मोहिनी एकादशी: व्रत, पूजा और पारण की जानकारी

क्या आप मोहिनी एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं लेकिन नियमों में उलझन है? यहाँ सीधी और काम की जानकारी है—तिथि कैसे देखें, व्रत कैसे रखें, पूजा क्या करें और पारण कब करें। ये बातें रोज़मर्रा के भाषा में हैं ताकि आप बिना भ्रम के अपना व्रत कर सकें।

महोत्व और कथा

मोहिनी एकादशी का नाम उस रूप से जुड़ा है जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवों और असुरों के बीच अमृत बाँटा। यह दिन भक्ति, छल-प्रसंग में सच्चाई जीतने और भौतिक मोह से मुक्त होने का प्रतीक माना जाता है। हालांकि पौराणिक कहानियाँ अलग हो सकती हैं, पर उद्देश्य साफ है—मन को शुद्ध करना और ईश्वर की भक्ति बढ़ाना।

कब और कैसे रखें व्रत

एकादशी की तिथि चंद्र कैलेंडर पर निर्भर करती है, इसलिए हर साल तारीख बदलती है। व्रत रखने से पहले अपने स्थानीय पञ्चांग या विश्वसनीय साइट पर तिथि और पारण समय जरूर चेक करें। सामान्य नियम: एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले ब्राह्म मुहुर्त में जागकर स्नान करें, फिर दिन भर निर्जला या फलाहार रख सकते हैं—पर पारंपरिक व्रती दिनभर भोजन नहीं करते।

पूजा की शुरुआत घर की साफ-सफाई और तुलसी या विष्णु की मूर्ति/चित्र पर फूल अर्पित करने से करें। सरल विधि: धूप-दीप जलाएँ, विष्णु सहस्रनाम या ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें, और मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें। शाम में भजन-कीर्तन या श्रवण करना व्रत को प्रभावी बनाता है।

पारण का समय बहुत मायने रखता है—आम तौर पर द्वादशी तिथि के आरंभ होते ही पारण किया जाता है। पारण में तिल, नमक, अंडे या मांस का सेवन परहेज वाला माना जाता है; पारंपरिक तौर पर सादा चावल, दाल या फलाहारी व्यंजन चुने जाते हैं। पारण से पहले तुलसी के पत्ते का जल में डालकर भोजन आरंभ करें।

कौन व्रत न रखें? गर्भवती महिलाएँ, शिशु, बूढ़े या गंभीर रूप से बीमार लोग व्रत छोड़ सकते हैं। ऐसे में दान-पुण्य, भक्तिमय काम या ब्राह्मणों को भोजन बनाकर भेंट करने से पुण्य मिलता है।

प्रैक्टिकल टिप्स: यदि निर्जला व्रत कठिन लगे तो फलाहार रखें—खजूर, फल, दूध आदि लें। सुबह का हल्का व्यायाम और ध्यान मन को स्थिर रखता है। अगर आप पहली बार व्रत कर रहे हैं तो किसी अनुभवी रिश्तेदार या पुजारि से एक बार विधि ज़रूर पूछ लें।

व्रत का असली फायदा मानसिक स्पष्टता, आत्मनियंत्रण और सेवा भाव से मिलता है। अगर आप सही तरीके से करेंगे तो यह दिन आपके लिए ध्यान और आध्यात्मिक जुड़ाव का मौका बन सकता है।

अगर आप चाहें तो हमारे पृष्ठ पर ताज़ा तिथियों और पारण समय की अपडेट्स देखकर अपना व्रत प्लान कर सकते हैं। शुभ व्रत और सच्ची भक्ति आपके साथ रहे।

19 मई 2024 0 टिप्पणि Rakesh Kundu

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