व्रत: प्रकार, नियम और सरल सलाह

व्रत रखना कई लोगों के लिए धार्मिक, भावनात्मक और स्वास्थ्य संबंधी कारणों से होता है। लेकिन अक्सर लोग नियम और खाने-पीने की गलत जानकारी के कारण परेशान हो जाते हैं। यहाँ आसान भाषा में बताता हूँ कि किस प्रकार के व्रत होते हैं, क्या खाना सही रहता है और कब डॉक्टर से सलाह लें।

आम व्रत और उनके नियम

कुछ लोकप्रिय व्रत—एकादशी, नवरात्रि, करवा चौथ, शिवरात्रि, और उपवास के दिन जैसे सोमवार/शुक्रवार व्रत। सामान्य नियम में अनाज व दालें न खाना, प्याज़-लहसुन से परहेज और कई बार सुबह से शाम तक ही निर्जला या फल-युक्त व्रत रखना शामिल होता है। फिर भी अलग-अलग परंपरा में भिन्नता रहती है—कहीं सादा पानी पीना मना है, तो कहीं छाछ या दूध की अनुमति रहती है।

व्रत से पहले अपने पारिवारिक या स्थानीय पंडित से नियम पुष्टि कर लें। खास तौर पर त्योहारों पर समय (उदय/अस्त) और पूजन का तरीका भिन्‍न हो सकता है।

क्या खाएँ, क्या न खाएँ — व्यावहारिक सुझाव

व्रत के दौरान हल्का और पोषक आहार चुनें। ये सरल विकल्प अक्सर उपयोगी रहते हैं:

  • साबुदाना की खिचड़ी, सादा उबला आलू, और सिंगाड़े का आटा (फराल) से बने व्यंजन।
  • फल, मक्खन और शुद्ध घी—ऊर्जा के लिए अच्छे।
  • दूध, दही और पनीर—प्रोटीन का स्रोत।
  • नमक की जगह सेंधा नमक या चावल का नमकीन उपयोग करें (ज्यादा परिमाण न लें)।

भारत में कुछ व्रतों में विशेष आटे और अनाज की मनाही होती है—इसलिए जिस दिन व्रत है, उसी दिन की परम्परा के अनुसार खरीददारी करें।

डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप या गर्भावस्था जैसी स्थिति में व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। स्थिर दवा लेने वालों को डॉक्टर बताए बिना निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए।

अगर चक्कर आना, तेज कमजोरी या उल्टी हो तो व्रत तोड़ दें और पानी-सीरप लें। छोटे-छोटे घूंट में पानी पियें; अचानक भारी भोजन व सामान्य खाने से पेट खराब हो सकता है।

व्रत का उद्देश्य आत्म-अनुशासन और भक्ति होता है, तो अपने शरीर की सुनें। अगर स्वास्थ्य ठीक न हो तो वैकल्पिक व्रत (आधा व्रत, फल व पानी) रख सकते हैं। व्रत के बाद भोजन धीरे-धीरे लें—पहले कुछ फल या दही, फिर हल्का खाना।

अंत में एक छोटा सुझाव: व्रत के दिन आराम जरूरी है। भारी काम करे बिना पूजा, ध्यान और परिवार के साथ समय बिताएं। सही जानकारी और संयम से व्रत का अनुभव शांति और ऊर्जा दे सकता है।

19 मई 2024 0 टिप्पणि Rakesh Kundu

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