आईवीएफ (IVF): प्रक्रिया, सफलता दर और लागत
क्या आप या आपका साथी बच्चों के लिए कोशिश कर रहे हैं और IVF के बारे में स्पष्ट जानकारी चाहते हैं? आईवीएफ आज कई जोड़ों के लिए एक व्यवहारिक विकल्प बन चुका है। यहाँ सरल भाषा में बताऊँगा कि आईवीएफ क्या है, इसका प्रोसेस कैसा होता है, सफलता की उम्मीदें क्या हो सकती हैं और खर्च कैसे तय होता है।
आईवीएफ कैसे होता है — स्टेप बाय स्टेप
आईवीएफ में अंडाणु (egg) और शुक्राणु (sperm) को लैब में मिलाकर эм्ब्रियो बनाते हैं और फिर उसे गर्भ में ट्रांसफर करते हैं। मुख्य कदम आसान शब्दों में ये हैं:
1) ओवरी स्टिमुलेशन: महिलाओं को दवाइयाँ दी जाती हैं ताकि एक से अधिक अंडे तैयार हों।
2) अंडा निकालना (Egg Retrieval): छोटा प्रोसीजर होता है, सामान्यतः 20–30 मिनट में पूरा।
3) निषेचन (Fertilisation): लैब में अंडे और शुक्राणु को मिलाया जाता है। कभी-कभी ICSI का प्रयोग होता है जब शुक्राणु की संख्या या गुणवत्ता कम हो।
4) эм्ब्रियो कल्टीवेशन और एम्ब्रियो ट्रांसफर: 3–5 दिनों तक эм्ब्रियो बढ़ाया जाता है और उपयुक्त эм्ब्रियो चुना कर गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
5) luteal सपोर्ट और गर्भावस्था परीक्षण: ट्रांसफर के बाद हार्मोन सपोर्ट और 10–14 दिन में β-hCG टेस्ट से पता चलता है।
सफलता, रिस्क और भारत में लागत — क्या उम्मीद रखें
सफलता दर उम्र पर सबसे ज्यादा निर्भर करती है। सामान्य रेंजें (प्रति साइकिल): 35 के नीचे लगभग 35–50%, 35–37 के बीच 30–40%, 38–40 के बीच 15–30%, और 40 के ऊपर 5–15%। ये आंकड़े क्लिनिक, कारण और प्रयोग होने वाली तकनीक पर बदलते हैं।
जोखिमों में ओवरी हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS), मल्टीपल प्रेगनेंसी, और क्लिनिकल/इमोशनल तनाव शामिल हैं। प्रक्रिया के दौरान संक्रमण और procedural जोखिम कम होते हैं पर डॉक्टर से खुलकर चर्चा जरूरी है।
भारत में एक सामान्य आईवीएफ साइकिल की लागत ₹1.5 लाख से ₹3 लाख तक रहती है। दवाइयाँ, ICSI, PGD/PGS या डोनर एग्स/स्पर्म जैसी एडिशनल सेवाएं अलग से चार्ज हो सकती हैं। कुल खर्च क्लिनिक, शहर और जरूरतों पर निर्भर करेगा।
व्यावहारिक सुझाव: accredited क्लिनिक चुनें, लैब की success चिन्ह (live birth per embryo transfer) पूछें, और पहले से हेल्थ चेकअप करवा लें। वजन, डायबिटीज और स्मोकिंग जैसी चीजें सफलता प्रभावित करती हैं—इन्हें सुधारने पर ध्यान दें।
अंत में, हर जोड़े की कहानी अलग होती है। डॉक्टर से खुलकर अपनी स्थिति, विकल्प और लागत पर चर्चा करें। भावनात्मक समर्थन भी जरूरी है — परिवार, काउन्सलर या सपोर्ट ग्रुप से बात करने में मदद मिलेगी।
29 जून 2024
Rakesh Kundu
मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी ने खुलासा किया है कि उन्होंने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के माध्यम से जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने मातृत्व की यात्रा के बारे में खुलकर बात की है। यह कदम बांझपन और आईवीएफ से जुड़े सवालों को कम करने में मददगार हो सकता है।
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