड़ोसी इमारतों पर असर, और हाई लागत—ये सब बड़ा सिरदर्द बन सकते हैं। भू-जल का सतह बदलना या पुरानी इमारतों की नींव के पास सुरंग बनाने में बहुत सावधानी चाहिए।
सुरक्षा, वेंटिलेशन और यात्रियों के लिए टिप्स
सुरक्षा सबसे ऊपर होती है। आधुनिक भूमिगत मेट्रो में फायर अलार्म, आपातकालीन निकासी मार्ग, दमकल पहुंच और वेंटिलेशन सिस्टम होते हैं। स्टेशन और टनल में हवा की आपूर्ति, धुआँ निकालने के साधन और बिजली कटने पर बैकअप सिस्टम जरूरी हैं।
यात्री क्या करें? पिक आवर से बचने की कोशिश करें, टिकट या पास पहले से लें, असिस्टेंस बिंदु और इमरजेंसी नंबर याद रखें। स्टेशन पर सीढ़ियों और प्लेटफॉर्म नम्बर पर ध्यान दें—गलत ट्रेन पकड़ने से वक्त बर्बाद होता है।
भारत में उदाहरण मिलेंगे: दिल्ली मेट्रो का बड़ा भाग भूमिगत है, कोलकाता में भी पुरानी भूमिगत लाइनें हैं और मुंबई की कुछ नई लाइनों में भी गहरे टनल बन रहे हैं। इन प्रोजेक्ट्स से दिखता है कि जमीन के नीचे ट्रांसपोर्ट सिस्टम शहरों को कितना बदल सकता है।
भविष्य की बात करें तो ऑटोमेशन, ड्राइवलैस ट्रेनें, स्मार्ट सिग्नलिंग और ऊर्जा बचत तकनीकें (जैसे रीजनरेटिव ब्रेकिंग) भूमिगत मेट्रो को और बेहतर बनाएँगी। इतना ही नहीं, ट्रांज़िट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट से स्टेशन के पास रहने और काम करने के विकल्प बढ़ेंगे।
अगर आप शहर में रहते हैं या शहर बदलने की खबरों में रुचि रखते हैं, तो 'भूमिगत मेट्रो' टैग पर अपडेट्स पढ़ते रहें—यहाँ नई लाइनें, निर्माण की प्रगति और सुरक्षा से जुड़ी जानकारी मिलती रहती है। यात्रा स्मार्ट और सुरक्षित बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
25 सितंबर 2024
Rakesh Kundu
मुंबई में पहली बार भूमिगत मेट्रो सेवा की शुरुआत अगले सप्ताह होने जा रही है। इस मेट्रो लाइन का नाम कोलाबा-बांद्रा-SEEPZ मेट्रो लाइन 3 है। शुरुआत में 12.44 किलोमीटर तक चलेगी और 10 स्टेशन होंगे। पूरे संचालन के बाद यह दक्षिण मुंबई को नए व्यापारिक क्षेत्रों से जोड़ेगी। मेट्रो के टिकेट ₹10 से ₹50 के बीच होंगी।
जारी रखें पढ़ रहे हैं...